आज हम आपको अहमदाबाद की भौगोलिक स्थितियों के बारे में बताने जा रहे हैं! गुजरात का समृद्ध शहर है अहमदाबाद। मल्टिस्टोरी बिल्डिंग्स, इंडस्ट्रीज, कॉम्प्लेक्स और मॉल। शहर को मेट्रो सिटी का दर्जा मिला है। इस शहर के लिए कहा जाता है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में जिसने जिले में जीत हासिल कर ली, समझो राज्य में सरकार उसकी ही बनेगी। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां सर्वाधिक विधानसभा सीटे हैं, जिनकी संख्या 21 है। शहर में एंट्री करते ही जगमगाता शहर नजर आता है। इस जगमग के बीच ऐसा इलाका भी है जो अंधेरे में है। शहर दो हिस्सों में बंटा है। एक नया अहमदाबाद और दूसरा हिस्सा पुराना। दोनों ही हिस्से एक दूसरे से एकदम विपरीत। दोनों इलाकों को साबरमती नदी बांटती है। पश्चिमी इलाका जुहापुरा का पड़ता है। खराब सड़कें, घनी बस्ती और सकरे रास्तों वाला एक इलाका पड़ता है। इस इलाके का नाम है जुहापुरा। यहां पर अल्पसंख्यक समुदायों की संख्या बहुतायत है। इसलिए लोग इसे मिनी पाकिस्तान, भारत का का पाकिस्तान नाम से पुकारते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि यह इलाका उपेक्षा का शिकार है। यह बुनियादी ढांचा तक नहीं है। इलाके में कई जगह मलबे का ढेर और कचरा फैला नजर आता है। इलाके में कई चाय की दुकानें हैं जहां पर लोगों की सुबह से देर शाम तक भीड़ लगी रहती है। यहां पर लोगों से चुनाव को लेकर चर्चा हुई। सबने अपनी-अपनी राय दी। किसी ने बीजेपी को तो किसी ने कांग्रेस को समर्थन दिया। कोई आप के साथ नजर आया तो कोई ओवैसी की पार्टी AIMIM के सपोर्ट में था।
जितने ज्यादा निर्दलीय उतना ही ज्यादा कांग्रेस को नुकसान। ओवैसी भी वोटकटवा ही हैं। बीजेपी ने अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए कई डमी प्रत्याशी खड़े किए हैं। एक वोटर ने कहा, ‘एक आदमी था, शराब की तस्करी करता था। एक दिन पुलिस ने उसे बुलाकर कहा तुम्हे चुनाव लड़ना है। उसे धमकाया कि चुनाव नहीं लड़ोगे तो जेल भेज दिए जाओगे। वह भी चुनाव लड़ रहा है। उसे जानने वाले सब लोगों को पता है कि उसे वोट काटने के लिए ही जबरन खड़ा किया गया है।’
जुहापुरा में कोई विकास नहीं हुआ। आज तक एक भी पार्क नहीं बना। एक भी ओवरब्रिज नहीं है। दिनभर ट्रैफिक रहता है। जाम खुलवाने वाला भी कोई नहीं रहता। बस्तियों में गंदगी फैली रहती है, सफाई करने वाले तक नहीं आते हैं।लोगों ने बताया कि जुहापुरा इलाका कभी सरखेज विधानसभा में आता था। अमित शाह चुनाव जीतते थे। परसीमन के बाद यह इलाका वेजलपुर सीट में आ गई। बीजेपी ने इस बार मौजूदा विधायक का टिकट काटकर अमित ठाकर को मैदान में उतारा है। मुकाबला कड़ा है। बीजेपी प्रत्याशी हार सकता था इसलिए बीजेपी एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। एक बुजुर्ग ने कहा कि जितने ज्यादा हम लोगों के वोट बंटेंगे, उतना ही बीजेपी को फायदा होगा।
जुहापुरा में मुसलमानों की घनी आबादी है। वेजलपुर विधानसभा में 1.10 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। इलाके में कुछ भी बेसिक सुविधाएं नहीं हैं। कम्युनिटी हॉल भी नहीं है। इसी के चलते ओवैसी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था कि हम स्कूल, अस्पताल मांगते हैं, बीजेपी जुहापुरा में थाना खोल देती है।जुबैर ने बताया कि हम लोगों के साथ बहुत भेदभाव होता है। जुहापुरा का नाम सुनकर हमें लोग इतनी गंदी निगाहों से देखते हैं जैसे हम गंदगी में रहने वाले कोई कीड़े-मकोड़े हैं। हमारे यहां के लोगों को कोई जल्दी नौकरी पर भी नहीं रखता है। हमारे युवा तो इलाका छोड़कर दूसरे इलाकों में रहने चले गए हैं ताकि उन्हें नौकरी तो मिल सके। वे इसका जिक्र भी नहीं करते कि जुहापुरा से उनका कोई संबंध भी है।
1973 में साबरमती में बड़ी बाढ़ आई थी। कई लोगों के घर तबाह हो गए थे। बेघर लोगों को बसाने के लिए सरकार ने साबरमती के पश्चिमी इलाके को चुना। लगभग 2000 ऐसे परिवार थे, जिन्हें यहां बसाया गया। इस बस्ती का नाम जुहापुरा पड़ा। इसमें रहने वाले अधिकांश मुसलमान थे। कुछ हिंदू परिवार भी थे। हिंदू-मुसमान दंगों ने दोनों समुदायों को बांट दिया। 2002 के गुजरात दंगों ने ऐसी खाई खोदी कि वह आज तक नहीं भर पाई है। मुस्लिम आबादी ज्यादा थी इसलिए तमाम इलाकों के मुसलमान धीरे-धीरे यहां आकर बसने लगे। मुसलमानों की संख्या बढ़ने लगी तो वे अपने आप को यहां सुरक्षित मानने लगे।