आज हम आपको गुजरात की डॉन संतोख बेन की पूरी कहानी सुनाने जा रहे हैं! पोरबंदर का नाम आते ही दिमाग में शांति, अहिंसा की याद आती है, लेकिन बापू के शहर को एक महिला ने खून रंग दिया था। गुजरात के पोरबंदर में इस महिला डॉन ने ऐसी हिंसा फैलाई कि सालों बाद आज भी वहां के लोग उसी खूनी खेल को याद करके थरथराने लगते हैं। कहते हैं उस वक्त पोरबंदर में ऐसा खूनी खेल चला था कि हर गलियों से खून बहता था। जो भी इस महिला डॉन के सामने आवाज उठाता ये उसे मौत दे देती थी। शक्त से बेहद साधारण सी दिखने वाली संतोख बेन जडेजा कभी एक हाउस वाइफ हुआ करती थी। पति सरमन जडेजा एक मिल में काम करते थे। संतोख अपने बच्चों को संभालती। आम लोगों की तरह इन लोगों की जिंदगी भी चल रही थी, लेकिन अस्सी के दशक ने इस परिवार की की कहानी पूरी तरह से बदल कर रख दी। सरमन जिस मिल में काम करते थे वहां हड़ताल हो गई। मालिक ने मजदूरों को डराने के लिए वहां के लोकल गैंगस्टर देवू वाघेरा का इस्तेमाल किया। सरमन और देवू के बीच झड़प हो गई और फिर संतोख के पति सरमन ने देवू को मार डाला। देवू की मौत के बाद सरमन एक रात में ही अपराधी बन चुका था। खुद को बचाने के लिए सरमन गुनाह के दलदल में फंसता चला गया। सरमन जडेजा ने थोड़े ही समय में पोरबंदर में अपना एक गैंग तैयार कर लिया था। कई और गैंगस्टर्स के साथ उसके रिश्ते बनने लगे, लेकिन न संतोख बेन और न ही सरमन जुर्म की दुनिया से खुश थे। 1986 में सरमन जडेजाने इस गुनाह के दलदल से बाहर आने की कोशिश की, लेकिन उनकी हत्या कर दी गई। अब संतोख बेन और उनके बच्चों को जान से मारने की धमकियां मिलने लगी।
अपने परिवार को बचाने के लिए अब संतोख बेन ने खुद जुर्म की दुनिया में कदम रखा और फिर गुनाहों की काली लकीर खींचती चली गईं। अपने पति के बनाए गैंग को अब संतोख बेन चलाती थी। थोड़े ही समय में वो बेहद पॉवरफुल हो गई। संतोख बेन का सीधा तरीका था, अगर किसी ने उसके सामने आवाज उठाई तो वो उस आवाज को ही बंद कर देती थी। संतोख बेन की पति की हत्या के आरोप पोरबंदर के 14 लोगों पर लगे थे। संतोख बेन ने अपने गैंग की मदद से उन सभी को मौत के घाट उतार दिया। उस वक्त पोरबंदर में इस महिला का ऐसा टेरर था कि नाम सुनते ही बड़े से बड़ा अपराधी अपने घुटने टेक देता था।
धीरे-धीरे संतोख बेन के नाम का खौफ गुजरात से बाहर भी फैलने लगा। करीबी राज्यों महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश तक भी गुजरात की इस लेडी किलर की पहुंच बनने लगी। यहां तक की अंडरवर्ल्ड से भी इस गुजरात की इस डॉन के तार जुड़ने लगे थे। महाराष्ट्र में उस वक्त अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला का कहर था। संतोख बेन के करीम लाला से काफी करीबी रिश्ते माने जाते थे और इसलिए महाराष्ट्र के संतोख के गैंग को पूरी मदद मिल रही थी। गुजरात में लूट, डकैती, किडनैपिंग, वसूली, फिरौती जैसे सारे काम में ये डॉन अपना दबदबा बना चुकी थी। रियल स्टेट से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक हम काम में जब तक इस लेडी किलर का समर्थन न हो तो काम पूरे नहीं होते थे।
संतोख बेन के घर में ही उनके बेटों के बीच पावर को लेकर कलह होने लगी। पूरे गुजरात में टेरर फैलाने वाली ये लेडी किलर अपने घर को नहीं बचा पाई। संतोख बेन के एक बेटे ने अपनी ही भाभी की की हत्या कर दी। गैंग संभालने को लेकर दो भाई में एक दूसरे के खून के प्यासे हो चुके थे। संतोख बेन अपनी बड़ी बहू को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहती थी, लेकिन ये बात छोटे बेटे को नागवार गुजरी और उसने अपनी भाई की पत्नी का कत्ल कर दिया। एक तरफ पुलिस का दबाव था दूसरी तरफ पारिवारिक कलह की वजह से गैंग के ऊपर से संतोख बेन की कमान कमजोर हो रही थी। साल 1995 में गुजरात की इस लेडी डॉन को हार्ट अटैक आया और फिर हमेशा-हमेशा के लिए संतोख बेन की कहानी खत्म हो गई।
वैसे पोरबंदर कुतियाना इलाके में आज भी लेडी डॉन के नाम से पुराने लोग कांपने लगते हैं। जिन्होंने टेरर के वो साल देखे थे वो आज भी उस दौर को नहीं भूलते जब वहां संतोख बेन का सिक्का चलता था। संतोख बेन पर गॉडमदर के नाम से एक बायोपिक भी बनी जिसमें शबाना आजमी ने उनका रोल निभाया। इस फिल्म में उनके गुनाहों के दलदल से राजनीति तक पूरा सफर दिखाया गया था। इस फिल्म के बाद से ही लेडी किलर गॉडमदर के नाम से जाना जाने लगा।