आज हम आपको बीजेपी की पूरी कहानी बताने वाले हैं! भाजपा के तमाम दिग्गजों का दिल्ली में जमावड़ा लगा है। मौका है पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक का। सोमवार से NDMC भवन में शुरू होने वाली बैठक में बीजेपी आगे की रणनीति तय करेगी। इस महत्वपूर्ण संगठनात्मक बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल को विस्तार मिल सकता है। साथ ही चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। राष्ट्रीय कार्यकारिणी बीजेपी की सर्वोच्च इकाई है। सभी बड़े फैसले इसकी बैठकों में होते हैं। बीजेपी की दिशा तय करने में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की भूमिका का अंदाजा इसके सदस्यों से लगाएं। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर लालकृष्ण आडवाणी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हैं। आइए समझते हैं कि बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी क्या है और कैसे काम करती है। बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी उसकी सर्वोच्च इकाई है। इसमें कुल 80 सदस्य होते हैं। इनके अलावा 50 स्पेशल इनवाइटी सदस्य और 179 परमानेट इनवाइटी मेम्बर्स होते हैं। इन सदस्यों में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, पूर्व सीएम, राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय मोर्चों के प्रमुख, प्रदेश प्रभारी, सह-प्रदेश प्रभारी समेत संगठन से जुड़े अहम व्यक्ति होते हैं। परिपाटी है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की रजामंदी लेने के बाद ही फैसले करने होते हैं। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा पार्टी शासित राज्यों के 12 मुख्यमंत्री व पांच उपमुख्यमंत्री, 35 केंद्रीय मंत्री, 17 राज्यों में पार्टी के सदन के नेता सहित करीब 350 नेता शामिल होंगे। बीजेपी की ऑफिशियल वेबसाइट पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यों की सूची है।
बीजेपी में होने वाला हर बड़ा फैसला राष्ट्रीय कार्यकारिणी से होकर गुजरता है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास पार्टी अध्यक्ष को हटाने की शक्ति है। बीजेपी के संविधान में संशोधन का अधिकार भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी को दिया गया है। पार्टी के लिए नए नियम तय करने का जिम्मा भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी का है। अमूमन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठकों में सर्वसम्मति से फैसले होते हैं। कभी मतभेद उभरे तो मतदान भी होता है। भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक साल में कम से कम तीन बार होनी चाहिए। पार्टी का नीति निर्धारण भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के जरिए होता है।
2024 लोकसभा चुनाव पर फोकस रहेगा। उससे पहले कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हैं। उनके विषय में भी चर्चा हो सकती है।बीजेपी के संविधान में संशोधन का अधिकार भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी को दिया गया है। पार्टी के लिए नए नियम तय करने का जिम्मा भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी का है। अमूमन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठकों में सर्वसम्मति से फैसले होते हैं। कभी मतभेद उभरे तो मतदान भी होता है। भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक साल में कम से कम तीन बार होनी चाहिए। पार्टी का नीति निर्धारण भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के जरिए होता है। भाजपा महासचिव विनोद तावड़े ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। सोमवार को बैठक की शुरुआत अध्यक्ष जेपी नड्डा के संबोधन से होगी। समापन मंगलवार को पीएम मोदी के भाषण से किया जाएगा।
बीजेपी इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विस्तारकों की तैनाती कर रही है। पार्टी के सीनियर कार्यकर्ता विस्तारक के तौर पर हर विधानसभा सीट पर जाएंगे।बीजेपी के संविधान में संशोधन का अधिकार भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी को दिया गया है। पार्टी के लिए नए नियम तय करने का जिम्मा भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी का है। अमूमन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठकों में सर्वसम्मति से फैसले होते हैं। कभी मतभेद उभरे तो मतदान भी होता है। भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक साल में कम से कम तीन बार होनी चाहिए। पार्टी का नीति निर्धारण भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के जरिए होता है। चुनाव हो जाने तक कुछ महीने वहीं रहेंगे।बीजेपी के संविधान में संशोधन का अधिकार भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी को दिया गया है। पार्टी के लिए नए नियम तय करने का जिम्मा भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी का है। अमूमन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठकों में सर्वसम्मति से फैसले होते हैं। कभी मतभेद उभरे तो मतदान भी होता है। भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक साल में कम से कम तीन बार होनी चाहिए। पार्टी का नीति निर्धारण भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के जरिए होता है। इसी तरह लोकसभा चुनाव के लिए भी हर लोकसभा के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में भी बीजेपी विस्तारक जाएंगे। ये विस्तारक कौन होंगे और उनकी भूमिका क्या होगी? विस्तारक शब्द RSS की कार्यपद्धति से लिया गया है। BJP के सिस्टम में पहले विस्तारक जैसा कोई शब्द नहीं था। तस्वीर में पढ़ें, बीजेपी में विस्तारक क्या भूमिका अदा करते हैं।