आज हम आपको अयोध्या नगरी का पूरा इतिहास बताने वाले हैं! कौशलपुर की राजधानी। वह अयोध्या नगरी, जिसे न कभी जीता जा सका और न कभी जीता जा सकता है। जिसके साथ युद्ध करना असंभव है। रघु, दिलीप, अज, दशरथ और राम जैसे रघुवंशी राजाओं के पराक्रम और शक्ति के कारण उनकी राजधानी को अपराजेय माना जाता था। इसलिए नगरी का ‘अयोध्या’ नाम सर्वदा सार्थक रहेगा। सतयुग के सतकाल को मैंने देखा है। राजा भरत को मैंने देखा। राज हरिश्चंद्र का सुख पाया। त्रेता युग के वैभव को मैंने जिया। मैंने राजा दशरथ के शासन को देखा। उनके काल की विरासत मेरी धमनियों में आज भी बहती है। राजा दशरथ के चार लालों ने मेरी धरती पर पैर रखा मेरी गलियों में घूमे। उनका बचपन, उनकी जवानी और उनकी कहानी मेरी रगों में रची- बसी है। उस राम के वैभव को समेटे मैंने द्वापर और कलियुग का आगमन देखा। भाइयों को आपस में कटते देखा। भ्रष्टाचार को बढ़ते देखा। मुस्लिम शासकों के आक्रमण को झेला। मुगलों के तांडव का साक्षात्कार किया। मेरी धरती पर बने मेरे भगवान के मंदिर को भी टूटते मैंने देखा। उस मंदिर के लिए मेरी धरती पर अपने पुत्रों के खून बहते भी देखा। मेरी आंखों के कोर भी गीले हुए। फिर, अपने प्रभु की मंदिर का निर्माण होते भी देख रहा हूं। मैं अयोध्या हूं और मैं अपनी कहानी आपको खुद सुनाने वाला हूं। कहानी की शुरुआत वर्तमान से करता हूं। आज मेरी गलियां चमक रही हैं। मेरी धरती नई सड़कें बन रही हैं। मेरा वैभव फिर लौट रहा है। मेरे यहां का रेलवे स्टेशन भी प्रभु श्रीराम के रंग में रंगा है तो एयरपोर्ट भी भगवान की आभा झलकती है। आज मेरी भव्यता को देखकर सब हर्षित हो रहे हैं। लेकिन, क्या यह सब इतना आसान था। बिल्कुल नहीं। 500 की लंबी लड़ाई मैंने देखी है। मेरी बात करने वालों पर अत्याचार मैंने देखा है। लेकिन, मैं 9 नवंबर 2019 को कैसे भूल सकता हूं। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का वह आदेश, जिसने मेरी धरती को राम मंदिर से फिर आबाद कर दिया। इसके बाद 5 अगस्त 2020 का वह दिन। मेरी धरती धन्य हुई। मेरे आराध्य प्रभु श्रीराम के वैभव के वापस लौटने की शुरुआत का दिन। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारे दर पधारे। मेरी धरती के जिस टुकड़े पर भगवान राम ने जन्म लिया था, वहां मंदिर की नींव रखी गई।
मेरी धरती पर जब नींव का पहला कुदाल चला, मैं कितनी खुश थी। अंदाजा नहीं लगा सकते। मेरी रगों में राम का संचार हो रहा था। वह सपना, वह उम्मीद, वह भरोसा, जो करोड़ों लोगों ने मेरी तरफ नजर टिकाकर रखा था, वह पूरा हो रहा था। राम के मंदिर बनने की शुरुआत हुई। करोड़ों लोगों की भक्ति का वह चरम बिंदु था। मेरे लिए जो भी युद्ध लड़े गए। इस दिन एक बार फिर मैं जीत गई। क्योंकि, मैं अयोध्या हूं।
मेरी जमीन पर खड़ी की गई मस्जिद- मंदिर की लड़ाई लंबी थी। उबाऊ भी। फिर भी न कोई थका। न हारा। 100 सालों से अधिक की कानूनी लड़ाई लड़ी गई। फिर आया 9 नवंबर 2019 का दिन। श्रीराम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश का दिन। सुप्रीम कोर्ट ने एक लंबी सुनवाई के बाद मेरे दर को लेकर चल रहे विवाद पर फैसला सुनाया। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में बैठी संवैधानिक पीठ ने अपने आदेश में कहा कि विवादित जमीन पर हिंदुओं का हक है। मेरी जीत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि मुस्लिम पक्ष को अलग से 5 एकड़ जमीन दी जाए। मेरे ही दर पर उन्हें भी जमीन दी गई है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कुछ को कहां मंजूर था। कई पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गईं। सुप्रीम कोर्ट में सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। फिर मेरे दर पर मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई। सरकार के स्तर पर।
आपको यहां बता दूं कि सुप्रीम कोर्ट के पांचों जजों की सहमति से मेरे घर के जन्मभूमि विवाद पर फैसला सुनाया गया। फैसले में एएसआई की रिपोर्ट का जिक्र किया गया। एएसआई ने मेरी छाती को चीर कर देखा था। विवादित ढांचे के भीतर मेरे भगवान का मंदिर था। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने आदेश में कहा कि एएसआई ने भी विवादित जमीन पर पहले मंदिर होने के सबूत पेश किए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि हिंदू अयोध्या को मेरे राम का जन्मस्थल मानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एएसआई नहीं बता पाया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी।
मेरे प्रभु रामलला की जन्मभूमि पर फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल थे। आदेश पारित करने के बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को रिटायर हो गए। लेकिन, अपने आखिरी बड़े फैसले में उन्होंने मेरी जमीन पर प्रभु रामलला के मंदिर का रास्ता साफ कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से मेरी धरती पर मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। अब तो ग्राउंड फ्लोर बनकर तैयार हो गया है। 22 जनवरी को मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। मेरे प्रभु रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। मेरी धरती और मेरे राम ने हमेशा भारत की राजनीति को प्रभावित किया। राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि परिसर की पूरी जमीन को एक ट्रस्ट के हवाले करने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया कि केंद्र सरकार ट्रस्ट का निर्माण करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का निर्माण किया। ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास बनाए गए। विश्व हिंदू परिषद से चंपत राय को महासचिव बनाए गए। ट्रस्ट में 15 सदस्य हैं। ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में राम मंदिर निर्माण कमिटी का गठन किया। मेरी धरती पर राम मंदिर निर्माण कमिटी ने तय समय सीमा में मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को पूरा कराने में मदद की है।
22 जनवरी 2024 को मंदिर निर्माण के प्रथम चरण का कार्य पूरा होने के बाद मेरे प्रभु रामलला को अपने भव्य मंदिर में विराजमान किया जाएगा। मेरे दर पर रामलला के नए मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरदार तरीके से चल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर मेरी धरती पर आएंगे। मेरी सदियों का इंतजार पूरा होगा। मेरे रामलला अपने मंदिर में विराजमान होंगे, वह दिन कितना सुहावन होगा।