इस बार के बजट में श्री अन्य योजना की चर्चा काफी हो रही है! केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नरेंद्र मोदी सरकार के वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह आखिरी पूर्ण बजट है। इसमें निर्मला सीतारमण ने श्री अन्न का जिक्र किया। इसके बाद इस पर चर्चा शुरू हो गई है। श्री अन्न को देवान्न भी कहते हैं। मोटे अनाजों को श्री अन्न का दर्जा दिया गया है। श्री अन्न को अनाजों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। वक्त के साथ लोग गेहूं, चावल की ओर तेजी से बढ़ते चले गए। ऐसे में श्री अन्न की उपज और भोजन में इसको प्रयोग में लाए जाने के मामले पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। लोगों की थाली में एक बार फिर मोटे अनाजों को लाए जाने की कोशिश की जा रही है। कोरोना काल में मोटे अनाजों से मिलने वाली ताकत की खूब चर्चा हुई। इसके बाद श्री अन्न के प्रयोग में वृद्धि हुई है। इस पर सरकार की ओर से भी काम किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मोटे अनाजों को देश और वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) में ऐसे कृषि उपज को शामिल करने का फैसला लिया है। अब तक सिद्धार्थनगर के ओडीओपी में कालानमक चावल इसमें शामिल था। यूपी सरकार की ओर से चल रही कवायद के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री ने श्री अन्न की चर्चा की है।
वित्तीय वर्ष 2023-14 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। श्री अन्न के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र बनाने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान हैदराबाद को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। बजट पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि बाजरा को लोकप्रिय बनाने में भारत सबसे आगे है। इसके उपभोग से खाद्य सुरक्षा और किसानों की स्थिति में सुधार होता है। इसलिए, इसको बड़े स्तर पर लोगों के बीच प्रचारित और प्रसारित करने की योजना है।
वित्त मंत्री ने कहा कि हम कई प्रकार के श्री अन्न उगाते हैं। इसमें ज्वार, रागी, बाजरा, रामदाना, चीना, और सामा आदि शामिल हैं। इनके कई स्वास्थ्य लाभ हैं और सदियों से हमारे भोजन का एक अभिन्न अंग रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन श्री अन्न को अब बड़े स्तर पर अपने भोजन का अंग बनाने की तैयारी पर काम किया जाएगा। इसके लिए हैदराबाद के भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान को सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाने की तैयाारी है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
भारत के प्रस्ताव के बाद संयुक्त राष्ट्र की ओर से वर्ष 2023 को ‘बाजरा का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष’ घोषित किया गया है। केंद्रीय मंत्रालय, राज्य सरकारें और भारतीय दूतावास कृषक, उपभोक्ता और जलवायु के लिए बाजरा के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने का काम करेंगे। इसके प्रचार करने के लिए पूरे वर्ष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। मोदी सरकार बाजरा को जी-20 बैठकों का एक अभिन्न हिस्सा के रूप में शामिल कर रही है। बाजरा को पहले मोटा अनाज या गरीबों का अनाज कहा जाता था। उच्च पोषण मूल्य के कारण केंद्र सरकार ने इनका नाम बदलकर ‘न्यूट्री-अनाज’ कर दिया है। बाजरा आहार में एक से अधिक पोषक तत्व उपलब्ध कराता है। इसे चावल और गेहूं की तुलना में अधिक पौष्टिक माना जाता है।
बाजरा आयरन, डाइटरी फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, जिंक और विटामिन जैसे थायमिन, राइबोफ्लेविन, फोलिक एसिड और नियासिन से भरपूर होता है। इन अनाजों में 7 से 12 फीसदी प्रोटीन, 2 से 5 फीसदी वसा, 65 से 75 फीसदी कार्बोहाइड्रेट और 15 से 20 फीसदी आहार फाइबर होता है। बाजरा भी लस मुक्त होता है। खाद्य और पोषण सुरक्षा की बढ़ती चुनौती का सामना इस समय विश्व कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस स्थिति को देखते हुए बाजरा के बारे में जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया है। इसके लिए 2023 को अंतर्राष्ट्रीय वर्ष बाजरा घोषित किया है। बाजरा को एक अधिक किफायती, टिकाऊ और पौष्टिक विकल्प के रूप में खाद्यान्न के रूप में देखा जा रहा है। मार्च 2021 में भारत की ओर से पहल का प्रस्ताव दिए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से सर्वसम्मति से प्रस्ताव को स्वीकार किया गया। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने पहल को बाजरा के पोषण लाभों और खेती के लिए उनकी उपयुक्तता के प्रति जागरूकता बढ़ाने और प्रत्यक्ष नीति पर ध्यान देने के अवसर के रूप में माना है।
भारत वर्ष 2020 में 41 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ दुनिया में बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक है। एफएओ के आंकड़े यही बताते हैं। देश के 20 से अधिक राज्यों में 9 प्रकार की फसलें खरीफ फसलों के रूप में उगाई जाती हैं। इनमें प्रमुख फिंगर बाजरा (रागी या मंडुआ), बाजरा (बाजरा), और ज्वार (ज्वार) हैं। मामूली बाजरा में फॉक्सटेल बाजरा (कांगनी या काकुन), बार्नयार्ड बाजरा (सावा या सनवा, झंगोरा), छोटा बाजरा (कुटकी), शामिल हैं। कोदो बाजरा (कोडोन), प्रोसो बाजरा (चीना) और ब्राउनटॉप बाजरा आदि शामिल हैं। राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश इसके प्रमुख उत्पादक हैं।