जानिए अतीक को धूल चटाने वाले सुपरकॉप की कहानी!

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आज हम आपको अतीक को धूल चटाने वाले सुपरकॉप की कहानी सुनाने जा रहे हैं! साल 2015 लखनऊ के हजरत गंज इलाके की एक जमीन पर अवैध कब्जा करना चाहता था अतीक अहमद। ये जमीन लखनऊ के ही एक व्यापारी की थी। अतीक करोड़ों रुपये के इस प्लॉट पर अपना कब्जा करना चाह रहा था, लेकिन सामने थे आईपीएस ऑफिसर राजेश कुमार पांडे। ये वो वक्त था जब अतीक की उत्तर प्रदेश में तूती बोलती थी। बड़े-बड़े पुलिसवाले उसकी मुट्ठी में रहते थे, लेकिन ऐसे में निडर ऑफिसर राजेश कुमार न सिर्फ अतीक को उस जमीन में कब्जा करने से रोका बल्कि लखनऊ में अतीक को पैर भी नहीं पसारने दिए। देश में एक से बढ़कर एक पुलिस ऑफिसर हुए जिनमें से एक हैं आईपीएस ऑफिसर राजेश कुमार पांडेय। जिनके नाम पर 50 से ज्यादा एनकाउंटर शामिल हैं। सोचिए अतीक जैसा बड़ा माफिया भी राजेश कुमार के सामने आकर डर गया। इस ऑफिसर के वीरता के इतने किस्से शामिल है उनपर एक किताब लिखी जा सकती है। उत्तर प्रदेश के बड़े गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम देश में शायद ही कोई हो जो ना जानता हो। बड़े-बड़े कनेक्शन और उतने ही बड़े अपराध, लेकिन राजेश कुमार पांडे के सामने इस अपराधी की भी एक न चली। श्रीप्रकाश के एनकाउंटर में राजेश पांडेय ने ही अहम भूमिका निभाई थी।

राजेश कुमार की गोली जब चलती थी तो अपराधी के शरीर को चीर डालती थी, लेकिन एक बार ऐसा हुआ कि इस सुपर कॉप की गोली एक बड़े अपराधी के शरीर में 20 साल तक रही। साल 1998 में यूपी के डॉन मुख्तार अंसारी के सबसे खास मुन्ना बजरंगी के बारे में पुलिस को खबर मिलती है कि वो दिल्ली में है। मुन्ना को धर दबोचने के लिए तत्कालीन एसपी राजेश कुमार पांडे अपनी टीम के साथ निकल पड़ते हैं। दोनों तरफ से गोली बारी होती है। राजेश कुमार की गोली सीधा मुन्ना बजरंगी के शरीर तक पहुंचती है और उसकी सांसे थम जाती हैं। खबर फैल जाती है कि मुन्ना बजरंगी की मौत हो गई है। हालांकि अस्पताल जाकर वो फिर आंखे खोल देता है। कहा जाता है 20 कि मुन्ना बजरंगी के शरीर के अंदर 20 साल तक वो गोली रही जो सुपर कॉप राजेश कुमार पांडेय की बंदूक से निकली थी।

राजेश कुमार प्रयागराज के रहने वाले हैं। उन्होंने वनस्पति विज्ञान में एमएससी की और फिर नेट क्लियर करने के बाद दिल्ली की पूसा यूनिवर्सिटी में रिसर्च फेलो के रूप में काम किया।लेकिन ऐसे में निडर ऑफिसर राजेश कुमार न सिर्फ अतीक को उस जमीन में कब्जा करने से रोका बल्कि लखनऊ में अतीक को पैर भी नहीं पसारने दिए। देश में एक से बढ़कर एक पुलिस ऑफिसर हुए जिनमें से एक हैं आईपीएस ऑफिसर राजेश कुमार पांडेय। जिनके नाम पर 50 से ज्यादा एनकाउंटर शामिल हैं। सोचिए अतीक जैसा बड़ा माफिया भी राजेश कुमार के सामने आकर डर गया। इस ऑफिसर के वीरता के इतने किस्से शामिल है उनपर एक किताब लिखी जा सकती है। उत्तर प्रदेश के बड़े गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम देश में शायद ही कोई हो जो ना जानता हो। बड़े-बड़े कनेक्शन और उतने ही बड़े अपराध, लेकिन राजेश कुमार पांडे के सामने इस अपराधी की भी एक न चली। श्रीप्रकाश के एनकाउंटर में राजेश पांडेय ने ही अहम भूमिका निभाई थी। साल 1986 में उन्होंने यूपीपीएससीसी की परीक्षा पास की और डीएसपी के रूप में काम करना शुरू किया। इसके बाद तो प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कमान संभालते रहे। वह सोनभद्र, जौनपुर, आजमगढ़ और लखनऊ में सीओ के पद पर कार्यरत रहे। उन्हें एसपी सिटी लखनऊ, गाजियाबाद, मेरठ और एडीशनल एसपी बाराबंकी के रूप में भी तैनात किया गया। उत्तर प्रदेश एटीएस और एसटीफ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और लंबे समय तक इनसे जुड़े रहे। राजेश कुमार पांडेय साल 2021 में डीआईजी पद से रिटायर हुए।

उनके बेहतरीन काम की वजह से उन्हें उनके कार्यकाल के दौरान कई आतंकी घटनाओं की जांच की जिम्मेदारी भी मिली। 2005 में अयोध्या हमला, 2006 में वाराणसी दशाश्वमेध मंदिर आतंकवादी घटना और फैजाबाद और लखनऊ की जिला अदालतों में विस्फोट शामिल के मामलों में राजेश कुमार पांडेय ने जांच की।

उत्तर प्रदेश के इस एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को इनकी वीरता के लिए राष्टपति से चार बार पुलिस पदक मिला।लेकिन ऐसे में निडर ऑफिसर राजेश कुमार न सिर्फ अतीक को उस जमीन में कब्जा करने से रोका बल्कि लखनऊ में अतीक को पैर भी नहीं पसारने दिए। देश में एक से बढ़कर एक पुलिस ऑफिसर हुए जिनमें से एक हैं आईपीएस ऑफिसर राजेश कुमार पांडेय। जिनके नाम पर 50 से ज्यादा एनकाउंटर शामिल हैं। सोचिए अतीक जैसा बड़ा माफिया भी राजेश कुमार के सामने आकर डर गया। इस ऑफिसर के वीरता के इतने किस्से शामिल है उनपर एक किताब लिखी जा सकती है। उत्तर प्रदेश के बड़े गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम देश में शायद ही कोई हो जो ना जानता हो। बड़े-बड़े कनेक्शन और उतने ही बड़े अपराध, लेकिन राजेश कुमार पांडे के सामने इस अपराधी की भी एक न चली। श्रीप्रकाश के एनकाउंटर में राजेश पांडेय ने ही अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा उन्हें साल 2005 में एक सराहनीय पुलिस सेवा पदक और साल 2008 में कोसोवो में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा पदक भी मिला।