जानिए अब तक किन-किन प्रधानमंत्री के खिलाफ आ चुका है अविश्वास पत्र?

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आज हम आपको बताएंगे कि भारत के किन-किन प्रधानमंत्रियों के खिलाफ अविश्वास पत्र आ चुका है! अविश्वास प्रस्ताव की इन दिनों बड़ी चर्चा है। लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस सांसद गौरव गोगाई अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं। इस हफ्ते, लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी है। मोदी अपने पहले कार्यकाल में भी अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर चुके हैं। तब तेलुगू देशम पार्टी TDP की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ 330 वोट पड़े थे। संसदीय इतिहास में जवाहरलाल नेहरू से लेकर मोदी तक को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा है। गोगोई के प्रस्ताव से पहले, लोकसभा में कुल 27 बार अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ है। इंदिरा गांधी ने 10 से ज्यादा बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया। अभी तक सिर्फ एक बार ऐसा हुआ जब अविश्वास प्रस्ताव के चलते किसी प्रधानमंत्री की कुर्सी गई हो। वह पीएम थे मोरारजी देसाई। दिलचस्प बात यह कि 1979 के उस अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई ही नहीं। पढ़‍िए, 1963 में पहले अविश्वास प्रस्ताव से लेकर 2023 में 28वें अविश्वास प्रस्ताव तक का पूरा इतिहास। भारत के संसदीय इतिहास का पहला अविश्वास प्रस्ताव तीसरी लोकसभा में पेश किया गया था। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ कांग्रेस के आचार्य जेबी कृपलानी अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। 1962 युद्ध में चीन से हार के ठीक बाद अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ। चार दिन तक चर्चा चली। आखिर में प्रस्ताव को केवल 62 सांसदों का समर्थन मिला। 347 सांसदों ने इसका विरोध किया और अविश्वास प्रस्ताव गिर गया।

NC चटर्जी ने लाल बहादुर शास्‍त्री की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्‍ताव पेश किया था। चर्चा के बाद वोटिंग में 307 सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया और 50 ने समर्थन में। अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया। एसएन द्विवेदी ने शास्‍त्री सरकार के खिलाफ दूसरा अविश्वास प्रस्‍ताव पेश किया था। बहस के बाद इसे केवल 44 सांसदों का समर्थन मिला, वहीं 315 ने खिलाफ में मतदान किया। शास्त्री सरकार का कुछ नहीं बिगड़ा।

स्वतंत्र पार्टी के सांसद एमआर मसानी ने यह अविश्वास प्रस्‍ताव पेश किया था। सिर्फ 66 सांसदों का समर्थन मिला जबकि 318 ने विपक्ष में मतदान किया। बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। इसे 162 सांसदों का समर्थन मिला जबकि 257 ने खिलाफ में वोट किया। उस वक्त तक किसी अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मिले वोटों की संख्या का यह रिकॉर्ड था। उस वक्त राज्यसभा सांसद रहीं इंदिरा गांधी जनवरी 1966 में प्रधानमंत्री बनीं। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के सांसद धीरेंद्रनाथ मुखर्जी उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए। प्रस्ताव को 61 सांसदों का समर्थन मिला और 270 ने विरोध में मतदान किया। इंदिरा सरकार विजयी रही।

चार महीने के भीतर ही इंदिरा को दूसरे अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। यह प्रस्ताव भारतीय जनसंघ के सांसद यूएम त्रिवेदी ने पेश किया था। 235 सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया जबकि 36 ने समर्थन में। अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। इसे 162 सांसदों का समर्थन मिला जबकि 257 ने खिलाफ में वोट किया। उस वक्त तक किसी अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मिले वोटों की संख्या का यह रिकॉर्ड था।

मधु लिमये ने इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। वोटिंग के दौरान सिर्फ 88 सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। इंदिरा सरकार के समर्थन में 215 वोट पड़े। इंदिरा सरकार को अगले साल फरवरी में फिर अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। यह अविश्वास प्रस्ताव बलराज मधोक लेकर आए थे। 75 सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया और 215 ने खिलाफ में मतदान किया।

आपातकाल से महीने भर पहले, ज्योर्तिमॉय बसु ने फिर अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। इस बार उनका प्रस्ताव ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया। मोरारजी देसाई सरकार के खिलाफ लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सीएम स्टीफन अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। यह अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से खारिज हुआ।

देसाई सरकार के खिलाफ इस बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किया वाईबी चव्हाण ने। चर्चा का कोई नतीजा नहीं निकला मगर देसाई ने पद से इस्तीफा देकर राजनीति से संन्यास ले लिया। भारतीय राजनीति में यह इकलौता मौका रहा जब अविश्वास प्रस्ताव के बाद सरकार गिरी, भले ही प्रस्‍ताव पर मतदान न हुआ हो। 17वीं लोकसभा में इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ जॉर्ज फर्नांडिस ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। इंदिरा सरकार को 278 सांसदों का समर्थन मिला और जॉर्ज के प्रस्ताव को सिर्फ 92 वोट।