रोहिंग्या संकट के बारे में तो आपने सुना ही होगा! दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा फिर से सुर्खियों में है। दरअसल, रोहिंग्या शरणार्थी के मसले पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के ट्वीट ने इसे फिर से प्रकाश में ला दिया। केंद्र की बीजेपी सरकार इन शरणार्थियों को डिपोर्ट करने की बात कई बार कह चुकी है। ऐसे में पुरी का शरणार्थियों को फ्लैट देने वाले ट्वीट के बाद मुद्दा गरमा गया। हालांकि, गृह मंत्रालय ने तुरंत इसपर सफाई देते हुए कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी अभी जहां हैं वहीं रहेंगे और गृह मंत्रालय उनको फ्लैट नहीं रखने जा रही है। म्यांमार में 2017 में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के बाद बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी बनकर भारत और बांग्लादेश जैसे देशों में पहुंच गए थे।
दिल्ली में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए बड़ी संख्या में रहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में 1,100 से ज्यादा रोहिंग्या घुसपैठिए रहते हैं। बताया जाता है कि ये लोग अवैध तरीके से भारत में घुसे हैं। इन शरणार्थियों ने दिल्ली में अवैध तरीके से आधार कार्ड, पहचान पत्र, राशन कार्ड बनवा लिए हैं। ये दिल्ली के कई अलग-अलग इलाकों में झुग्गी बनाकर रहते हैं। 2003 में दिल्ली पुलिस ने अवैध घुसपैठियों को पकड़ने के लिए एक सेल बनाया था और इस दौरान करीब 40 हजार अवैध घुसपैठिए को पकड़ा भी गया था। लेकिन फिलहाल ये सेल अब कम सक्रिय हो गया है। दरअसल, सेल की कम सक्रियता के पीछे की वजह है कि ये अवैध घुसपैठिये ऐसे पहचान पत्र यहां बनवा लेते हैं कि जिससे ये जानना मुश्किल हो जाता है कि वे अवैध घुसपैठिये हैं या देश के नागरिक। 2018 में एक आरटीआई के जवाब में दिल्ली पुलिस ने बताया था कि 2014-18 के बीच करीब 1,134 घुपैठिए पकड़ने की जानकारी दी थी।
किन इलाकों में रहते हैं
राजधानी दिल्ली के अलग-अलग इलाके में सैकड़ों रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं। सरकार ने जहां अभी बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं उसे दिल्ली सरकार को डिटेंशन सेंटर घोषित करने को कहा है। इसके अलावा भी दिल्ली में कुछ ऐसे इलाके हैं जहां अवैध घुसपैठिए रहते हैं। विकासपुरी, नजफगढ़, सीमापुरी रेलवे स्टेशन। जहांगीपुरी, भलस्वा डेयरी जैसे इलाके में अवैध घुसपैठिये की बड़ी तादाद है। इसके अलावा श्रम विहार, कालिंदी कुंज भी अवैध घुसपैठिये रहते हैं।
वर्ष 2017 में केंद्र सरकार ने बताया था कि देश में करीब 40 हजार अवैध रोहिंग्या घुसपैठिये रह रहे हैं। ये घुसपैठिये देश के अलग-अलग राज्यों या शहरों में रहते हैं। रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में रहते हैं। उधर, संयुक्त राष्ट्र संस्ता UNHRC के अनुसार, भारत में 2021 के दिसंबर महीने तक देश के अलग-अलग इलाके में करीब 18 हजार रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक सबसे ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान जम्मू-कश्मीर के आसपास के इलाके में रहते हैं। खबरों के मुताबिक यहां करीब 5 हजार रोहिंग्या रहते हैं। हालांकि, कई पक्ष यहां 10 हजार रोहिंग्या मुसलमानों के होने का दावा करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के जेनेवा ऑफिस में 2 से 25 जुलाई 1951 तक दुनियाभर में शरणार्थियों के संकट पर एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में शरणार्थियों की स्थिति और राज्य विहीन लोगों की स्थिति पर चर्चा की गई थी। 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी चार्टर के अनुसार, दुनिया के हर इंसान को यातना और उत्पीड़न से बचने के लिए दूसरे देश में शरण लेने का अधिकार है। हालांकि, साथ ही इसमें ये बात भी जोड़ी गई है कि शरण पाना कोई अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त अधिकार नहीं होगा। जेनेवा संधि के अनुसार शरणार्थियों को उन देशों में भेजे जाने पर रोक है जहां उनका उत्पीड़न हुआ हो।
दिल्ली की डेप्युटी सीएम सिसोदिया ने दावा किया कि रोहिंग्या मुसलमानों को स्थानांतरित करने का निर्णय अधिकारियों ने दिल्ली के उपराज्यपाल के इशारे पर लिया था। उन्होंने कहा कि फैसला लेने के बाद इसे दिल्ली के मुख्यमंत्री या दिल्ली के गृह मंत्री को दिखाये बिना उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए भेज दिया गया।दिल्ली की डेप्युटी सीएम सिसोदिया ने दावा किया कि रोहिंग्या मुसलमानों को स्थानांतरित करने का निर्णय अधिकारियों ने दिल्ली के उपराज्यपाल के इशारे पर लिया था। उन्होंने कहा कि फैसला लेने के बाद इसे दिल्ली के मुख्यमंत्री या दिल्ली के गृह मंत्री को दिखाये बिना उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए भेज दिया गया।दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार रोहिंग्याओं को दिल्ली में अवैध रूप से बसाने की इस साजिश को सफल नहीं होने देगी।’ दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार रोहिंग्याओं को दिल्ली में अवैध रूप से बसाने की इस साजिश को सफल नहीं होने देगी।’