Monday, December 23, 2024
HomeIndian Newsजानिए भारत के अंतिम द्गविजयी सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड़ के बारे में सब...

जानिए भारत के अंतिम द्गविजयी सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड़ के बारे में सब कुछ!

आज हम आपको भारत के अंतिम द्गविजयी सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड़ के बारे में बताने जा रहे हैं! भारत में ऐसे कई राजा-महाराजा रहे हैं जिन्होंने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए और एक ऐसे राज्य की स्थापना की जिसकी चर्चा किए बिना इतिहास पूरा नहीं हो पाएगा। ऐसे ही कश्मीर के एक राजा थे ललितादित्य मुक्तापीड़। लेकिन इतिहास में इस राजा का उतना जिक्र नहीं मिलता है जितना इनके समकालीन या बाद के राजाओं का। ललितादित्य ने कश्मीर में 724 से 760 ईस्वी तक राज किया था। इस राजा के शासनकाल में जिसने भी कश्मीर की तरफ आंख उठाने की कोशिश की उसे करारा जवाब मिला। इनके शासनकाल में कश्मीर का राज विदेशों तक फैला था। कार्कोट राजवंश के राजा ललितादित्य ने अपने करीब 37 साल के राज में कश्मीर के राज को मध्य एशिया से लेकर गंगा के मैदानी इलाके तक फैला चुके थे। उन्हें कश्मीरी इतिहास का सिंकदर भी कहा जाता है। उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान तुर्क, तिब्बत और बाल्टिस्तान तक विजय हासिल की थी। कश्मीरी इतिहास पर लिखी संस्कृत पुस्तक ‘राजतरंगिणी’ में ललितादित्य के शासनकाल का जिक्र मिलता है। इस पुस्तक में कश्मीर के इस महान राजा के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है।कार्कोट राजवंश की स्थापना 625 ई में राजा दुर्लभवर्धन ने की थी। ललितादित्य इनके पौत्र थे। आठवीं शताब्दी में भारत कई छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था। सभी राज्य एक-दूसरे से लड़ते रहते थे। ऐसी स्थिति में ललितादित्य के लिए अपने राज्य का विस्तार करने के लिए सुनहरा मौका था। उन्होंने इसे पूरा भी किया और तुर्क से लेकर गंगा के मैदानी इलाके तक उन्होंने कश्मीर का राज स्थापित किया।

कहा जाता है कि राजा ललितादित्य ने अपनी सेना में चीन के किराए के सैनिक और रणनीतिकारों की भी भर्ती की थी। ऐसा भी कहा जाता है कि ललितादित्य की सेना में कई तुर्क भी शामिल रहे थे। अपनी इसी क्षमता और ताकतवर सेना के बल पर उन्होंने दुनिया में एक महान राज की स्थापना की। उनका पहला आक्रमण और जीत राजा यशोवर्मन के खिलाफ थी। ललितादित्य के सामने यशोवर्मन ने समर्पण कर दिया और उनके साथ शांति समझौता किया। इस जीत के बाद यमुना और कलिका के बीच की भूमि कश्मीर राज में आ गई। ऐसे ही ललितादित्य ने कई बड़े राज्यों पर जीत दर्ज की। कहा जाता है कि उन्होंने सिल्क रूट के कुछ हिस्सों पर भी जीत हासिल की थी। माना जाता है कि तुर्फान और कुचान शहरों पर कब्जा किया था, जो आज के चीन का हिस्सा हैं। तिब्बत पर ललितादित्य ने जीत दर्ज की थी।

सम्राट ललितादित्य ने अपने शासनकाल में कई शहरों का निर्माण किया था। उन्होंने राज्य के अलग-अलग हिस्सों में पानी पहुंचाने के लिए कई नहरों का भी निर्माण किया था। यही नहीं, ललितादित्य काफी धार्मिक भी रहे थे। उन्होंने लगभग हर शहर में देवी-देवातओं के मंदिरों का निर्माण किया था। उन्होंने विष्णु, शिव, सूर्य और बुद्ध की मूर्तियां स्थापित की थी।

ललितादित्य ने मर्तांड सूर्य मंदिर का भी निर्माण किया था। हालांकि, ललितादित्य के समय के बनाए गए कोई भी मंदिर या मूर्ति अब मौजूद नहीं हैं।इस जीत के बाद यमुना और कलिका के बीच की भूमि कश्मीर राज में आ गई। ऐसे ही ललितादित्य ने कई बड़े राज्यों पर जीत दर्ज की। कहा जाता है कि उन्होंने सिल्क रूट के कुछ हिस्सों पर भी जीत हासिल की थी। माना जाता है कि तुर्फान और कुचान शहरों पर कब्जा किया था, जो आज के चीन का हिस्सा हैं। तिब्बत पर ललितादित्य ने जीत दर्ज की थी। पर मर्तांड मंदिर के अवशेष आज भी मौजूद है। इस मंदिर के अवशेष को देखकर पता चल जाता है कि ललितादित्य कितने कला प्रेमी रहे होंगे।

ललितादित्य ने अपना ज्यादातर वक्त सैन्य अभियानों में ही बिताया। अपने राज में बेहतर शासन व्यवस्था के लिए उन्होंने अपने बड़े पुत्र कुवल्यापीड़ को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। ललितादित्य के निधन को लेकर अलग-अलग बातें कहानियां प्रचलित हैं।इस जीत के बाद यमुना और कलिका के बीच की भूमि कश्मीर राज में आ गई। ऐसे ही ललितादित्य ने कई बड़े राज्यों पर जीत दर्ज की। कहा जाता है कि उन्होंने सिल्क रूट के कुछ हिस्सों पर भी जीत हासिल की थी। माना जाता है कि तुर्फान और कुचान शहरों पर कब्जा किया था, जो आज के चीन का हिस्सा हैं। तिब्बत पर ललितादित्य ने जीत दर्ज की थी। कुछ रिपोर्ट में कहा जाता है कि बर्फबारी के कारण ललितादित्य का निधन हुआ जबकि एक अन्य रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि वह एक महान सम्राट के तौर पर मरना चाहते थे और उन्होंने खुद को आग के हवाले कर दिया था।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments