Friday, March 14, 2025
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मानसून में बढ़ सकती है किडनी संबंधित बीमारी, जाने उपाय!

मानसून आने वाला है कई रोगियों को किडनी संबंधित बीमारियां हो सकती है! भीषण तपती गर्मी के बाद आने वाला मानसून काफी राहत से भरा हुआ होता है, पर अपने साथ यह कई तरह की परेशानियां भी लेकर आता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, बरसात के इस मौसम में गंदगी, दूषित पानी और भोजन के कारण कई तरह के संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। यह पेट से लेकर शरीर के कई अन्य अंगों तक के लिए मुश्किलों का कारण बन सकती है। इस वजह से विशेषज्ञ इस मौसम में सेहत को लेकर विशेष ध्यान देने की आवश्यकताओं पर जोर देते हैं। इस मौसम में गैस्ट्रोएंटेराइटिस, डेंगू, टाइफाइड और डायरिया जैसी समस्याओं को काफी अधिक देखा जाता रहा है।

मानसून का यह मौसम किडनी की समस्याओं के शिकार लोगों के लिए भी काफी चुनौतीपूर्ण माना जाता है। डॉक्टर्स कहते हैं, बरसात के मौसम में नमी युक्त परिस्थितियों के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखना महत्वपूर्ण हो जाता है। इसमें की गई लापरवाही किडनी में संक्रमण या डैमेज का कारण बन सकती है।

इस मौसम में होने वाली तमाम बीमारियों जैसे लेप्टोस्पायरोसिस, डेंगू, टाइफाइड, एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस, हेपेटाइटिस ए और ई के कारण किडनी में सूजन हो सकती है। ऐसे में जिन लोगों को पहले से ही किडनी की समस्या है उन्हें अपनी सेहत को लेकर विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता है।

बरसात के इस मौसम में किडनी या किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाव के लिए भोजन और पानी की साफ-सफाई का ध्यान रखना बहुत आवश्यक हो जाता है। पानी पीने से पहले उसे उबालकर छान लेना चाहिए, क्योंकि बारिश के मौसम में यह संक्रमण का सबसे आम स्रोत है। इसके अलावा घर का बना ताजा खाना खाने का ही प्रयास करें। बाहर के खाने में अस्वच्छता का जोखिम हो सकता है। ब्लड प्रेशर और शुगर, दोनों का लगातार बढ़ा रहना किडनी की कई तरह की समस्याओं को बढ़ा सकती है। जो लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं उन्हें नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच करनी चाहिए। इन दोनों को ही कंट्रोल में रखने के प्रयास करते रहें। रक्तचाप को भी किडनी की गंभीर समस्याओं के प्रमुख कारक के तौर पर देखा जाता रहा है।

इस मौसम में सुनिश्चित करें कि आप ताजे कटे हुए फल ही खा रहे हैं, क्योंकि पहले से कटे हुए फलों पर सूक्ष्म जीवों के जमा होने का जोखिम रहता है। खाने से पहले फलों को छील कर साफ कर लें इससे बाहरी त्वचा पर मौजूद कीटाणुओं या बैक्टीरिया से होने वाली समस्याओं को कम किया जा सकता है। इसी तरह से सब्जियों को भी अच्छी तरह से धोकर ही खाएं।

बरसात के मौसम में संक्रमण से बचाव के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता का ख्याल रखना सबसे जरूरी माना जाता है। घर के आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें। अपने हाथों को लगातार धोते रहना बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर खाना खाने से पहले और बाद में। हाथों की स्वच्छता न सिर्फ आपको मौसम के दौरान होने वाले संक्रमण से बचाएगी साथ ही यह कोरोना के जोखिम को कम करने का भी सबसे उपयुक्त तरीका है। किडनी हमारे शरीर का सबसे जरूरी है। यह मुख्य रूप से यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड जैसे नाइट्रोजनयुक्त वेस्ट मटेरियल उत्पादों से ब्लड को फिल्टर करने के लिए जिम्मेदार होती है। ये सभी टॉक्सिन्स हमारे ब्लैडर में जाते हैं और पेशाब करते समय बाहर निकल जाते हैं। लाखों लोग किडनी की कई तरह की बीमारियों के साथ रहते हैं और इनमें से ज्यादातर को इसका अंदाजा नहीं होता। यही वजह है कि किडनी की बीमारी को अक्सर साइलेंट किलर के रूप में जाना जाता है।

किडनी खराब होने के लक्षण इतने हल्के होते हैं कि ज्यादातर लोगों को बीमारी के बढऩे तक कोई अतंर महसूस नहीं होता। जब चोट लगने , हाई ब्लड प्रेशर या फिर डायबिटीज के कारण किडनी डैमेज हो जाती हैं, तो यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर नहीं कर पाती, जिससे जहर का निर्माण होता है। ऐसे में किडनी ठीक से काम नहीं करती और टॉक्सिन जमा हो सकते हैं।

शरीर में विषाक्त पदार्थों और वेस्ट का संचय भी आपकी भूख को कम कर सकता है, जिससे वजन घटने लगता है। कम भूख का एक अन्य कारण सुबह जल्दी मतली और उल्टी भी हो सकती है। इस कारण व्यक्ति को हर समय पेट भरा हुआ महसूस होता है और कुछ खाने का मन नहीं करता। यह किडनी खराब होने का खतरनाक संकेत है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता।

किडनी शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त सोडियम को फिल्टर करने में मदद करती है। जब किडनी ठीक से काम करना बंद कर देती है, तो शरीर में सोडियम जमा होने लगता है, जिससे पिंडलियों और टखनों में सूजन बढ़ जाती है। इस स्थिति को एडिमा कहते हैं। वैसे तो टॉक्सिक किडनी में आंखों और चेहरे में सूजन देखी जाती है, लेकिन इसके लक्षण सबसे ज्यादा हाथ, पैर और टखनों को प्रभावित करते हैं।

त्वचा में सूखापन और खुजली भी किडनी डिसऑर्डर का मुख्य संकेत है। ऐसा तब होता है जब किडनी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सक्षम नहीं होती । तब ये विषाक्त पदार्थ ब्लड में जमा होने लगते हैं, जिससे त्वचा में खुजली, सूखेपन के साथ दुर्गंध आने लगती है।

हर समय कमजोरी और थकान महसूस होना किडनी की समस्या के शुरूआती संकेत हैं। जैसे -जैसे किडनी की बीमारी गंभीर होती जाती है व्यक्ति पहले से ज्यादा कमजोर और थका हुआ महसूस करता है। यहां तक की थोड़ा चलना-फिरने में भी दिक्कत महसूस होती है। ऐसा किडनी में विषाक्त पदार्थों के जमा होने के कारण होता है।

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