आज हम आपको एक्ट्रेस रीना रॉय की कहानी बताने जा रहे हैं! 15 साल की छोटी-सी उम्र में ‘जरूरत’ फिल्म से बॉलीवुड में कदम रखने वाली रीना रॉय ने अपने दिलकश अंदाज और अभिनय प्रतिभा के बल पर बहुत जल्द ही इंडस्ट्री में अपनी जगह बना ली। प्यार और शादी के मामले में भले किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया, मगर फिल्मों के मामले में वे लकी रहीं। ‘नागिन’, ‘आशा’, ‘काली चरण’, ‘नसीब’, ‘सनम तेरी कसम’ जैसी कई सफल फिल्मों की इस नायिका ने लंबे अर्से तक सिने प्रेमियों के दिलों पर राज किया। 7 जनवरी को उनका जन्मदिन है। बहुत कुछ तो खास नहीं है। वही जो मम्मी हमारी करवाती थीं, वही सब होगा। जैसे हम गरीबों खाना खिलाते हैं, ऊपर वाले को याद करना और परिवार के करीबी लोग घर पर आते हैं। दरअसल जन्मदिन जैसी चीजों का तो बचपन में ही मजा आता है, जब केक कैसे कटेगा,क्या गिफ्ट मिलेगा? वैसे 2 साल तो लॉकडाउन की वजह से मिलना-जुलना तो बंद ही था।अब आज कई करीबियों से मिलना होगा। जहां तक यादगार सालगिरह की बात है, तो बचपन में तो ऐसा था कि आंखें खोली भी नहीं थी, समझदारी भी नहीं आई थी और हीरोइन बन गई थी, 15 साल की उम्र में, तो फिर उसके बाद हमारे लिए तो जन्मदिन यही होता था कि फिल्म सुपरहिट हुई और हम लोग खुश। मेरी ज्यादातर सालगिरह शूटिंग के सेट पर मनाई जाती थी। उसमें भी एक सेट से दूसरे सेट की भागदौड़ में केक कभी कार में कट रहा होता था, तो कभी सीन के बीच में।
यही कि मैं बहुत सारा काम करूंगी। यही मेरे नए साल का रेजोल्यूशन भी है, क्योंकि मैंने बीच में काफी ब्रेक भी ले लिया। बेटी की पढाई थी, तो ब्रेक लेना भी जरूरी था। अब उसकी पढ़ाई हो गई है और वो क्वालिफाइड है। मेरे पास फैंस के फोन आते रहते हैं दुनिया भर से कि मुझे काम करना चाहिए। मैं भी हर भाषा, चाहे वो साउथ हो मराठी या बंगला, सभी में काम करना चाहूंगी। ऑफर्स तो आ रहे हैं कुछ अच्छा मिला तो जरूर करेंगे। मैं वही रोल करना चाहूंगी, जो मेरे दिल को छू जाए। सच तो ये है कि अपने करियर में मैंने हर तरह के रोल किए। नागिन में नेगेटिव-पॉजिटिव दोनों तरह का शेड था। उस वक्त लोगों ने मुझे चेतावनी भी दी कि नकारात्मक रोल करना मेरे लिए रिस्की है और मेरी इमेज खराब हो जाएगी। मगर मैंने रिस्क लिया। मुझे करियर में आगे आशा जैसा पॉजिटिव रोल मिला।
देखिए, वो बोल्ड सीन मैंने नहीं बल्कि डुप्लीकेट से करवाए गए थे। जहां तक पहली फिल्म की बात है, तो मैं उस जमाने में काफी टॉम बॉय टाइप की लड़की थी। घर के पास ही निर्देशक बी आर इशारा जी ने मुझे स्पॉट किया। हालांकि मुझे नरगिस जी (अभिनेत्री) एक फिल्म के लिए पसंद कर चुकी थीं, मगर वो सिलसिला जमा नहीं। वैसे मैं आपको बता दूं कि नई दुनिया नए लोग में मैंने एक स्कूल गर्ल का रोल किया था,मगर वो फिल्म रिलीज ही नहीं हुई। जरूरत के लिए भी बी आर इशारा जी चेतना फेम रेहाना सुल्तान जी को लेना चाहते थे, मगर उनकी मसरूफियत के कारण वे नहीं कर पाईं। मेरे बारे में उन्होंने कहा कि साड़ी-वाड़ी पहनाकर इसी को हीरोइन बना देते हैं। रोना -धोना और इमोशनल सीन तो मुझे आता ही नहीं था और उन्हें एक महीने में फिल्म पूरी करनी होती थी, तो काफी मशक्कत लगी उन्हें मुझे उस रोल के लायक दिखाने में। फिर पहली फिल्म के रूप में जरूरत प्रदर्शित हुई,तो मुझे लोगों ने ये टैग दे दिया।
हमारे लिए अभिनय हमारा जुनून था। चोट लगी तो मुंह से उफ नहीं निकालते थे। राजेश खन्ना जी धर्मेंद्र जी जैसे बड़े स्टार्स की डेट्स बड़ी मुश्किल से मिली होती थी। मुझे याद है, ‘अब के सावन में जी जले’ और मौसम का तकाजा है’ जैसे गानों में मुझे हाई फीवर था और ये बारिश के गाने थे। पाइप से मुझ पर तेज-तेज पानी मारा जा रहा, जो 102 के बुखार में बॉडी को चोट पहुंचा रहा था और मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी, मगर तेज बुखार में भीगते हुए बारिश के रोमांटिक सीन किए। कई बार वैनिटी वैन नहीं मिलती थी, तो गाड़ियों में ही मेकअप और कपड़े बदलने पड़ते थे।
उतार-चढ़ाव सब आपकी जिंदगी की नसीहत होती हैं। होता क्या है न? आप जब बिलकुल रॉ होते हैं, 15 साल की छोटी-सी उम्र में आप लाइम लाइट में आ जाते हैं। दिन रात आपके साथ सेट पर आपकी मां रहती हैं, तो उस वक्त आप सोचते हैं, आपको अपना कुछ अलग करना है। बिना अपने बड़ों का सुने आप अपनी मर्जी करते हैं, तो फिर वो आपके सामने आ जाता है। उस वक्त मैंने अपने बड़ों की नहीं सुनी और मुझे वो भुगतना पड़ा। मैं आज की जनरेशन से कहती हूं कि अपने से बड़ों की सुनना चाहिए। मगर मुझे अतीत से कोई शिकायत नहीं और न कोई आक्रोश, जो होना था, वो हुआ।आगे बढ़ो भाई। अतीत में जाकर कुछ नहीं बदलना चाहूंगी। बन्दूक से कारतूस चल चुकी है, अब कौन उस गोली के पास दोबारा जाए।
बहुत मुश्किल दौर था, मगर मैंने हिम्मत नहीं हारी। कई बार मायूसी भी होती थी, मगर मैंने ठान लिया था कि बेटी की कस्टडी लेकर रहूंगी। ऊपर वाले ने साथ दिया। मैं खुद को एक अच्छी मां मानती हूं, मगर आज के जमाने के साथ -साथ मुझमें मेरी मां की तरह पुराने जमाने की सोच भी है। इसी कारण मेरी बेटी कहती है, मॉम आप ओल्ड स्कूल वाली। आप हर वक्त इतनी डरी हुई क्यों रहती हैं? कि मैं कहां हूं और मुझे इतनी देर क्यों हो रही है? हमारी मां पर भी कई बार हमें गुस्सा आता था कि वो हर वक्त इतना परेशान क्यों रहती हैं। मैं मम्मी से हमेशा कहती थी बहन (बरखा रॉय) साथ है, न? तो आप टेंशन क्यों ले रही हैं? अब जब मैं अपनी बेटी को डील कर रही हूं, तो मुझे भी मां हर पल याद आती है।