Friday, October 18, 2024
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जानिए ऐसी दादी के बारे में जो जवानों को भी कर रही है फेल!

आज हम आपको ऐसी दादी से मिलवाने जा रहे हैं जो जवानों को भी फेल कर रही है! गुजरे जमाने की अभिनेत्री जीनत अमान ने कुछ दिनों पहले एक बात कही थी। बकौल जीनत, हमें सफेद बालों वाली महिलाएं जरा कम नजर आती हैं। इंस्टाग्राम पर जीनत स्टारडम की दूसरी पारी खेल रही हैं। शायद फिल्‍मों की तरह रियल लाइफ में भी बुजुर्ग महिलाएं खुद को ‘दादी-नानी जोन’ में पाती हैं। एक उम्र के बाद यह अपेक्षा होती है कि आप बस मुस्‍कुराएं, शांत रहें और ऐसी शख्सियत बन जाएं जिसका काम अचार के मर्तबानों का ढेर लगाना, स्वेटर बुनना और मुफ्त में बच्‍चे पालना रह जाए। लेकिन जीनत की तरह कुछ और सीनियर महिलाएं इस सोच को चैलेंज करती हैं। वे किसी स्टीरियोटाइप में नहीं बंधना चाहतीं। 59 साल की नीता अंबानी को ही लीजिए। हाल ही में जींस पहने नजर आई थीं। उनकी तरह कई और दादियां और नानियां उम्र के इस पड़ाव पर नौजवानों को मात दे रही हैं। रवि बाला शर्मा को लोग अब ‘डांसिंग दादी’ कहकर बुलाते हैं। बचपन में क्‍लासिकल डांस और म्‍यूजिक सीखने वाली शर्मा को प्‍लेटफॉर्म नहीं मिला। वह याद करती हैं, ‘हमारे पैरंट्स काफी दकियानूसी थे… बॉलिवुड गानों और डांस से प्‍यार के बावजूद मुझे कभी परफॉर्म करने का मौका नहीं मिला।’ अगर पैरंट्स घर नहीं होते तो रवि बाला को रेडियो पर अपना पसंदीदा म्‍यूजिक सुनकर झूमने से कोई नहीं रोक पाता था। वह कहती हैं, ‘उधर गाने बजते और इधर मेरा मटकना शुरू हो जाता।’

शर्मा ने दिल्‍ली सरकार के स्कूलों में म्‍यूजिक टीचर के रूप में काम किया। तबला, सितार, हिंदुस्‍तानी वोकल सिखाते-सिखाते वह जून 2019 में रिटायर हुईं। सितंबर 2019 में पति गुजर गए तो वह अकेली हो गईं। बेटे के पास मुंबई चली गईं। कोविड के चलते लॉकडाउन लगा तो शर्मा ने इंस्टाग्राम पर अपने डांस का एक वीडियो डाला। वह वायरल हो गया। वह कहती हैं क‍ि इतने सालों बाद तारीफ पाकर अच्‍छा लगा। रवि बाला शर्मा के वीडियोज को दिलजीत दोसांझ, बादशाह जैसे आर्टिस्‍ट्स ने पसंद किया। उन्‍हें टीवी चैनल्‍स पर आने, इवेंट्स में परफॉर्म करने और स्पॉन्सरशिप के ऑफर मिलने लगे।

वह कहती हैं, ‘मुझे लगता है कि यह खुद के लिए जीने का वक्‍त है। इतनी सालों में ऐसी आजादी नहीं मिली थी। हमेशा जिम्‍मेदारियां घेरे रहीं। रवि बाला शर्मा न सिर्फ कथक और पारंपरिक नृत्यों में पारंगत हैं बल्कि जैज और हिप हॉप भी ट्राई करना चाहती हैं। बस कभी रुकना नहीं चाहतीं।

आशा सिंह ने घर के भीतर पूरी उम्र गुजार दी। घर-बच्चे संभालते-संभालते वक्‍त ही नहीं मिला। मौका आया 2016 में जब बेटे ने कहा कि पुणे में एक लोकल रेस हो रही है, उसमें हिस्सा लें। 57 साल की आशा ने तब तक केवल एक्‍सरसाइज के रूप में बस मॉर्निंग वॉक ही की थी। 10 किलोमीटर की वह रेस आशा ने 70 मिनटों में खत्म की। वह कहती हैं, ‘इसके बाद तो नशा सा लग गया।’ लखनऊ की रहने वाली आशा उसके बाद से 45 से ज्‍यादा मैराथन दौड़ चुकी हैं, न सिर्फ देश बल्कि विदेश में भी। लखनऊ में 100 किलोमीटर की रेस और दिल्‍ली में 180 किलोमीटर की अल्ट्रा-मैराथन में भी हिस्सा लिया। उन्होंने पति और कोच कर्नल (रिटायर्ड) बजरंग सिंह के साथ कई रेस जीती हैं।

मुंबई की रहने वाली भारती पाठक को भी ढलती उम्र में दौड़ने का शौक चढ़ा। 80 साल की भारतीय ने अब तक पांच मैराथन दौड़ी हैं। वह वॉकिंग और रनिंग के को कॉम्बिनेशन को अपनी फिटनेस का राज बताती हैं। दिन में दो बार खाती हैं, वह भी रोटी-सब्जी या खिचड़ी। घर के सारे काम खुद करती हैं और रात 9.30 बजे तक सो जाती हैं।

वृंदा रमणन 18 साल की थीं जब उन्‍हें पहाड़ों से प्यार हो गया। डांस स्कूल चलाने और बच्चों के पालन-पोषण के बीच उन्होंने ट्रेकिंग के लिए वक्‍त निकाला। 10 किलोमीटर की वह रेस आशा ने 70 मिनटों में खत्म की। वह कहती हैं, ‘इसके बाद तो नशा सा लग गया।’ लखनऊ की रहने वाली आशा उसके बाद से 45 से ज्‍यादा मैराथन दौड़ चुकी हैं, न सिर्फ देश बल्कि विदेश में भी। लखनऊ में 100 किलोमीटर की रेस और दिल्‍ली में 180 किलोमीटर की अल्ट्रा-मैराथन में भी हिस्सा लिया। उन्होंने पति और कोच कर्नल (रिटायर्ड) बजरंग सिंह के साथ कई रेस जीती हैं।वह कहती हैं, ‘अगर मैं तीन महीने से ज्यादा पहाड़ों से दूर रहूं तो इरीटेट होने लगती हूं… तब हमें पता चल जाता है कि अब वक्‍त आ गया है।’ 63 साल की वृंदा हर साल 15-20 बच्चों के ग्रुप को हिमालय की वादियों में ट्रेकिंग के लिए ले जाती हैं। उन्होंने अपने आर्किटेक्‍ट पति के साथ मिलकर पर्वतारोहण पर दो किताबें लिखी हैं। वृंदा ने गढ़वाल रेंज में 20,400 फीट तक ऊंची पहाड़ियां चढ़ी हैं और रुकने का कोई इरादा नहीं है।

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