आज हम आपको दो बहनों की रहस्यमई कहानी सुनाने जा रहे हैं! क्राइम की कई कहानियां रहस्य भी समेटे हुए होती हैं। ऐसी ही कहानी है दो साइलेंट सिस्टर्स की, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है जबकि एक आज भी जिंदा है। इन दुनिया बेहद अलग थी। ऐसी दुनिया जिसकी शायद आप कल्पना भी न कर पाएं। बचपन से ही इन्होंने खुद को चारदीवारियों में कैद कर लिया। ये सिर्फ एक दूसरे का चेहरा देखतीं। इनकी अपनी एक भाषा थी, खामोशी की। 1963 यमन में रहने वाले गिब्सन परिवार में दो बच्चियों का एक ही दिन जन्म हुआ। माता-पिता ने दोनों को नाम दिया जून और जैनिफर। ब्लैक परिवार में जन्मीं दोनों बच्चियां जुड़वां होने की वजह से एक दूसरे से काफी ज्यादा अटैच थीं। जून और जेनिफर का एक ही स्कूल में एडमिशन करवाया गया, लेकिन स्कूल में ब्लैक होने की वजह से बच्चे उन्हें चिढ़ाने लगे। बस अब दोनों बहनों ने एक-दूसरे में ही अपना संसार खोज लिया।
इन दोनों बहनों ने धीरे-धीरे बाहरी लोगों से बात करनी बंद कर दी। दोनों हमेशा चुप रहतीं। न स्कूल में किसी से बात करतीं, न घर के आसपास। यहां तक कि इन दोनों ने अपने माता-पिता से बात करना भी बंद कर दिया। इन दोनों ने अपनी एक भाषा इजात की जिसमें ये एक दूसरे से बात करती। इस भाषा को कोई दूसरा नहीं समझ सकता था। धीरे-धीरे वक्त आगे बढ़ रहा था। ये बच्चियां भी बड़ी होने लगी थीं, लेकिन इनकी चुप्पी खत्म नहीं हो रही थी।
दोनों बहनों के माता-पिता ने साइकिएट्रिस्ट से सलाह ली। इन दोनों का स्कूल बदल दिया गया ताकि इनकी आदतों में कुछ सुधार हो। अब चीजें बदलने लगी थीं, लेकिन वो और भी बुरी होने लगी थीं। दोनों बहनें कुछ अजीब सा व्यवहार करने लगी थीं- कुछ बहकी-बहकी बातें। दोनों ने दुनिया को पहचानना बंद कर दिया था। माता-पिता ने फिर डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि जून और जेनिफर को सिजोफ्रेनिया हो गया है। दोनों के बीच की दूरी ने उन्हें एक दूसरी दुनिया में धकेल दिया था।
परिवार ने एक बार फिर दोनों बहनों को एक साथ रखा। अब ये हर वक्त साथ रहती, एक दूसरे से अपनी भाषा में बात करतीं। हर वक्त अपने कमरे में बंद। इन्हें किसी से कुछ भी लेना-देना नहीं था। इसी दौरान इन दोनों बहनों ने क्राइम की कहानियां लिखना शुरू किया। दोनों बहनों ने दो क्राइम थ्रिलर की किताबें भी लिखी, लेकिन अब वो इससे आगे बढ़ना चाहती थी। जून और जेनिफर के दिमाग में हर वक्त जुर्म की स्क्रिप्ट घूमती थी। वो खुद क्राइम अंजाम देना चाह रही थी।
दोनों बहनों ने ड्रग्स लेना शुरू कर दिया था। ये दोनों समाज को अपना दुश्मन मानती थीं और बदला लेने के लिए जुर्म का रास्ता अपनाने लगीं। पहले दोनों बहनों ने आसपास चोरी, लूटपाट से शुरू किया, लेकिन उसके बाद ये लोगों के घरों में बदला लेने के लिए आग लगाने लगी। काफी समय तक इन्होंने ऐसे ही क्राइम को अंजाम दिया। इनकी जिंदगी में सूनापन आने लगा। दोनों बहनें मानसिक रूप से ज्यादा अच्छी स्थिति में नहीं थीं। ये दोनों बहनें सामान्य जिंदगी जीना चाहती थीं, लेकिन इतने सालों तक समाज से पूरी तरह से कट चुकीं थी।
धीरे-धीरे ये एक दूसरे को ही अपना दुश्मन मानने लगीं। दोनों बहनों को लगता था कि अगर एक बहन न होती तो शायद इनकी जिंदगी ऐसी न होती। दोनों ने एक दूसरे की हत्या की कोशिश भी की। जून ने जेनिफर को नींद की गोली दे थी तो वही जेनिफर ने जून को नदी में धक्का देकर मारने की कोशिश की, लेकिन दोनों की जान बच गई। इन दोनों को लगने लगा था कि जब तक एक की जान नहीं जाएगी, अपनी जिंदगी ठीक नहीं होगी। ये एक-दूसरे से प्यार भी करतीं और उतनी ही नफरत भी।
इन दोनों बहनों का इलाज कर रही साइकिएट्रिस्ट ने साल 1986 में इनके ऊपर एक किताब लिखी थी ‘द साइलेंट ट्वीन्स’। दरअसल, मारजोरी ने दोनों बहनों का लंबे समय तक इलाज किया। ये दोनों बहनें एक दूसरे के अलावा किसी और से बात करतीं थी तो वो थी ये साइकिएटरिस्ट। इलाज के दौरान मारजोरी इनके काफी करीब आ चुकी थी। दोनों बहनों ने जो कुछ मारजोरी को बताया उन्होंने उसे किताब में लिखा। जेनिफर और जून साइकिएट्रिस्ट को अक्सर कहती थी कि उन दोनों में से किसी एक की जिंदगी जब खत्म होगी तभी दूसरे को सामान्य जिंदगी मिले!