आज हम आपको ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के बारे में सब कुछ बताने वाले हैं! 42 साल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री हैं। सिर्फ 45 दिनों के अंदर लिज ट्रस ने इस्तीफा दे दिया और इसके साथ ही उनके पीएम बनने के रास्ते खुल गए। साल 2017 में सुनक ने संसद का चुनाव जीता और यहीं से उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई। लॉकडाउन में जब वह चांसलर बने तो उनकी पॉपुलैरिटी आसमान छूने लगी। आज 5 फीट 6 इंच के सुनक 10 डाउनिंग स्ट्रीट तक पहुंचे और इसके साथ ही हिंदू धर्म पर भी चर्चा होले लगी। दिवाली के मौके पर आई यह खबर हर भारतीय के लिए बोनस में मिली गुड न्यूज की तरह है। हो भी क्यों न आखिरकार जिन गोरों ने कभी देश को गुलाम बनाकर रखा, आज उसी देश से जुड़ा एक शख्स वहां राज करेगा। सुनक ने एक बार खुद को एक गौरवशाली हिंदू करार दिया था और अब लोग उनके इस बयान पर जमकर चर्चा कर रहे हैं। सुनक की 10 खास बातें उन्हें और ज्यादा लोकप्रिय बना देती हैं।
साल 2020 में ऋषि सुनक को वित्त मंत्री की शपथ दिलाई गई। इस दौरान उन्होंने भगवद गीता पर हाथ रखकर शपथ ली और वो हर भारतीय के फेवरिट बन गए। इस पर एक ब्रिटिश अखबार ने जब उनसे पूछा तो उन्होंने अपने ही अंदाज में इसका जवाब दिया। ऋषि ने कहा, ‘मैं अब ब्रिटेन का नागरिक हूं लेकिन मेरा धर्म हिंदू है। भारत मेरी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत है। मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं एक हिंदू हूं और हिंदू होना ही मेरी पहचान है।’ अपनी डेस्क पर भगवान गणेश की प्रतिमा रखने वाले सुनक धार्मिक आधार पर बीफ त्यागने की अपील भी कर चुके हैं। वो खुद भी बीफ का सेवन नहीं करते हैं। ऋषि, शराब भी नहीं पीते हैं। आज भी ऋषि की डेस्क पर भगवान गणेश की एक छोटी सी प्रतिमा है जो उनकी पत्नी अक्षता ने रखी थी।
इस साल अगस्त में जब ऋषि प्रधानमंत्री पद के लिए पहली बार रेस में थे तो गाय की पूजा का उनका एक वीडियो काफी वायरल हुआ था। जन्माष्टमी के मौके पर ऋषि ने अपनी पत्नी अक्षरा के साथ गाय की पूजा की थी। ऋषि और अक्षरा दो बेटियां कृष्णा और अनुष्का के माता-पिता हैं। सुनक को साल 2020 से ही देश का अगला प्रधानमंत्री बताया जाने लगा था। सुनक ने ब्रिटेन के विंचेस्टर कॉलेज से स्कूल की पढ़ाई की। ये देश के सबसे प्रतिष्ठित स्कूलों में शामिल है। इसके बाद वो ऑक्सफोर्ड और अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी पहुंचे और यहां से आगे की पढ़ाई पूरी की। राजनीति में आने से पहले उन्होंने गोल्डमैन शैक्स और कुछ और कंपनियों में काम किया था।
साल 2015 में उनका नाम उस समय ब्रिटेन के बाहर सुना गया जब उन्होंने पहली बार हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए अपनी किस्मत आजमाई थी। साल 2020 में कोविड-19 के दौरान जब पूरी दुनिया ने पहली बार लॉकडाउन का अनुभव किया तो उसी दौरान सुनक हर किसी की नजर में आने लगे। सुनक ने ग्रे हुडी के साथ वर्क फ्रॉम होम की अपनी फोटो ट्वीट की। एक पूर्व इनवेस्टमेंट बैंकर सुनक की इस फोटो में उनकी सादगी ने लोगों का दिल जीत लिया। सूट की जगह हुडी में नजर आने वाले सुनक अपने काम में बिजी थे। इस फोटो के बाद ट्विटर पर #DishyRishi ट्रेंड शुरू हो गया। ये नया हैशटैग नहीं था। इससे पहले ये हैशटैग ब्रिटिश टीवी शो में डांस करने वाले ऋषि शर्मा के लिए था। सुनक की फैमिली मैन की इमेज हर किसी को अट्रैक्ट करने लगी थी।
ऋषि सुनक पंजाबी खत्री परिवार से आते हैं। ऋषि के दादा रामदास सुनक गुंजरावाला में रहते थे जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान में चला गया था। रामदास ने सन् 1935 में गुंजरावाला छोड़ा और वो क्लर्क की नौकरी करने के लिए नैरोबी आ गए। ऋषि की बायोग्राफी लिखने वाले माइकल एशक्रॉफ्ट ने बताया है कि रामदास सुनक हिंदू-मुसलमान के बीच खराब होते रिश्तों की वजह से नैरोबी गए थे। रामदास की पत्नी सुहाग रानी सुनक, गुंजरावाला से दिल्ली आ गई थीं और उनके साथ उनकी सास भी थी। इसके बाद वो सन् 1937 में केन्या चली गईं।
ऋषि के नाना रघुबीर बेरी पंजाब के रहने वाले थे। फिर वो एक रेलवे इंजीनियर के तौर पर तंजानिया चले गए। यहां पर उन्होंने तंजानिया में जन्मीं सरक्षा सुनक से शादी की। बायोग्राफ के मुताबिक सरक्षा साल 1966 में वन वे टिकट पर यूके गई थीं जो उन्होंने अपने शादी के गहने बेचकर खरीदा था। बेरी भी यूके आ गए और यहां पर कई साल तक इनलैंड रेवेन्यू के साथ उन्होंने काम किया। इसके बाद वो साल 1988 में ब्रिटिश राजशाही के तहत मेंबर ऑफ ऑर्डर बने। इस दंपति के तीन बच्चे थे जिनमें से एक ऋषि की मां ऊषा भी थीं। उन्होंने सन्1972 में एश्टन यूनिवर्सिटी से फार्मालॉजी में डिग्री ली थी। माता-पिता की पहली मुलाकात लिसेस्टर में हुई थी और साल 1977 में उन्होंने शादी कर ली।
ऋषि सुनक के अप्रवासी नागरिक होने का मसला हर बार उठाया जाता है। पूर्व पीएम लिज ट्रस ने भी एक बार बहस में इसका जिक्र किया था। इस पर ऋषि ने कहा था, ‘आप बार-बार इस मुद्दे को उठाती रहती हैं। मैं आपको बता दूं कि मेरा परिवार आज से 60 साल पहले यहां पर आया था। मेरी मां साउथ हैंपटन में एक लोकल केमिस्ट थीं। मैं यहीं पर दवाईयां बांटते हुए बड़ा हुआ हूं। मैंने सड़क पर बने एक भारतीय रेस्टोरेंट में वेटर का काम किया है। मैं यहां पर खड़ा हूं क्योंकि मैं कड़ी मेहनत करता हूं, मेरे माता-पिता ने बलिदान किया है और उन्होंने मुझे वो मौके दिए हैं जिसकी वजह से मैं प्रधानमंत्री बनना चाहता हूं।’