Sunday, February 23, 2025
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जानिए कौन है नए चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू?

आज हम आपको नए चुनाव आयुक्त सुखवीर सिंह संधू की कहानी सुनाने जा रहे हैं! उत्तराखंड में मुख्य सचिव के रूप में सेवाएं दे चुके डॉ सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त बनाये जाने से देवभूमि की अहमियत और भी बढ़ गयी है। पंजाब में जन्मे संधू उत्तराखंड कैडर के अधिकारी हैं और देवभूमि से उनका गहरा नाता है। उत्तराखंड के मुख्य सचिव पद पर रहते हुए डॉ. संधू ने प्रदेश में चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना और जमरानी बांध जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को गति देने में भी भूमिका निभाई। केंद्र की योजनाओं को धरातल पर उतारने में डॉ. संधू की सबसे बड़ी भूमिका रही। डॉ.एसएस संधू भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1988 बैच के उत्तराखंड कैडर के अधिकारी हैं। उनका जन्म 6 जुलाई 1963 को हुआ था। डॉ. संधू ने पंजाब से एमबीबीएस मेडिसिन के साथ ही एमए और एलएलबी की डिग्री भी प्राप्त की है। डॉ. एसएस संधू ने उत्तराखंड में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत होने के बाद वे इसी वर्ष फरवरी में लोकायुक्त के सचिव पद पर भी नियुक्त किए गए थे। उत्तराखंड में प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री पद पर रहने के बाद डॉक्टर संधू 2019 में केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे। जहां उन्होंने अक्टूबर 2019 में एनएचएआई के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ पुनर्निर्माण परियोजना के कार्य की जिम्मेदारी भी बेहतर तरीके से निभाई। परियोजना की प्रगति की जानकारी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय सीधे डॉ. संधू के संपर्क में रहा।एनएचएआई के अध्यक्ष रहते हुए डॉ. संधू ने सड़कों का निर्माण और इससे संबंधित विवादों का निपटारा करने में भी खासी भूमिका निभाई।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने डॉक्टर संधू के एनएचएआई में किए गए कार्य को काफी सराहा था। जुलाई 2021 में डॉ. संधू ने धामी सरकार में मुख्य सचिव का पदभार ग्रहण किया था। वह 31 जनवरी 2024 को रिटायर हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद उनके लंबे प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए उन्हें लोकपाल कार्यालय में सचिव पद की अहम जिम्मेदारी भी सौंप गई थी। डॉ. संधू ने आईएएस अधिकारी के रूप में शुरुआती दौर में 9 सालों तक उत्तराखंड में अपनी सेवाएं दी। इसके बाद वे दो बार इंटर स्टेट डेपुटेशन पर पंजाब भी गए। पहली बार 1997 से लेकर 2002 और उसके बाद वर्ष 2007 से लेकर 2012 तक पंजाब में डेपुटेशन पर रहे।

एसएस संधू लुधियाना नगर निगम के आयुक्त के रूप में काम करने के लिए राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित हो चुके हैं। एमडीडीए में वीसी, शिक्षा विभाग में एडिशनल सचिव के पद पर भी डॉ. संधू रहे हैं। 1986 में हरिद्वार के जिलाधिकारी भी रहे। 2007 से 2012 के बीच पंजाब में बादल सरकार के सीएम के स्पेशल सेक्रेटरी भी रहे। मुख्य सचिव पद पर रहते हुए डॉ. संधू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ पुनर्निर्माण परियोजना के कार्य की जिम्मेदारी भी बेहतर तरीके से निभाई। परियोजना की प्रगति की जानकारी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय सीधे डॉ. संधू के संपर्क में रहा।

मुख्य सचिव रहते हुए डॉ. संधू ने उल्लेखनीय कार्य किया। उन्होंने शासन की कार्य प्रणाली को सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़ने का काम भी किया। पारंपरिक तौर-तरीकों की बजाय हाईटेक साधनों से प्रशासनिक कामकाज का माहौल भी बनाया। डॉ. संधू में सचिवालय से लेकर विभागों निदेशालयों और जिलों तहसीलों में ई-फाइल व्यवस्था के विजन को लागू करने पर डॉ. संधू ने विशेष जोर दिया। केंद्र की योजनाओं को धरातल पर उतारने में डॉ. संधू की सबसे बड़ी भूमिका रही। डॉ.एसएस संधू भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1988 बैच के उत्तराखंड कैडर के अधिकारी हैं। प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए उन्हें लोकपाल कार्यालय में सचिव पद की अहम जिम्मेदारी भी सौंप गई थी। डॉ. संधू ने आईएएस अधिकारी के रूप में शुरुआती दौर में 9 सालों तक उत्तराखंड में अपनी सेवाएं दी। इसके बाद वे दो बार इंटर स्टेट डेपुटेशन पर पंजाब भी गए।उनका जन्म 6 जुलाई 1963 को हुआ था। डॉ. संधू ने पंजाब से एमबीबीएस मेडिसिन के साथ ही एमए और एलएलबी की डिग्री भी प्राप्त की है। डॉ. एसएस संधू ने उत्तराखंड में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत होने के बाद वे इसी वर्ष फरवरी में लोकायुक्त के सचिव पद पर भी नियुक्त किए गए थे।वहीं एनएचएआई के अध्यक्ष रहते हुए डॉ. संधू ने दिल्ली से देहरादून तक एक्सप्रेस हाईवे को मंजूरी भी दिलाई और मुख्य सचिव बनने के बाद अपने प्रयासों से इस पर तेजी से काम भी करवाया।

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