Thursday, May 22, 2025
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जानिए सुप्रीम कोर्ट के नए जज केवी विश्वनाथन की कहानी!

आज हम आप को सुप्रीम कोर्ट के नए जज केवी विश्वनाथन की कहानी सुनाने जा रहे हैं! वरिष्ठ वकील कल्पति वेंकटरमन विश्वनाथन का सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बनने से पहले तक का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है। एक किराए के कमरे से सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बनने के सफर में विश्वनाथन ने कई रुकावटें झेलीं। आज उन्होंने बतौर जस्टिस सुप्रीम कोर्ट में शपथ ली है। यही नहीं 11 अगस्त 2030 को जस्टिस जेबी पारदीवाला के रिटायर होने के बाद जस्टिस विश्वनाथन देश के चीफ जस्टिस बनेंगे और 25 मई 2031 तक इस पद पर रहेंगे। जस्टिस विश्वनाथन 1988 में तमिलनाडु से दिल्ली आए थे और सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की थी। वो दक्षिण दिल्ली के आरके पुरम इलाके में एक रूम के कमरे में रहते थे। वह तमिलनाडु के तीसरे ऐसे जस्टिस होंगे जो चीफ जस्टिस की कुर्सी पर पहुंचेंगे। इसके अलावा जस्टिस एसएम सीकरी, जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस पीएस नरसिम्हा के बाद बार से सीधे जस्टिस बनने वाले चौथे जस्टिस होंगे।

57 साल के जस्टिस विश्वनाथन तमिलनाडु के पोल्लची शहर के रहने वाले हैं। वह कोयंबटूर के करीब रहते थे। उन्होंने स्कूली पढ़ाई-लिखाई पोल्लची अरोकिया मठ मैट्रिकुलेशन स्कूल से की। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए सैनिक स्कूल अमरावतीनगर और उधागई सुस्यापार हाई स्कूल से की। उन्होंने कानून की पढ़ाई कोयंबटूर लॉ कॉलेज से की। विश्वनाथन के पिता केवी वेंकटरमण कोयंबटूर में सरकारी वकील थे।

1988 में दिल्ली में कदम रखने वाले विश्वनाथन के दिल में बड़ा वकील बनने की तमन्ना थी। वह आर के पुरम के केंद्र सरकार के सरकारी क्वॉर्टर में एक दोस्त के साथ 200 रुपये महीने के किराए पर रहने लगे। इस इलाके में तमिल भाषियों की अच्छी खासी तादाद थी और विश्वनाथन को यहां रहने के लिए जगह खोजने में दिक्कत नहीं हुई। जस्टिस विश्वनाथन मुरुगन मंदिर के इलाके में रहते थे और वहीं के पास के महालिंगम मेस में खाना खाते थे। बाद में वह तीन अन्य लोगों के साथ मोहम्मदपुर गांव में शिफ्ट हो गए थे।

जस्टिस विश्वनाथन ने अपने करियर की शुरुआत वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन के साथ शुरू की थी। वैद्यनाथन अयोध्या केस में भगवान रामलला की तरफ से वकील थे। जस्टिस विश्वनाथन ने 1988 से 90 तक वैद्यनाथन के जूनियर बनकर काम किया और सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और निचली अदालतों में पेश हुए। इसके बाद जस्टिस विश्वनाथन 1990 से 1995 तक वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल के जूनियर बनकर काम किया। 2009 में जस्टिस विश्वनाथन को वरिष्ठ वकील का दर्जा मिला। वह केंद्र सरकार में सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं।

1991 में जब देश के पूर्व पीएम राजीव गांधी की एलटीटीई ने हत्या कर दी तो जस्टिस एमसी जैन के नेतृत्व में एक सदस्यीय जांच आयोग को इस घटना की जांच कि जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 1988 से 90 तक वैद्यनाथन के जूनियर बनकर काम किया और सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और निचली अदालतों में पेश हुए। इसके बाद जस्टिस विश्वनाथन 1990 से 1995 तक वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल के जूनियर बनकर काम किया। 2009 में जस्टिस विश्वनाथन को वरिष्ठ वकील का दर्जा मिला। वह केंद्र सरकार में सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं।इस दौरान जस्टिस विश्वनाथन विरोधी पक्ष की तरफ से कोर्ट के ट्रांसलेटर बने थे।

जैन कमीशन की सुनवाई दिल्ली के विज्ञान भवन के एनेक्सी में होती थी। यहां तमिलनाडु के राजनीतिक दलों के नेता एम करुणानिधि, वाइको और कई और अपने बयान दर्ज कराने के लिए आते थे। जस्टिस विश्वनाथन AIADMK की तरफ से कमीशन के सामने पेश हुए थे। नेता तो अंग्रेजी में बोलते थे लेकिन जैसे ही डीएमके नेता करुणानिधि ने तमिल में बोलना शुरू किया तो जस्टिस जैन को समझ में नहीं आया कि वह क्या करें। तब उन्होंने जस्टिस विश्वनाथन से कहा कि क्या आप करुणानिधि जो बोल रहे हैं, उसका अनुवाद कर देंगे? तब जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि वह AIADMK की तरफ से पेश हो रहे हैं। इसके बाद जस्टिस जैन ने वहां खड़े लोगों से पूछा कि क्या किसी को जस्टिस विश्वनाथन के अनुवाद करने को लेकर कोई दिक्कत है? किसी ने इसपर कोई आपत्ति नहीं जताई। इसके बाद जस्टिस विश्वनाथन ने जस्टिस जैन के लिए करुणानिधि के शब्दों का अनुवाद किया।

जस्टिस विश्वनाथन ने सु्प्रीम कोर्ट में कई अहम मामलों में पेश हुए हैं। इसके अलावा वह कई अति संवेदनशील मामलों में कोर्ट के एमिकस क्यूरी भी रहे हैं। जस्टिस विश्वनाथन तमिलनाडु से तीसरे चीफ जस्टिस होंगे। उनसे पहले जस्टिस एम पतंजालि शास्त्री 1951-1954 और जस्टिस पी सदाशिवम करीब 9 महीने तक चीफ जस्टिस रहे थे।

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