हाल के दिनों में मुलायम सिंह की तबीयत बिगड़ने की वजह से मृत्यु हो गई! 22 नवंबर 1939 को सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव की पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में हुई। मुलायम कुछ समय तक मैनपुरी के करहल में जैन इंटर कॉलेज में अध्यापक भी रहे। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर मुलायम सिंह की दो शादियां हुईं। पहली पत्नी मालती देवी का निधन मई 2003 में हो गया था। अखिलेश यादव मुलायम की पहली पत्नी के ही बेटे हैं।
मुलायम 1967 से लेकर 1996 तक 8 बार उत्तर प्रदेश में विधानसभा के लिए चुने गए। एक बार 1982 से 87 तक विधान परिषद के सदस्य भी रहे। 1996 में उन्होंने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और विजयी हुए। इसके बाद से अब तक 7 बार लोकसभा में पहुंचे, निधन के वक्त भी वह लोकसभा सदस्य थे। 1977 में वह पहली बार यूपी में मंत्री बने थे। तब उन्हें कोऑपरेटिव और पशुपालन विभाग दिया गया। 1980 में लोकदल का अध्यक्ष पद संभाला। 1985-87 में उत्तर प्रदेश में जनता दल के अध्यक्ष रहे। पहली बार 1989 में यूपी के मुख्यमंत्री बने। 1993-95 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
2003 में तीसरी बार सीएम बने और चार साल तक गद्दी पर रहे। 1996 में जब देवगौड़ा सरकार बनी, तब मुलायम रक्षा मंत्री बने। राजनीति के दांवपेंच उन्होंने 60 के दशक में राममनोहर लोहिया और चरण सिंह से सीखे। लोहिया ही उन्हें राजनीति में लेकर आए। लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने उन्हें 1967 में टिकट दिया था और वह पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे। उसके बाद वह लगातार प्रदेश के चुनावों में जीतते रहे।
उनकी पहली पार्टी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी थी तो दूसरी पार्टी बनी चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय क्रांति दल, जिसमें वह 1968 में शामिल हुए। चरण सिंह की पार्टी के साथ जब संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का विलय हुआ तो भारतीय लोकदल बन गया। ये मुलायम के सियासी पारी की तीसरी पार्टी बनी। शुरुआती दिनों में पहलवानी का शौक रखने वाले मुलायम सिंह ने 55 साल तक राजनीति की।
मुलायम सिंह 1967 में 28 साल की उम्र में जसवंतनगर से पहली बार विधायक बने। जबकि उनके परिवार का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं था। मुलायम सिंह का कुनबा प्रदेश की राजनीति में खासा दखल रखता है। वह अपने पांच भाइयों में दूसरे नंबर के थे। इनमें सबसे बड़े भाई रतन सिंह यादव की मृत्यु हो चुकी है, जबकि अभयराम सिंह यादव तीसरे नंबर के, राजपाल सिंह यादव चौथे नंबर और शिवपाल सिंह यादव पांचवें भाई हैं। रतन सिंह यादव के बेटे रणवीर सिंह यादव की मृत्यु हो चुकी है। उनकी पत्नी मृदुला यादव इस समय सैफई की ब्लाक प्रमुख हैं, जबकि बेटा तेज प्रताप सिंह यादव पूर्व सांसद है।
मुलायम सिंह के पुत्र अखिलेश यादव सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हैं। उनके दूसरे पुत्र प्रतीक यादव लखनऊ में रहते हैं उनकी पत्नी अपर्णा यादव हैं। अभय राम सिंह यादव के पुत्र धर्मेंद्र यादव पूर्व सांसद हैं और प्रदेश की राजनीति में खासे सक्रिय हैं, जबकि अनुराग यादव धर्मेंद्र के बड़े भाई हैं और व्यापार देखते हैं। चौथे नंबर के राजपाल सिंह यादव के दो बेटे अभिषेक यादव और आर्यन यादव हैं। अभिषेक जिला पंचायत इटावा के अध्यक्ष हैं, जबकि आर्यन पढ़ाई कर रहे हैं।
पांचवें नंबर के भाई शिवपाल सिंह यादव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष हैं। इनके पुत्र आदित्य यादव प्रसपा के प्रदेश अध्यक्ष और जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष हैं। मुलायम सिंह की बहन कमला देवी हैं जो शहर के फ्रेंड्स कालोनी में रहती हैं।मुलायम सिंह 1967 में 28 साल की उम्र में जसवंतनगर से पहली बार विधायक बने। जबकि उनके परिवार का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं था। मुलायम सिंह का कुनबा प्रदेश की राजनीति में खासा दखल रखता है। वह अपने पांच भाइयों में दूसरे नंबर के थे। इनमें सबसे बड़े भाई रतन सिंह यादव की मृत्यु हो चुकी है, जबकि अभयराम सिंह यादव तीसरे नंबर के, राजपाल सिंह यादव चौथे नंबर और शिवपाल सिंह यादव पांचवें भाई हैं। रतन सिंह यादव के बेटे रणवीर सिंह यादव की मृत्यु हो चुकी है। उनकी पत्नी मृदुला यादव इस समय सैफई की ब्लाक प्रमुख हैं, जबकि बेटा तेज प्रताप सिंह यादव पूर्व सांसद है। उनके पति डा. अजंट सिंह यादव रिटायर्ड प्रधानाचार्य हैं और बसरेहर के पूर्व ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं। सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव, मुलायम सिंह के चचेरे भाई हैं। इनके पुत्र अक्षय यादव सांसद रह चुके हैं। तो यह थी कहानी मुलायम सिंह यादव की जो अपने जीवन में इतने बड़े पहलवान रहे कि राजनीति में भी सब को पछाड़ते चले गए!