जानिए अतीक अहमद की काले राज!

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आज हम आपको अतीक अहमद के काले राज बताने जा रहे हैं! कहते हैं वक्त हमेशा बदलता रहता है, लेकिन चालीस सालों तक तो उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन अतीक अहमद ने वक्त को भी थाम लिया। वो एक के बाद एक गुनाह करता गया और कोई इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाया। वजह थी राजनैतिक संरक्षण। अतीक अहमद पर 17 साल की उम्र में पहली बार हत्या के आरोप लगे। ये उसका पहला गुनाह था जिसकी उसको कभी सजा नहीं मिली। वो जान चुका था कि अगर वो राजनीति का सफेद चोला पहन लेगा तो वो आसानी से अपने काले कारनामों को छुपा पाएगा। एक तरफ वो अपनी अपराधियों के साथ मिलकर अपनी गैंग मजबूत कर रहा था तो दूसरी तरफ राजनीति की राह ले रहा था। 1989 में इलाहाबाद पश्चिम की सीट से वो पहली बार विधायक बन गया। विधायक बना तो उसने सोचा कि अब तो उसका राज है। विधायक बनते ही अतीक ने इस चुनाव में उसके खिलाफ खड़े हुए दूसरे उम्मीदवार और लोकल गैंगस्टर चांद बाबा की हत्या करवा दी।

अपराध बढ़ रहे थे राजानीति में भी कद बढ़ाना जरूरी थी और इसके लिए जरूरी था किसी बड़ी पार्टी के साथ जुड़ना। तो बस फिर क्या था अपने क्राइम की लिस्ट को छुपाने के लिए इस माफिया को साथ मिला समाजवादी पार्टी का। प्रयागराज में अतीक की तूती बोलने लगी। मुलायम सिंह के बेहद करीब अतीक को फूलपुर सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट मिल गई। बस अब तो इसकी ताकत कई गुना बढ़ चुकी थी। अतीक और उसक गैंग की गुंंडागर्दी बढ़ती ही जा रही थी। प्रशासन उसके इशारे पर काम करता था। किसी को डराना-धमकाना, मारना हत्या करना अतीक और गुर्गों के लिए छोटी मोटी बात थी। कहते हैं न जब सय्या भयो कोतवाल तो डर काहे का, बस यही चल रहा था उत्तर प्रदेश में। सरकार थी समाजवादी पार्टी की और मजे कर रहा माफिया अतीक अहमद।

अतीक अहमद ने दिन दहाड़े बीएसपी नेता राजू पाल की हत्या करवा दी, लेकिन फिर भी उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया। सालों तक ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा। अतीक सालों तक पुलिस और प्रशासन को अपनी जेब में रखकर घूमता रहा। हालांकि कुछ सालों के लिए जब बीएसपी की सरकार बनी तो अतीक के लिए थोड़ी मुश्किल पैदा जरूर हुई, लेकिन एक बार फिर समाजवादी पार्टी सत्ता में आई और फिर इस माफिया की वही गुंडागर्दी शुरू हो गई।

अतीक को लगाता था कि वक्त कभी नहीं बदलेगा, लेकिन साल 2017 में राज्य में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो अतीक और उसके गुंडों को राजनैतिक संरक्षण मिलना बंद हो गया। इस माफिया का वो वक्त शुरू हुआ जिसकी कल्पना इसने कभी भी नहीं की थी। अतीक को उसके गुनाहों के लिए जेल में बंद कर दिया गया, लेकिन अतीक और उसके परिवार का राजनैतिक मोह भंग नहीं हुआ।

साल 2021 में जेल में बैठे-बैठे ही अतीक ने असुदद्दीन ओवैसी के साथ रिश्ता बना लिया। अतीक का बड़ा बेटा अली और अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने ओवैसी की पार्टी AIMIM की सदस्यता ले ली। ये लोग यूपी में मुस्लिम कार्ड खेलना चाह रहे थे। ओवेसी ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर डाली। अतीक अहमद का नया दांव था। अतीक के बड़े बेटे अली ने प्रयागराज में एक मंच के दौरान शेरो-शायरी करके आपत्तिजनक भाषण भी दिया। जिसके बाद उसके खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का केस भी दर्ज हुआ।

अतीक अहमद की राजनैतिक लालसा यहां भी खत्म नहीं हुई। इसी साल अतीक की पत्नी शाइस्ता ने मायावती की बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया।इस माफिया का वो वक्त शुरू हुआ जिसकी कल्पना इसने कभी भी नहीं की थी। अतीक को उसके गुनाहों के लिए जेल में बंद कर दिया गया, लेकिन अतीक और उसके परिवार का राजनैतिक मोह भंग नहीं हुआ। वैसे ये रिश्ता ज्यादा लंबा नहीं चला। खबरें आ रही है कि शाइस्ता को बीएसपी से हटा दिया गया है। थोड़े समय के लिए ही सही राजनैतिक फायदों के लिए मायावती ने अतीक के साथ अपने पिछले बैर भुला दिए और अतीक तो हमेशा से ही अपने अपराधों को छुपाने के लिए किसी ने किसी राजनैतिक पार्टी का संरक्षण ढुंढता रहता है। खैर ये सब तक शायद आसान था लेकिन अब ऐसा नहीं है। खासकर तब तक जब तक उत्तर प्रदेश में बीजेपी है। फिलहाल अतीक अहमद को उमेश पाल हत्याकांड के लिए तो उम्र कैद की सजा मिल गई है। अब देखना ये है कि उसके बाकी गुनाहों के लिए क्या सजा मुकर्रर होती है।