जानिए बहराइच की एक अजूबी कहानी?

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बहराइच अब पीएफआई का गढ़ बन चुका है! शौक बहराइची के इस शेर से बहराइच की तस्वीर काफी साफ हो जाती है। उत्‍तर प्रदेश का एक ऐसा सीमावर्ती इलाका जो शिक्षा, रोजगार और विकास में पिछड़ा हुआ तो था ही, बद से बदतर हालात तब हो गए जब यहां के युवा देशद्रोही गतिविधियों में शामिल होने लगे। बहराइच जिला भारत-नेपाल का सीमावर्ती होने के नाते अति संवेदनशील की श्रेणी में आता है। देशविरोधी गतिविधियों में सक्रिय रहने वाले कई लोग यहां से गिरफ्तार हो चुके हैं। एक दिन पहले एनआईए ने यहां से एक पीएफआई कार्यकर्ता को भी उठाया था। कुछ तो इसे भारत और नेपाल के प्रवेश द्वार के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। पीएफआई पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठन की मानसिकता रखने वाले यहां कैसे कामयाब हो जाते हैं, इसके लिए बहराइच के इतिहास को टटोलना होगा।

सीएए नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए प्रोटेस्ट के दौरान भी पीएफआई की भूमिका सामने आई थी। 20 दिसंबर, 2019 को बहराइच में सुनियोजित पथराव और तोड़फोड़ मामले में पीएफआई के दो कार्यकर्ता पकड़े गए थे। रिजवान और वलीउर्राहमान मौलवी बनकर यहां एक मदरसे में रह रहे थे। स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी 1998 तक यहां काफी सक्रिय रही। यहीं से देशद्रोही स्पीच देने के मामले में सिमी का राष्ट्रीय अध्यक्ष शाहिद बद्र फलाही गिरफ्तार हुआ। बाद में सिमी पर बैन लगा।

लश्कर-ए-तैयबा के डिप्टी कमाण्डर इरफान के भी तार बहराइच से जुड़े होने की बात सामने आ चुकी है। उसका एक मकान भी नगर क्षेत्र में है। लेकिन इस समय इरफान दिल्ली जेल में बंद है। इसी तरह इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा अफजल उस्मानी भी करीब डेढ़ माह तक कपड़े के कारोबार के बहाने बहराइच में रहा।

यही नहीं, जम्मू लिबरेशन फ्रंट के लोग भी इस खुली सीमा रेखा का फायदा भी उठाने से नहीं चूके। जम्मू लिबरेशन फ्रंट के तीन संदिग्ध आतंकी सीमा क्षेत्र रुपईडीहा में गिरफ्तार हो चुके हैं। जो पाकिस्तान से बिना वीजा के नेपाल होते हुए कश्मीर जा रहे थे। तंजानिया का एक जासूस भी भारत-नेपाल सीमा पर पकड़ा जा चुका है। चीन के तीन संदिग्ध लोग भी पकड़े जा चुके हैं जो सीमा सुरक्षा बल के कार्यालयों, सुरक्षा जवानों और सीमा के द्वार का फोटो खींच रहे थे।

ये तमाम घटनाएं यह बताती हैं कि देशद्रोही संगठनों के लिए बहराइच एक सॉफ्ट टारगेट है। बेरोजगारी और गरीबी के कारण इस इलाके का युवा इनके झांसे में अक्सर आ जाता हैं। इसी का लाभ उठाते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने भी यहां पैर फैलाने का मंसूबा बनाया। उसको जरवल इलाके में बड़ी कामयाबी मिली और हजारों युवा उसके राजनीतिक एजेंडे के मुखौटे के पीछे देशद्रोही कार्यकलापों में हिस्सा लेने लगे। इनमें से कइयों को जेल की हवा खानी पड़ी। गत 23 सितंबर को एनआइए के राष्ट्रीय स्तर के छापों के दौरान एक टीम बहराइच के जरवल भी आई थी। टीम ने कटरा दक्षिणी से कमरुद्दीन नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।

आपको बताते चलें कि अक्टूबर 2020 में दिल्ली दंगों में जिस मसूद की भूमिका सामने आई थी, वह भी जरवल का रहने वाला था और पीएफआई का सदस्य था। इससे पूर्व भी जरवल से कुछ दूरी पर सौनारी इलाके के रहने वाले दो छात्र अबू बकर और मोहम्मद उमर को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। मोहम्मद उमर को छोड़ दिया गया था और अबू बकर को जेल भेज दिया गया।

इलाके में संगठन की गतिविधियां इस लिए नहीं रुक रही है क्योंकि पीएफआई की कलई खुलने के बाद उसके कर्ता-धर्ता नए नाम से जनता के बीच आते रहते हैं। अभी दो रोज पहले सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया के बैनर तले जरवल में एक भव्य कार्यक्रम हुआ जिसमें पीएफआई के पुराने सदस्यों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। देश-द्रोही गतिविधियों को बहराइच में पनपने के पीछे की वजहों के बारे में डॉ सुजात अली कादरी (राष्ट्रीय चेयरमैन मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया) का मानना है कि मुसलमानों की आर्थिक और शैक्षिक स्थिति पहले से काफी कमजोर रही है और बहराइच का मुसलमान काफी पिछड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत में सदियों से सभी समुदाय के लोग साथ में रहते आए हैं। बेहतर यह होगा कि मुसलमानों के उत्थान की बात की जाए न कि चरमपंथ की राजनीति की।

युवा समाजसेवी दिव्यांशु चतुर्वेदी का मानना है कि हमारी लड़ाई धर्म विशेष से नहीं है। हमारी लड़ाई विचारधारा से होनी चाहिए, हम धर्म को न टारगेट कर उस विचारधारा को टारगेट करें। वह विचारधारा जहां से पनप रही है वहां अटैक करें। ऐसी विचारधारा कहां पनपती है हम सब को पता है। हर वह चीज जो इंसान को नहीं मिल पाई, जैसे चाहे वह सम्मान की बात हो, आर्थिक विकास की बात हो या सत्ता की बात हो, उसको यह विचारधारा लालच देती है तभी वह उसमें लीन हो जाता है।