आज हम आप सभी को जन्म देने वाले बाप की अद्भुत कहानियाँ बताने जा रहे हैं! बाप-बेटे के रिश्ते पर बनीं इस फिल्म में एक बेटा अपने पिता को दुश्मनों से बचाने के लिए हर हद पार कर देता है। बेटा जानता है बिना पिता के उसका कोई वजूद नहीं है। रील हो या रीयल लाइफ, पिता का किरदार बच्चों के जीवन का आधार होता है। पिता का प्यार और डांट, दोनों अनमोल हैं। इसकी कोई कीमत नहीं होती। पिता को यूं ही ‘आसमान’ नहीं कहते हैं, पिता अपने बच्चों की एक खुशी पर सब कुछ कुर्बान कर देता है। वहीं बच्चों पर कुछ आफत आए तो वो सारी दुनिया से भी लड़ जाता है। पिछले कुछ दिनों से पिता की ‘दिलदारी’ और ‘लाचारी’ की दो भावुक तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं। एक तस्वीर है भारत के मशहूर उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनके बेटे अनंत की और दूसरी तस्वीर है राजस्थान में तैनात सब इंस्पेक्टर नरेश शर्मा और उनके 21 महीने के बेटे हृदयांश की। जहां एक तरफ मुकेश अंबानी ने अपने बेटे की प्री-वेडिंग इवेंट पर एक हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा खर्च कर दिए, वहीं दूसरी तरफ नरेश शर्मा अपने 21 महीने के बेटे को गंभीर बीमारी ‘स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी’ से बचाने के लिए 17.5 करोड़ रुपये जुटाने में लगे हैं। यह रकम जुटाना उनके लिए ‘एवरेस्ट’ पर चढ़ाई करने से भी कठिन चुनौती है। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी है, उन्हें पूरी उम्मीद है कि वह अपने बेटे को दर्द और तकलीफ से उबार लेंगे। नरेश शर्मा अपने बेटे की जान बचाने के लिए दरबदर भटक रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए वह अपने बेटे के इलाज के लिए मदद मांग रहे हैं। नरेश कुमार पेशे से पुलिस इंस्पेक्टर हैं। आमतौर पर पुलिस महकमे के लोगों को सख्त मिजाज वाला समझा जाता है। लेकिन जब बेटा तकलीफ में हो तो पुलिसवाले की आंखों में भी आंसुओं की सुनामी आ जाती है। नरेश शर्मा भी अपने आंसुओं को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं, बेटे के लिए मदद की गुहार लगाते वक्त वह खूब रो रहे हैं। बच्चों की खुशी का लम्हा हो या दुख का पल, पिता के आंसू छलक ही जाते हैं। देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी भी अपने बेटे अनंत के प्री-वेडिंग इवेंट में भावुक हो गए थे और उनकी आंखों से आंसू छलक गए थे। दरअसल अनंत अंबानी ने अपने प्री-वेडिंग इवेंट में दिल छू लेने वाली स्पीच दी थी। अनंत ने उनकी प्री-वेडिंग के पल को खूबसूरत बनाने के लिए अपने माता-पिता को थैंक्स कहा था। उन्होंने उन हेल्थ इश्यू के बारे में भी बताया जिनका वह बचपन से सामना कर रहे हैं और कैसे उनके माता-पिता ने उन्हें कभी कष्ट महसूस नहीं होने दिया। दरअसल 2017 में अपने एक इंटरव्यू में अनंत अंबानी की मां नीता अंबानी ने बताया था कि उनका बेटा गंभीर अस्थमा से पीड़ित था, इसलिए उन्हें उसे बहुत सारे स्टेरॉयड पर रखना पड़ा, जिसके चलते अनंत का वजन फिर से बढ़ गया था। अस्थमा के इलाज में स्टेरॉयड दवाओं का उपयोग श्वसन नलिकाओं को खोलने में मदद करता है, जिससे सांस की समस्या से राहत मिलती है। हालांकि इसके साइड इफेक्ट में वजन बढ़ना भी शामिल है।
राजस्थान के धौलपुर जिले के मनियां पुलिस थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर नरेश शर्मा का 21 महीने का बेटा हृदयांश गंभीर बीमारी ‘स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी’ से पीड़ित है। इस बीमारी की वजह से हृदयांश अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता है। डॉक्टर ने इलाज के लिए 17.5 करोड़ रुपये का एक इंजेक्शन ZOLGESMA की जरूरत बताई है। इतनी बड़ी रकम का इंतजाम करना हृदयांश के पिता नरेश के लिए संभव नहीं है। नरेश ने अपने बेटे हृदयांश की जान बचाने के लिए एक अभियान शुरू किया है। नरेश क्राउड फंडिंग के जरिए पैसा इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स और यूट्यूब पर ह्रदयांश को बचाने की मुहिम चल पड़ी है। सोशल मीडिया पर ह्रदयांश की बीमारी के बारे में जानकर उसकी मदद के लिए हजारों लोग आगे आए हैं। वहीं राजस्थान के पुलिस महानिदेशक यूआर साहू ने भी सब इंस्पेक्टर नरेश शर्मा के बेटे के लिए अपील जारी की है। डीजीपी साहू ने पुलिस विभाग के सभी आईपीएस अधिकारियों और कर्मचारियों को एक पत्र जारी करके नरेश शर्मा के बेटे ह्रदयांश की जान बचाने के लिए सहयोग करने की अपील की है। कई आईपीएस अफसर भी ह्रदयांश की मदद के लिए मुहिम चला रहे हैं। कुछ आईपीएस अफसरों ने 51,000 तो कुछ अफसरों ने 25-25 हजार रुपये की सहयोग राशि दी है।
21 महीने के हृदयांश को स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी नाम की बीमारी है। ये काफी दुर्लभ बीमारी है। इसके सिर्फ एक ही इलाज है। इसमें Zolgensma नाम का इंजेक्शन लगाया जाता है। दुनिया की सबसे महंगा इंजेक्शन एक बार फिर चर्चा में है। यह वन-टाइम जीन थेरेपी है जिसका यूज स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) से जूझ रहे बच्चों के इलाज में किया जाता है। हालांकि यह भारत में अप्रूव्ड नहीं है लेकिन डॉक्टर की सलाह और सरकार की मंजूरी के बाद इसका आयात किया जा सकता है। यह दुनिया की सबसे महंगी दवा है। भारत में इसकी एक डोज की कीमत 17 करोड़ रुपये बैठती है।
Zolgensma को स्विस कंपनी नोवार्तिस ने विकसित किया है। यह दुर्लभ जेनेटिक बीमारी एसएसए के इलाज में काम आती है। एसएमए एक घातक, न्यूरोमस्कुलर और प्रोग्रेसिव आनुवंशिक बीमारी है। यह खासतौर से ब्रेन की नर्व सेल्स और रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाती है। एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका में 10,000 से 25,000 बच्चे और वयस्क इस बीमारी से जूझ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि बहुत कम मरीज दवा को खरीद पाते हैं, इसलिए इसकी कीमत बहुत ऊंची बनी रहती है। दुनिया में एसएमए के इलाज के लिए केवल तीन दवाओं को मंजूरी मिली है। इन्हें बनाने वाली कंपनियां बायोजेन, नोवार्तिस और रॉश है। इसकी भारी कीमत के बावजूद एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे एसएमए के इलाज और केयर में आने वाले खर्च को काफी हद तक ऑफसेट किया जा सकता है। नोवार्तिस की वेबसाइट के मुताबिक इस दवा को 45 देशों में मंजूरी मिली है और अब तक दुनियाभर में 2,500 मरीजों का इलाज किया जा चुका है। कंपनी का दावा किया है उसने 36 देशों में करीब 300 बच्चों को मुफ्त में जीन थेरेपी दी है।