जानिए इस्लामिक संगठन पीएफआई के बारे में सब कुछ!

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हाल ही के दिनों में पीएफआई के ऊपर एनआईए का कहर बरपा है! पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया। गुरुवार को लगभग 10 राज्यों में नेशनल इनवेस्टिगेशन ने इसके ठिकाने पर छापेमारी की और 100 से ज्यादा सदस्यों को गिरफ्तार किया। केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना में भी बड़े पैमाने पर कार्रवाई हुई। इस दौरान एनआईए ने पीएफआई के चेयरमैन ओएमए सलाम, केरल राज्य प्रमुख सीपी मोहम्मद बशीर, राष्ट्रीय सचिव वीपी नजरुद्दीन और राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रो. पी कोया शामिल को गिरफ्तार किया। सबसे ज्यादा लोगों को केरल से गिरफ्तार किया गया है जिसे पीएफआई का गढ़ माना जाता है। ऐसा नहीं है कि इस तरह की कार्रवाई पीएफआई पर पहली बार की जा रही है। हिजाब मामले में विरोध प्रदर्शन और कई राज्यों में सीएए और एनआरसी को लेकर हुए प्रदर्शनों में भी इस संगठन का नाम सामने आ चुका है। आइये जानते हैं पीएफआई है क्या और इसका मुखिया ओएमए सलाम कौन है?

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या पीएफआई खुद को एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन बताता है। संगठन का कहना है कि वह पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक की आवाज उठाता है। संगठन के विकिपीडिया पेज के हिसाब से इसकी स्थापना 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF, दक्षिण भारत परिषद मंच) के उत्तराधिकारी के रूप में हुई। बताया जाता है कि इसकी शुरुआत केरल के कालीकट से हुई। लेकिन इसका मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में है।मुस्लिम संगठन होने नाते इनकी ज्यादातर गतिविधियां इसी समुदाय के आसपास होती है। ये संगठन वर्ष 2006 में तक खूब सुर्खियों में आया था जब दिल्ली के राम लीला मैदान में इनकी तरफ से नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था जहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। संगठन का दावा है कि वह देश के 23 से ज्यादा राज्यों में है।

वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद दक्षिणी राज्यों में इस तरह के कई संगठन बने। इनमें राष्ट्रीय विकास मोर्चा, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु की मनिथा नीति पासारी के भी नाम थे। 2006 में इन तीनों संगठनों का विलय हो जाता है और उसे पीएफआई का नाम दे दिया जाता है। संगठन का कहना है कि वह देश में मुसलमानों और दलितों के लिए काम करता है और मध्य पूर्व के देशों से आर्थिक मदद भी मांगता है। पीएफआई का मुख्यालय कोझीकोड में था। लेकिन बाद में उसे देश की राजधानी दिल्ली शिफ्ट कर दिया गया। ओएमए सलाम पीएफआई चेयरमैन हैं और ईएम अब्दुल रहमान वाइस चेयरमैन हैं।

पीएफआई पर भड़काऊ नारेबाजी, हत्या से लेकर हिंसा फैलाने तक के आरोप लग चुके हैं। इसी साल मई में संगठन की एक रैली में एक बच्चे से भड़काऊ नारे लगे थे। इस मामले ने काफी तुल पकड़ लिया था। इस मामले में केरल पुलिस ने 20 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया था। स मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने हस्तक्षेप करते हुए पुलिस से जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। इस मामले केरल हाई कोर्ट ने भी प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी। हालांकि पीएफआई का विवादों से पुराना नाता रहा है। पीएफआई ने केरल के चेलारी में एकता मार्च निकाला था। इस रैली में आरएसएस की ड्रेस पहने युवकों को जंजीर से बंधा हुआ दिखाया था जिस पर काफी विवाद मचा था।

संगठन पर केरल में कई हिंदूवादी संगठनों की नेताओं की हत्या में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। इसके अलावा टेरर लिंक, दिल्ली-यूपी में सीएए-एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शन को फाइनेंस करने, हिजाब मुद्दे को सुलगाने और हाथरस कांड के दौरान हिंसा भड़काने का आरोप भी लगता रहा है।2017 में केरल पुलिस ने लव जिहाद के मामले सौंपे थे, जिसमें पीएफआई की भूमिका सामने आई थी। वहीं 2016 में कर्नाटक में आरएसएस नेता रूद्रेश की हत्या में भी पीएफआई का नाम आया था।

2016 में एनआईए ने केरल के कन्नूर से आतंकी संगठन आईएस से प्रभावित अल जरूल खलीफा ग्रुप का खुलासा किया था। इसे देश के खिलाफ जंग छेड़ने और समुदायों को आपस में लड़ाने के लिए बनाया गया था। बाद में एनआईए को जांच में पता चला कि गिरफ्तार किए गए ज्यादातर सदस्य पीएफआई से थे। इससे पहले 2013 में एनआईए ने पीएफआई के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट के अनुसार, PFI/SDPI के एक्टिविस्ट आपराधिक साजिश में शामिल हैं और उन्होंने अपने कैडर को हथियारों और विस्फोटकों की ट्रेनिंग दी थी। ये ट्रेनिंग कन्नूर जिले में लगाए गए आतंकी कैंपों में दी गई।

2012 में पीएफआई के टेरर लिंक सामने आने के बाद इस संगठन को बैन करने की मांग उठी थी लेकिन तत्कालीन केरल सरकार ने उसका समर्थन किया था। 2017 में एनआईए ने गृह मंत्रालय को सौंपी अपनी विस्तृत रिपोर्ट में पीएफआई और इसके राजनीतिक दल सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के आतंकी गतिविधियों जैसे बम निर्माण में शामिल होने के चलते बैन लगाने की मांग की थी।

भारत के कई राज्य सरकारें भी समय-समय पर पीएफआई को बैन करने की मांग कर चुकी हैं। सीएए-एनआरसी प्रदर्शन के दौरान यूपी सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस संगठन को पूरी तरह बैन करने की मांग की थी। पिछले साल असम ने भारत सरकार से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था। असम सीएम का आरोप था कि वे सीधे तौर पर विध्वंसक गतिविधियों से जुड़े हुए हैं।

ओमा सलाम का पूरा नाम मोहम्मद अब्दुल सलाम ओवनगल है। पीएफआई में उसे ओएमए सलाम या ओमा सलाम के नाम से जाना जाता है। सलाम केरल में बिजली विभाग का कर्मचारी था। दिसंबर 2020 में केरल राज्य बिजली बोर्ड (केएसईबी) ने संदिग्ध गतिविधियों के आरोप में निलंबित कर दिया था। सलाम पर कार्रवाई करते हुए बिजली विभाग ने कहा, ‘जांच के दौरान यह पता चला कि ओमा सलाम एक ऐसे संगठन का नैशनल चेयरमैन है, जिसकी कथित संदिग्ध गतिविधियां और पैसों के लेन-देन संदेह के दायरे में हैं। सलाम इन मामलों को लेकर कई जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में है।’ सलाम को सस्पेंड करते हुए केरल बिजली बोर्ड ने यह भी कहा कि बिना जरूरी मंजूरी लिए उसने कई बार विदेश यात्राएं भी कीं।