जानिए देसी जीपीएस NavIC के बारे में सब कुछ!

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आज हम आपको देसी जीपीएस NavIC के बारे में बताने जा रहे हैं! भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO को बड़ी कामयाबी मिली है। सोमवार सुबह 10.42 बजे श्रीहरिकोटा से GSLV F12 के जरिए NVS-01 सैटेलाइट को लॉन्च किया गया। यह दूसरी पीढ़ी का सैटेलाइट है जिसे भारत अपने नेविगेशन कांस्टेलेशन NavIC में शामिल करेगा। भारत दुनिया का इकलौता देश है जिसके पास रीजनल सैटैलाइट-बेस्‍ड नेविगेशन सिस्‍टम है। पहली बार नेविगेशन सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च वीइकल GSLV से लॉन्च किया गया। 2,232 किलो वजनी सैटेलाइट NVS-01 पूरे कांस्टेलेशन में सबसे भारी है। अभी भारत के क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम कांस्टेलेशन में सात सैटेलाइट हैं। उनमें से हर एक का वजन लिफ्टऑफ के समय करीब 1,425 किलोग्राम होता है। इन सभी को पोलर सैटेलाइट लॉन्च वीइकल के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया था। आइए समझते हैं कि दूसरी पीढ़ी के इन नेविगेशन सैटेलाइट्स से कितना फायदा होगा। ISRO ने दूसरी पीढ़ी के ये सैटेलाइट्स देसी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) यानी NavIC को बेहतर करने के लिए बनाए हैं। यह सैटेलाइट भारत और आसपास के करीब 1,500 किलोमीटर के एरिया का रियल टाइम अपडेट देगा। NavIC को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यूजर को 20 मीटर के दायरे में स्थिति और 50 नैनो सेकंड के अंतराल में समय की सटीक जानकारी मिल सकती है।

NVS सैटेलाइट में रुबिडियम एटॉमिक घड़ी लगी है। यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो कुछ ही देशों के पास है। ISRO के अनुसार, वैज्ञानिक पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए आयातित रूबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल करते थे। अब, अहमदाबाद के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र में रूबिडियम परमाणु घड़ियां बनती हैं। ISRO ने दूसरी पीढ़ी के ये सैटेलाइट्स देसी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) यानी NavIC को बेहतर करने के लिए बनाए हैं। यह सैटेलाइट भारत और आसपास के करीब 1,500 किलोमीटर के एरिया का रियल टाइम अपडेट देगा। NavIC को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यूजर को 20 मीटर के दायरे में स्थिति और 50 नैनो सेकंड के अंतराल में समय की सटीक जानकारी मिल सकती है।दूसरी पीढ़ी के सैटेलाइट्स L5 और S फ्रीक्वेंसी सिग्नल के अलावा तीसरी फ्रीक्वेंसी L1 से भी सिग्नल भेजेंगे।ISRO ने दूसरी पीढ़ी के ये सैटेलाइट्स देसी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) यानी NavIC को बेहतर करने के लिए बनाए हैं। यह सैटेलाइट भारत और आसपास के करीब 1,500 किलोमीटर के एरिया का रियल टाइम अपडेट देगा। NavIC को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यूजर को 20 मीटर के दायरे में स्थिति और 50 नैनो सेकंड के अंतराल में समय की सटीक जानकारी मिल सकती है। इससे अन्य सैटेलाइट आधारित नेविगेशन सिस्‍टम के बीच ऑपरेट करना आसान होगा। L1 फ्रीक्वेंसी का GPS में खूब इस्तेमाल होता है। इसकी मदद से लो फ्रीक्वेंसी वाले वियरेबल डिवाइसेज और पर्सनल ट्रैकर्स में रीजनल नेविगेशन सिस्‍टम का यूज बढ़ेगा। NVS सीरीज के सैटेलाइट की उम्र भी ज्यादा होगी। अभी के सैटेलाइट 10 साल तक मिशन को अंजाम दे सकते हैं। NVS सैटेलाइट 12 साल तक सर्विस देंगे।

दुनिया में चार तरह के ग्लोबल सैटेलाइट-बेस्ड नेविगेशन सिस्‍टम हैं- अमेरिका का GPS, रूस का GLONASS, यूरोप का गैलीलियो और चीन का बायडू। भारत इकलौता देश है जिसके पास रीजनल सैटेलाइट-बेस्ड नेविगेशन सिस्‍टम है।ISRO ने दूसरी पीढ़ी के ये सैटेलाइट्स देसी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) यानी NavIC को बेहतर करने के लिए बनाए हैं। यह सैटेलाइट भारत और आसपास के करीब 1,500 किलोमीटर के एरिया का रियल टाइम अपडेट देगा। NavIC को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यूजर को 20 मीटर के दायरे में स्थिति और 50 नैनो सेकंड के अंतराल में समय की सटीक जानकारी मिल सकती है।

जापान में फोर-सैटेलाइट सिस्‍टम है जो पूरे देश में GPS सिग्‍नल को बेहतर कर सकता है, काफी कुछ भारत के GAGAN की तरह। एक बार पूरी तरह ऑपरेशनल होने के बाद NavIC के ओपन सिग्‍नल 5 मीटर तक एक्यूरेट पोजिशन बता पाएंगे।ISRO ने दूसरी पीढ़ी के ये सैटेलाइट्स देसी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) यानी NavIC को बेहतर करने के लिए बनाए हैं। यह सैटेलाइट भारत और आसपास के करीब 1,500 किलोमीटर के एरिया का रियल टाइम अपडेट देगा। NavIC को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यूजर को 20 मीटर के दायरे में स्थिति और 50 नैनो सेकंड के अंतराल में समय की सटीक जानकारी मिल सकती है। रिस्‍ट्रक्‍टेड सिग्‍नल और सटीक जानकारी देंगे। इसकी तुलना में GPS सिग्‍नल करीब 20 मीटर तक एक्यूट पोजीशन बताते हैं। NavIC के सिग्नल 90 डिग्री के एंगल पर आते हैं। इससे घने इलाकों, जंगलों और पहाड़ों में मौजूद डिवाइस तक आसानी से सिग्‍नल पहुंचते हैं।