आज हम आपको बतायेंगे कि आखिर महिला आरक्षण बिल है क्या! नारी तू नारायणी- यह भारतीय मानस का मूल भाव है। आज उसी नारी शक्ति को देश की नई संसद ने अपने पहले विधायी कार्य के जरिए नमन किया है। जी हां, लोकसभा में नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश कर दिया गया। राजनीति में महिला आरक्षण की दशकों पुरानी मांग को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का यह कदम अपने आप में ऐतिहासिक है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी का दावा है कि आज जो महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, उसके मूल में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का विजन है। सोनिया गांधी से लेकर तमाम कांग्रेसी इस महिला आरक्षण विधेयक को ‘अपना’ बता रहे हैं। लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी जबकि राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया कि 2010 में मनमोहन सिंह सरकार ने राज्यसभा से महिला आरक्षण विधेयक पास करवाया था जो आज भी जीवित है। वहीं, सत्ता पक्ष ने इस दावे को खारिज कर दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने राजीव गांधी के वक्त लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किए जाने के दावे का अधीर रंजन चौधरी से प्रमाण मांग लिया। आइए जानते हैं महिला आरक्षण विधेयक को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच श्रेय लेने की होड़ में किसने क्या कहा है। आज जब सभी सांसद पुराने संसद भवन से विदाई लेने जा रहे थे तभी प्रवेश द्वार पर पत्रकारों ने सोनिया गांधी से महिला आरक्षण विधेयक को लेकर सवाल किया। इस सवाल पर सोनिया गांधी ने कहा, ‘इट्स आवर्स, अपना है।’
वहीं, कांग्रेस के एक्स हैंडल पर लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी का भाषण पोस्ट किया गया है। इस पोस्ट में महिला आरक्षण विधेयक का श्रेय लिए जाने की मंशा साफ-साफ दिख रही है। उधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खासमखास सैम पित्रौदा ने भी एक एक्स पोस्ट में कहा कि राजीव गांधी का सपना आज पूरा हो रहा है। उन्होंने लिखा, ‘महिला सशक्तीकरण का राजीव गांधी का विजन आखिरकार सच साबित हो रहा है। सोनिया गांधी समेत कई नेताओं ने संसद में और सार्वजनिक तौर पर इस महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा की, बहस-मुबाहिसों में भाग लिया और इसका मसौदा तैयार किया जिसे आज स्थान मिल गया है। बधाइयां।’
उधर, गुजरात के वडगाम से कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवानी ने भी राहुल गांधी के एक पुराने पोस्ट को रीपोस्ट किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने तो बहुत पहले यह कहा था। मेवानी ने #WomenReservationBill के साथ लिखा, ‘इसका लंबे समय से इंतजार था। अगर यह होता है हम सबको इसका खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए।’ अधीर रंजन चौधरी जब लोकसभा में बता रहे थे कि 1989 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने निकाय चुनावों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की व्यवस्था की थी। उसके बाद से कई कांग्रेसी सरकारों ने महिला आरक्षण की दिशा में प्रयास किए थे। फिर उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए राजीव जी की सरकार… अधीर के इतना कहते ही सत्ता पक्ष से हंगमा होने लगा। सदन शांत होते ही अधीर ने कहा, ‘राजीव जी की सरकार, नरसिम्हा राव जी की सरकार, फिर डॉ. मनमोहन जी की सरकार, अलग-अलग समय पर अलग-अलग सरकारों ने अपनी हैसियत के अनुसार उसको पास कराने का प्रयास किया। कभी राज्यसभा में पास होता था, लोकसभा में नहीं होता था। कभी लोकसभा में पास होता था तो राज्यसभा में गिर जाता था।’ अधीर ने आगे दावा किया, ‘डॉ. मनमोहन जी की सरकार में राज्यसभा में जो बिल आया, वो आज तक जीवित है। राज्यसभा में पास हुआ है। हमारी कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जो प्रस्ताव पास हुआ, उसमें यह बात की गई है।’
इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी ने तथ्यात्मक रूप से गलत दावा किया है। उन्होंने कहा, ‘पुराना बिल अभी भी जीवित है, यह तथ्यात्मक रूप से गलत है। अगर अधीर रंजन जी के पास कोई डॉक्युमेंट है जो उनके दावे को प्रमाणित करे तो उन्हें संसद पटल पर रखना चाहिए।’ शाह बोले,
‘अधीर रंजन जी ने यह भी कहा कि राजीव गांधी जी के समय में महिला आरक्षण का विधेयक लोकसभा में भी पेश हुआ था, यह भी पूरी तरह गलत है। कभी नहीं हुआ था।’ उन्होंने कहा कि लोकसभा में जो बिल पारित होता है, अगर राज्यसभा उसे पारित नहीं करती है और लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होता है तो वो बिल अपने आप लैप्स हो जाता है। अगर उनके पास अलग जानकारी है तो सदन के पटल पर रखना चाहिए।
ध्यान रहे कि राजनीति में महिलाओं के लिए अनुकूल स्थिति पैदा करने की मांग वर्ष 1931 में ही उठ गई थी। बाद में महिला आरक्षण की मांग होने लगी। पहली बार वर्ष 1971 में राजनीति में महिलाओं की स्थिति पर एक समिति का गठन किया गया। इसे सरकार के स्तर पर महिला आरक्षण की दिशा में पहला कदम माना जा सकता है। फिर 12 सितंबर, 1996 को पहली बार संसद में महिला आरक्षण विधेयक भी पेश हो गया। उसके बाद से कई सरकारों ने इस दिशा में प्रयास किए, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली।