आज हम आपको एक आईपीएस ऑफिसर के जुर्म की कहानी सुनाने जा रहे हैं! इस साल जुलाई में एक बिल्डर के कर्मचारी ने अपनी जान-पहचान के डॉक्टर को कॉल किया। वह इस डॉक्टर की मदद चाहता था। कर्मचारी को कालेधन के बारे में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जानकारी देनी थी। इसका तरीका वह नहीं जानता था। कालेधन की यह रकम बड़ी थी। यह जानकारी देकर वह पुरस्कार के तौर पर उस रकम में से 5 फीसदी कमीशन चाहता था। 4 अगस्त को यह रकम चली गई। डेवलपर के दो फ्लैटों से इसे ले जाया गया। लेकिन, इसे लेकर गए लोग टैक्स इंस्पेक्टर नहीं थे। इसके बाद इस रहस्य की परतें खोलने की कवायद शुरू हुई। ये कहानी को एक-दूसरे से बिल्कुल जुदा किरदारों की तरफ लेकर गईं। इसमें दो डॉक्टर थे, एक हरियाणा का डीसीपी और एक गैंगस्टर। ये सभी इस हैरान करने वाले खेल में शामिल थे। हर एक की गिरफ्तारी के साथ केस नई दिशा में जाता गया। पहले माना गया था कि यह 50 लाख रुपये की डकैती का मामला है। लेकिन, इसमें अब तक 6 करोड़ रुपये की रिकवरी हो चुकी है। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को करीब 24 करोड़ रुपये और सामने आने की उम्मीद है। वही इस मामले में जांच कर रही है। इस डकैती के सिलसिले में अब तक 11 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। इनमें लंगरपुरिया गैंग के छह सदस्य, एक दिल्ली पुलिस का असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर और दो डॉक्टर शामिल हैं। एसटीएफ का मानना है कि मामले में और रिकवरी होने के आसार हैं।
एसटीएफ के अधिकारी ने इस मामले की पूरी कहानी बताई। शहर के डॉक्टर जेपी जोशी को डेवलपर के कर्मचारी श्याम ने कॉल किया था। श्याम ने कैश की लोकेशन की डीटेल्स शेयर कीं। लोकेशन में डेवलपर के दो फ्लैटों का जिक्र था। श्याम ने वादा किया पुरस्कार के तौर पर उसे जो रकम मिलेगी उसे वह जोशी के साथ बांटेगा। जोशी ने अपने ही परिचित डॉक्टर सचिंदर जैन (नवल) से संपर्क किया। जैन के आईपीएस अधिकारियों के साथ कॉन्टैक्ट थे। जैन ने गुरुग्राम में तत्कालीन डीसीपी (दक्षिण) धीरज सेठिया से बात की। सेठिया से रेड डालने का अनुरोध किया गया। लेकिन, माना जाता है कि सेठिया ने इस अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने डॉक्टर से प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों से संपर्क करने के लिए कहा।
एसटीएफ की जांच के अनुसार, इस बीच जैन के ड्राइवर जोगिंदर ने एक सुझाव दिया। उसने बताया कि वह विकास लंगरपुरिया को जानता है। जोगिंदर लंगरपुरिया का रिश्तेदार है। डॉक्टर जैन ने डीटेल्स गैंगस्टर को आगे पास कर दीं।
लंगरपुरिया के आदमी जुलाई के मध्य में रेकी के लिए उसी सोसाइटी में किराये का फ्लैट लेकर रहने लगे। 4 अगस्त की सुबह श्याम और डेवलपर के एक और कर्मचारी आनंद के साथ गैंग के आदमी फ्लैटों से पैसा चुरा ले गए। जिन वाहनों में लूट की रकम ले जाई गई उनमें से एक जोगिंदर चला रहा था। उसे अपने हिस्से के 70 लाख रुपये दिए गए। संदिग्धों के साथ पूछताछ में एसटीएफ को पता चला कि कैश को दो हिस्सों में ले जाया गया। पहले 9 करोड़ रुपये की डकैती डाली गई। उसके अगले दिन और 15 करोड़ रुपये लूटे गए। इस पैसे को पार लगाने में एएसआई, विकास गुलिया और लंगरपुरिया के आदमियों पर शक था। गुलिया और लंगरपुरिया झज्जर में एक ही गांव के रहने वाले थे। डकैती में शामिल गैंग के सदस्यों को कुछ लाख रुपये दिए गए। इसके बाद वो शहर छोड़कर चले गए।
इस घटना के दो हफ्ते बाद 21 अगस्त को एफआईआर दर्ज की गई। इसे खेरकी दौला पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया गया। डेवलपर की शिकायत पर इसे दर्ज किया गया। लेकिन, इसमें चुराई गई रकम का जिक्र नहीं किया गया। एक महीने तक पुलिस इस मामले में कोई प्रगति नहीं कर पाई। 30 सितंबर को क्राइम ब्रांच ने गुरुग्राम से 3 लोगों को गिरफ्तार किया। धारे सिंह, अमित और अभिनव। ये लंगरपुरिया के सहयोगी थे। इन्होंने डकैती को अंजाम दिया था। धारे ने बताया कि लूट की रकम गुलिया को दी गई थी। इसके बाद 8 अक्टूबर को एएसआई को वजीराबाद में पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज से गिरफ्तार किया गया। जोगिंदर और लंगरपुरिया के एक और सहयोगी को भी धर दबोचा गया।
इस महीने की शुरुआत में एसटीएफ ने डॉक्टरों के बयान गुरुग्राम कोर्ट में जमा किए। 2 दिसंबर को जारी आदेश में कोर्ट ने मामले की निगरानी की बात कही। कोर्ट ने कहा है कि पुलिस जांच के आधार पर जांच को किसी निष्कर्ष तक पहुंचाने में नाकामयाब रही है। वह अपना न्यायिक कर्तव्य नहीं निभा पाई है। खासतौर से तब जब एक सीनियर पुलिस ऑफिसर के इसमें शामिल होने की बात आ गई है। इसके बाद एफटीएफ ने सेठिया को कई नोटिस जारी किए। उनसे जांच में जुड़ने के लिए कहा गया। हालांकि, सेठिया ने इन आदेशों का अनुपालन नहीं किया। बीते बुधवार को ऑफिसरों की एक टीम ने सेठिया के गुरुग्राम स्थित आवास का दौरा किया। लेकिन, वह घर में मौजूद नहीं थे। इसके बाद एसटीएफ ने एफआईआर में सेठिया का नाम भी जोड़ दिया। ओरिजनल एफआईआर में पुलिस ने आईपीसी के सेक्शन 380 के तहत सिर्फ चोरी का आरोप लगाया था। एसटीएफ ने इसमें सेक्शन 120बी आपराधिक साजिश और 411 (चोरी की प्रॉपर्टी को अनैतिक तरीके से पाना) भी जोड़ दिए। इसके अलावा प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट (PoCA) के तहत भी धाराएं जोड़ी गईं।
लंगरपुरिया के सहयोगियों को सेक्शन 380 के तहत गिरफ्तार किया गया है। दो डॉक्टरों और डेवलपर के कर्मचारियों पर सेक्शन 120बी के तहत कार्रवाई हुई है। गुलिया को सेक्शन 120बी और 380 व सेठिया को 380 और PoCA की धाराओं के तहत अरेस्ट किया गया है। लंगरपुरिया पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।