जानिए नसीम शाह की दर्द भरी कहानी!

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क्रिकेटर नसीम शाह के बारे में तो आपने सुना ही होगा! कैरीबियाई धरती पर वेस्टइंडीज के साथ टेस्ट सीरीज का चौथा टेस्ट मैच खेला जा रहा था। तीसरे दिन अनिल कुंबले को बैटिंग ऑर्डर में ऊपर भेजा गया। विकेटकीपर अजय रात्रा से पहले। कभी श्रीनाथ के साथ 10वें विकेट की साझीदारी कर ऑस्ट्रेलिया को वनडे में हराने वाले कुंबले से कप्तान को ज्यादा ही उम्मीद थी। लेकिन मर्विन डिल्लन की लहराती बाउंसर ने उनके जबड़े को तोड़ दिया। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। एक्स-रे से साफ था कि कुंबले अब इस मैच में नहीं खेल पाएंगे। जब वेस्टइंडीज की टीम बैटिंग के लिए उतरी तो स्पिन डिपार्टमेंट सचिन तेंदुलकर ने संभाला। तभी पिच पर स्पिनरों के लिए कुछ खास दिखा। अनिल कुंबले ने तुरंत फीजियो एंड्र्यू लीपस से कहा कि मेरे चेहरे को बैंडेज से बांध दो। मैं रुक नहीं सकता। गोधूलि बेला होने को आई थी और कुंबले ने ब्रायन लारा का विकेट चटका दिया। ग्रेट विवियन रिचर्ड्स का रिएक्शन था- क्रिकेट के मैदान पर बहादुरी का इतिहास लिखा जाएगा तो कुंबले का ये लम्हा जरूर इसका हिस्सा होगा। कुंबले या पाकिस्तान के खिलाफ 1999 के ऐतिहासिक हर्ट ब्रेक मैच में सचिन तेंदुलकर के दर्द का जिक्र इसलिए जरूरी है क्योंकि 20 साल बाद क्रिकेट काफी बदल चुका है। टी-20 से आया बदलाव सही है या गलत इस बहस में पड़े बिना मैं एशिया कप में भारत-पाकिस्तान मैच की तरफ ले जाना चाहूंगा। सांस थमा देने वाले इस मैच के आखिरी ओवर में हार्दिक पंड्या ने सिक्स मार भारत को जीत दिला दी। लेकिन दिल जीत लिया नसीम शाह ने। कुंबले की दिलेरी से तुलना में डिग्री का फर्क हो सकता है लेकिन 19 साल के इस जांबाज ने दिल जीत लिया।

उमस और गर्मी से नसीम शाह को क्रैंप हो गया। एक समय ऐसा आया जब वो लड़खड़ाने लगे। 140 से ज्यादा की पेस निकाल भारत की नाक में दम करने वाले नसीम शाह के लिए बाबर आजम ने 18वां ओवर सेट कर रखा था। उधर नसीम शाह कुंबले की तरह दर्द से कराह रहे थे। फिजियो की लाख कोशिशों के बावजूद नसीम शाह को आराम नहीं मिल रहा था। लेकिन उसके दिल में भी अपने वतन के लिए कर गुजरने का उतना ही जज्बा दिखा जितना हार्दिक पंड्या के बल्ले में। मैदान पर भारत और पाकिस्तान के फैन्स की तालियों के बीच वो उठा। बाबर से गेंद ली। केएल राहुल और सूर्य कुमार यादव को पैवेलियन भेज पाकिस्तान को फेवरिट बना चुके थे नसीम। पाक उम्मीदों को जिंदा रखते हुए नसीम ने रवींद्र जडेजा को एलबीडब्ल्यू कर ही दिया था लेकिन थर्ड अंपायर ने पाया कि गेंद लाइन से बाहर पिच हुई है। नसीम शाह को इस ओवर में फिर फिजियो बुलाना पड़ा लेकिन उसने अपना ओवर पूरा किया। आजकल ऐसे उदाहरण कम ही मिलते हैं। 19 साल का नौजवान अपने करियर को दांव पर लगाकर इस तरह बोलिंग के लिए तैयार नहीं होता। क्रैंप फील होने पर मैदान से बोलर का निकल जाना आम दृश्य है। लेकिन नसीम ने जो जज्बा दिखाया वो खास था।

नसीम की दिलेरी और क्रिकेट के लिए 24 कैरट प्यार पहली बार इस रूप में पहली बार सामने नहीं आया है। नसीम शाह पाकिस्तान में संघर्ष का दूसरा नाम है। आज से तीन साल पहले 2019 में नसीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कहर बनकर टूट पड़े थे। ये मैच ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ पर्थ में खेला जा रहा था। तूफानी स्पेल में दो विकेट लेने वाले नसीम के बारे में तब शायद कम ही लोगों को पता था कि उनकी आंखों में आंसू जम गए थे। उधर पाकिस्तान में 16 साल के नसीम की मां का जनाजा उठ रहा था और इधर नसीम अपनी टीम, अपने देश के लिए मैदान पर सबकुछ झोंकने को तैयार थे।

पीएसएल की सीरीज कहानियां में नसीम ने अपनी मां को यूं याद किया – अम्मी के साथ बहुत अटैचमेंट थी। मेरी अम्मी ने ही मुझे काबिल बनाया कि मैं क्रिकेट खेल सकूं क्योंकि मेरे अब्बू बहुत सख्ती से मना करते थे। पीएसएल में क्वेटा ग्लैडिएटर के लिए खेलने वाले नसीम को जब फर्स्ट क्लास क्रिकेट में चुना गया तब उसकी जानकारी भी उसे मां से मिली। मां ने फोन कर बताया कि क्या हुआ है बेटा, पूरे गांव से लोग घर आ गए हैं और मुबारकबाद दे रहे हैं। कल जब वो भारत के खिलाफ दुबई में उतरे तो ये उनके करियर का पहला टी-20 मैच था। इस डेब्यू को भी नसीम ने अपने जज्बे से यादगार बना दिया।तूफानी स्पेल में दो विकेट लेने वाले नसीम के बारे में तब शायद कम ही लोगों को पता था कि उनकी आंखों में आंसू जम गए थे। उधर पाकिस्तान में 16 साल के नसीम की मां का जनाजा उठ रहा था और इधर नसीम अपनी टीम, अपने देश के लिए मैदान पर सबकुछ झोंकने को तैयार थे।

पीएसएल की सीरीज कहानियां में नसीम ने अपनी मां को यूं याद किया – अम्मी के साथ बहुत अटैचमेंट थी। मेरी अम्मी ने ही मुझे काबिल बनाया कि मैं क्रिकेट खेल सकूं क्योंकि मेरे अब्बू बहुत सख्ती से मना करते थे। पीएसएल में क्वेटा ग्लैडिएटर के लिए खेलने वाले नसीम को जब फर्स्ट क्लास क्रिकेट में चुना गया तब उसकी जानकारी भी उसे मां से मिली। मां ने फोन कर बताया कि क्या हुआ है बेटा, पूरे गांव से लोग घर आ गए हैं और मुबारकबाद दे रहे हैं। कल जब वो भारत के खिलाफ दुबई में उतरे तो ये उनके करियर का पहला टी-20 मैच था। इस डेब्यू को भी नसीम ने अपने जज्बे से यादगार बना दिया। कोहली और रोहित शर्मा जैसे वर्ल्ड क्लास बैट्समैन के सामने 148 के छोटे स्कोर को मुसीबत का पहाड़ बनाने वाले नसीम को ढेर सारी शुभकामनाएं।कोहली और रोहित शर्मा जैसे वर्ल्ड क्लास बैट्समैन के सामने 148 के छोटे स्कोर को मुसीबत का पहाड़ बनाने वाले नसीम को ढेर सारी शुभकामनाएं।