जानिए अतीक अहमद के गुनाहों की सबसे बड़ी कहानी!

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आज हम आपको अतीक अहमद के सबसे बड़े गुनाह बताने जा रहे हैं! सालों नहीं दशकों तक उत्तर प्रदेश में दहशत फैलाने वाले अतीक अहमद के गुनाहों की फेहरिस्त पर अगर बात करें तो शायद वो कभी खत्म ही न हो। लूट, हत्या, किडनैपिंग, रंगदारी, फिरौती, मारपीट क्या कुछ नहीं किया इस माफिया ने उत्तर प्रदेश में। गरीब परिवार में पैदा होने के बाद अमीर बनने के ख्वाब देखना गलत नहीं है, लेकिन उन ख्वाबों को गलत राह चुनकर पूरा करना गलत ही नहीं अपराध है और यही अपराध का रास्ता अतीक अहमद ने बेहद छोटी उम्र में चुन लिया। खैर क्राइम तो इतने हैं कि कई किताबें लिख दी जाएं, लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं अतीक अहमद के वो 4 गुनाह जिनकी वजह से शायद खुद अतीक भी कभी चैन की नींद न सो पाया हो। ये गुनाह ऐसे हैं जिन्हें कोर्ट तो क्या जनता भी कभी माफ नहीं कर सकती। अतीक अहमद बचपन अपने पिता के तांगे में बैठकर अमीर और पॉवरफुल बनने के ख्वाब बुनता था। उस दौर में चकिया में चांद बाबा नाम से एक गैंगस्टर हुआ करता था। चांद बाबा का उस इलाके में खासा रुतबा था जो अतीक खटकने लगा था। अतीक चांद बाबा से बड़ा गुंडा बनना चाहता था। वो चाहता था कि उसका नाम चकिया ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में हो। चांद बाबा के खिलाफ उस दौर में कई छोटे गैंगस्टर थे, यहां तक की पुलिस भी चांद बाबा से छुटकारा चाहती थी। बस फिर क्या था अतीक ने इसी का फायदा उठाया और चांद बाबा के खिलाफ एक गैंग तैयार किया। धीरे-धीरे चांद बाबा का गैंग कमजोर हो रहा था और अतीक की ताकत बढ़ रही थी।

साल 1989 में अतीक अहमद राजनीति में कूद पड़ा। इलाहाबाद पश्चिम की सीट से उसने चुनाव लड़ा और सामने थे चांद बाबा। पैसे और ताकत की बल पर ये चुनाव अतीक ने जीता। अतीक अहमद नेता बन चुका था। उसे जनता ने जीत दिलाई थी, उसपर भरोसा दिखाया था, लेकिन अतीक ने जनता के भरोसे को रौंद डाला। ताकत हाथ में आते ही अतीक अहमद की गुंडागर्दी और बढ़ गई और अब वो सफेद कपड़ों में काले काम करने लगा। विधायक बनते ही अतीक ने चांद बाबा को दिन दहाड़े गोली मारकर मौत दे दी। विधायक होते हुए भी उसने कत्ल कर डाला। ये उसका ऐसा गुनाह था जिसे जनता आज भी नहीं भूल पाई।

ये वो दौर था जब अतीक अहमद समाजवादी पार्टी के सामने अपनी साख बना रहा था। उस दौर में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने मिलकर सरकार बनाई थी, लेकिन 1989 में कांशीराम ने समाजवादी पार्टी अलग होने का मन बना लिया। कांशीराम फैसला किया वो बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनाएंगे और मुख्यमंत्री बनेंगी मायावती। मायावती ने राज्यपाल को खत लिखकर इस बात का औपचारिक एलान किया तो उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह इस बात काफी नाराज हो गए।

उस वक्त मायावती एक गेस्ट हाउस में अपने विधायकों के साथ मीटिंग कर रही थी। मुलायम सिंह के कहने पर अतीक अहमद और समाजवादी पार्टी के कुछ और कार्यकर्ता जबरन उस गेस्ट हाउस में घुस गए जहां मायवती थी। अतीक अहमद और उसके गुंडों ने समाजवादी को खुश करने के लिए मायावती के साथ गाली गलौच की। बीएसपी विधायकों के साथ मारपीट, धक्कामुखी भी हुई। कहा जाता है अतीक अहमद और उसके गुंडों ने गेस्ट हाउस की बिजली तक काट दी और अंधेरे बीएसपी नेताओं के साथ काफी बदसलूकी की गई। गेस्ट हाउस कांड को मायावती सालों तक नहीं भूल पाईं और न ही अतीक अहमद को। बाद में जब मायावती की दोबारा सरकार बनी तो उन्होंने अतीक के खिलाफ कई मामलों में सख्त कार्रवाई की। ये गेस्ट हाउस कांड मायावती के लिए सालों तक दर्द का सबब बना रहा।

साल 2002 में अतीक अहमद को हराने के लिए बीएसपी ने राजू पाल को प्रयागराज सीट अतीक के खिलाफ चुनाव में उतारा, लेकिन अतीक चुनाव जीत गया। दो साल बाद अतीक अहमद ने फूलपुर से सांसद के लिए चुनाव लड़ा तो प्रयागराज सीट खाली हो गई। अब इस सीट पर दोबारा चुनाव हुआ। अतीक ने अपने भाई अशरफ को इस सीट से चुनाव लड़ाया, लेकिन इस बार जीत हुई बीएसपी विधायक राजू पाल की। जनता ने राजू पाल को अपना नेता चुना।

अतीक अहमद को जनता का फैसला हजम नहीं हुआ। अतीक ने राजू पाल के चुनाव जीतने के 15 दिन के अंदर ही राजू पाल की हत्या करवा दी। 25 फरवरी 2005 के दिन राजू पाल अस्पताल से लौट रहे थे, तभी हथियारों से लैस अतीक के 25 शार्प शूटर उनकी कार का पीछा करने लगे और एक के बाद एक दर्जनों गोलियां राजू पाल की कार पर दाग दीं। राजू पाल के समर्थक उन्हें बचाने के लिए टैंपों में लेकर अस्पताल की तरफ भागे तो अतीक के गुंडों ने एक बार फिर राजू पाल पर गोलियां बरसा दीं। राजू पाल की मौके पर ही मौत हो गई. उनके साथ उनके दो बॉडीगार्ड संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हो गई। इस हत्या के बारे में जिसने भी सुना वो हैरान रह गया। सांसद बन चुके अतीक का ये गुनाह कभी भी कोई माफ नहीं कर पाया।

राजू पाल हत्याकांड पर सालों तक केस चलता रहा। इस हत्याकांड का एकमात्र गवाह थे वकील उमेश पाल, लेकिन इसी साल 22 फरवरी के दिन उमेश पाल पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दी गई। क्वालिस कार में सवार गुंडों ने उमेश पाल को प्रयागराज के धुमनगंज इलाके में गोलियों से भून डाला। जांच शुरू हुई तो पता चला कि अतीक अहमद ने ही उमेश पाल की हत्या करवाई है। उस कार में खुद अतीक का बेटा असद और अतीक के बेहद खास शार्प शूटर मौजूद थे। जेल में रहकर भी उत्तर प्रदेश के इस माफिया ने राजू पाल हत्याकांड के इकलौते गवाह को हमेशा के लिए खत्म कर दिया।