एक ऐसा भारतीय लड़का जिसने हावर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी हासिल की! तमिलनाडु के हिंदू ब्राह्मण परिवार का एक लड़का पढ़ाई के लिए हार्वर्ड पहुंचता है। यहां उसकी मुलाकात एक पारसी लड़की से होती है। वह लड़की मुंबई से मैथमैटिक्स की पढ़ाई करने पहुंची थी। पहली ही नजर में लड़का, लड़की को पसंद करने लगता है। उसी दौरान वहां पंडित रविशंकर का एक म्यूजिक प्रोग्राम होने वाला था। लड़का उस लड़की को उस प्रोग्राम की टिकट बेचने की कोशिश करता है। इस तरह दोनों के प्यार की गाड़ी चल निकलती है। आखिरकार 10 जून 1966 को सुब्रमण्यम स्वामी और रोक्सना कपाड़िया शादी कर लेते हैं। दोनों के प्रेम कहानी के शादी के मोड़ तक पहुंचने का किस्सा भी दिलचस्प है। यह प्रेम कहानी है कि अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की। स्वामी के शब्दों में, ‘हमारी शादी साल 1966 में हुई थी। एक चीनी बौद्ध ने हमारी शादी की व्यवस्था की जिसके लिए उसने 40 डॉलर लिए। शादी के वक्त मेरी मां भी वहीं थीं।’
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने महज 24 साल की उम्र में ही हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में अपनी पीएचडी पूरी कर ली थी। इससे पहले उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैथमैटिक्स में मास्टर्स किया। उन्होंने इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट कलकत्ता से भी पढ़ाई की। हार्वर्ड से पढ़ाई पूरी करने के बाद स्वामी ने हार्वर्ड में पढ़ाना भी शुरू कर दिया था। वह साल 2011 तक हार्वर्ड में समर सेशन में इकोनॉमिक्स पढ़ाते थे। मुस्लिमों से जुड़े एक विवादित लेख के बाद उन्हें हार्वर्ड की विजिटिंग फैकल्टी लिस्ट से ड्रॉप कर दिया गया। राजनीति में एंट्री से पहले तक स्वामी ने आईआईटी दिल्ली में 1969 से लेकर 1970 के शुरुआती दशक तक यहां मैथमैटिकल इकोनॉमिक्स पढ़ाया। साल 1963 में ‘नोट्स ऑन फ्रेक्टाइल ग्राफिकल एनालिसिस’ पर उनका पेपर इकोनोमैट्रिका में पब्लिश हुआ था। साल 1974 में स्वामी ने पॉल सैमसन के साथ मिलकर थ्योरी ऑफ इंडेक्स नंबर पर पेपर पब्लिश किया था।
चीन की मंदारिन भाषा को दुनिया में सबसे मुश्किल भाषाओं में शुमार किया जाता है। किसी ने उन्हें इस भाषा को एक साल के भीतर सीखने को लेकर चैलेंज किया था। डॉ. स्वामी ने यह चैलेंज स्वीकार किया। साथ ही उन्होंने एक साल की बजाय महज तीन महीने के भीतर ही इस भाषा पर अपनी मास्टरी साबित कर अपनी दक्षता का लोहा मनवा दिया था। चीन पर स्वामी का विश्लेषण इतना मजबूत है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर मनमोहन सिंह भी ड्रैगन से जुड़े मसलों पर सुब्रमण्यम स्वामी की राय लेते थे। स्वामी ने विदेश मामलों को लेकर किताब भी लिखी हैं। इसमें चीन पाकिस्तान और इजरायल से कैसे निपटना है, के बारे विस्तार से बताया गया है।
सर्वोदय आंदोलन में शामिल होने के बाद स्वामी ने राजनीति में एंट्री की। वह पहली बार जनसंघ की तरफ से राज्यसभा भेजे गए। 1974 से 1976 तक वह राज्यसभा सांसद रहे। 1975 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई तो उस समय स्वामी के खिलाफ भी गिरफ्तारी को लेकर वारंट जारी हुआ। गिरफ्तारी वारंट के बावजूद स्वामी ने ना सिर्फ संसद के सत्र में शामिल हुए बल्कि सिख के वेश में देश से बाहर निकलने में भी सफल रहे। 1977 में वह पहली बार लोकसभा सांसद बने। 1980 में वह फिर से लोकसभा के लिए चुने गए। साल 1988 से 1994 के दौरान वह दो बार राज्यसभा सांसद रहे। 1990 से 91 के दौरान चंद्रशेखर की सरकार में वह कैबिनेट मंत्री बने। स्वामी को कॉमर्स मिनिस्टर के साथ ही विधि और न्याय मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था। स्वामी ने 1990 में जनता दल की स्थापना की। वह 1974 से लेकर 1999 तक पांच बार लोकसभा सांसद रहे। स्वामी जनता दल के संस्थापक सदस्यों में थे। 1990 में जब आधिकारिक रूप से पार्टी स्थापित हुई तो 1990 से लेकर 2013 तक वह पार्टी के अध्यक्ष रहे। साल 2013 में उन्होंने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया। उस समय राजनाथ सिंह बीजेपी अध्यक्ष थे। साल 2016 में स्वामी को राज्यसभा के लिए नामित किया गया।
आज से ठीक पांच साल पहले सिंतबर में ही सुब्रमण्यम स्वामी की पत्नी की एक किताब लॉन्च हुई थी। उस किताब के विमोचन के समय स्वामी ने कहा था कि मैं जब बायोग्राफी लिखूंगा तो कई लोगों की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी। स्वामी का कहना है कि मेरा जिंदगी में फोकस इस बात पर रहा है कि जो चाहते हो उसे करो और उसे जितना बेहतर तरीके से कर सकते हो करो।
सुब्रमण्यम स्वामी के बारे में ये अक्सर कहा जाता है कि वह मोदी सरकार में मंत्रिपद नहीं मिलने से नाराज रहते हैं। यही वजह है कि वह कई बार पीएम मोदी और एनडीए सरकार की नीतियों की खुलेआम आलोचना से भी नहीं चूकते हैं। मंत्री पद और पीएम मोदी से नाराजगी के सवाल पर स्वामी ने एक बार कहा था कि मैंने कभी भी नरेंद्र मोदी कैबिनेट में मंत्री पद नहीं मांगा और ना ही पीएम ने उन्हें मंत्री पद की पेशकश की। हालांकि, उन्होंने कहा था कि जब उनका टाइम आएगा तो उन्हें वह मिल जाएगा जो उन्हें मिलना चाहिए। स्वामी के मंत्री पद को लेकर जस्टिस एफ. नरीमन ने कहा था कि कुछ कॉर्पोरेट के इशारे पर उन्हें कैबिनेट से बाहर रखा गया।
स्वामी का जन्म 15 सितंबर 1939 को तमिलनाडु के मायलापुर में हुआ। उनके पिता सीतारमण सुब्रमण्यम मदुरै से थे। पिता शुरू में एक भारतीय सांख्यिकी सेवा में अधिकारी थे। बाद में केंद्रीय सांख्यिकी संस्थान के निर्देशक के रूप में रिटायर हुए। उनकी मां पद्मावती हाउस वाइफ थीं। वहीं, सुब्रमण्यम स्वामी की पत्नी पेशे से मैथमेटिशियन है लेकिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकालत भी की है। वह, कई मामलों में स्वामी की तरफ से पैरवी भी कर चुकी हैं। स्वामी और रोक्साना की दो बेटियां गीतांजलि और सुहासिनी हैं। सबसे बड़ी बेटी गीतांजलि स्वामी एक एंटरप्रेन्योर और प्राइवेट इक्विटी प्रफेशनल हैं। छोटी बेटी सुहासिनी हैदर, प्रिंट और टेलीविजन जर्नलिस्ट हैं। उन्होंने पूर्व भारतीय विदेश सचिव सलमान हैदर के बेटे नदीम हैदर से शादी की है।