आज हम आपको लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी आजम चीमा के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं! लश्कर-ए-तैयबा के इंटेलिजेंस चीफ आजम चीमा का 70 साल की उम्र में निधन हो गया। उसका निधन पाकिस्तान के फैसलाबाद में हार्ट अटैक की वजह से हुआ। चीमा की मौत की खबर ने पाकिस्तान में जिहादी हलकों के बीच हाल के महीनों में लश्कर-ए-तैयबा के कई आतंकियों की रहस्यमयी हत्याओं को देखते हुए नई अटकलों को जन्म दे दिया। चीमा मुंबई हमले समेत भारत के खिलाफ कई बड़े आतंकी साजिशों में शामिल था। उसके पाकिस्तान में होने की बात से इस्लामाबाद लगातार इनकार करता रहा। उसकी मौत के बाद आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का बड़ा झटका जरूर लगा है। पाकिस्तान में पिछले कुछ महीनों में सिलसिलेवार रहस्यमयी तरीके से आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के कई आतंकियों की हत्या हुई। पाकिस्तान ने इन हत्याओं के लिए भारतीय एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन भारत ने ऐसे दावों का खंडन किया है। भारत ने सख्त लहजे में कहा है कि उसने कोई किलिंग लिस्ट नहीं बनाई है। अगर ऐसी कोई लिस्ट होती तो चीमा, जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के साथ एक बड़ा टारगेट होता।
बता दें कि चीमा ने भारत में कई आतंकी हमलों को अंजाम देने में बड़ी भूमिका निभाई। इसमें 26/11 मुंबई आतंकी हमले और जुलाई 2006 के मुंबई ट्रेन बम विस्फोट शामिल हैं। भारतीय एजेंसियों के लिए, चीमा की मौत केवल पाकिस्तानी की धरती पर नामित आतंकवादियों की मौजूदगी बताती है। जबकि इस्लामाबाद बार-बार आतंकियों के पाकिस्तान में शरण लेने के दावे से इनकार करता है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, चीमा को लंबी दाढ़ी वाले एक शख्स के रूप में पहचाना गया, जो पंजाबी भाषा बोलता था। वो लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष नेताओं में शामिल रहा। चीमा 2000 के दशक की शुरुआत में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ पाकिस्तान के बहावलपुर में रहता था। बताया जाता है कि वह अक्सर अपने 6 बॉडी गार्ड्स के साथ लैंड क्रूजर में सफर करता था। चीमा बहावलपुर कैंप में आतंकी ट्रेनिंग ले रहे जिहादियों का ब्रेनवॉश करने के लिए पूर्व आईएसआई प्रमुख जनरल हमीद गुल, ब्रिगेडियर रियाज और कर्नल राफिक को लाने के लिए जिम्मेदार था। उसने कराची और लाहौर में आतंकी ट्रेनिंग कैंपों का भी दौरा किया।2008 में चीमा को पाकिस्तान के बहावलपुर में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में वो लश्कर के सीनियर नेता जकी-उर-रहमान लखवी का सलाहकार बना और 26/11 मुंबई हमलों के लिए रूट, योजना और ट्रेनिंग में प्रमुख भूमिका निभाई। अमेरिकी ने चीमा को लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य कमांडर बताया, जिसके आतंकी ओसामा बिन लादेन के अल-कायदा नेटवर्क से संबंध थे। लश्कर-ए-तैयबा को दिसंबर 2001 में अमेरिका द्वारा और मई 2005 में संयुक्त राष्ट्र समिति द्वारा एक विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया था।
कहा जाता है कि चीमा को अफगान युद्ध की कमान संभालने वालों में शामिल था। वो नक्शे पढ़ने में एक्सपर्ट था, खासतौर पर उसे भारत के नक्शे में दिलचस्पी थी। चीमा ने जिहादियों को नक्शे पर भारत की प्रमुख जगहों के बारे में सिखाया और 2000 के दशक के मध्य में सैटेलाइट फोन के माध्यम से पूरे भारत में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को निर्देश दिए।
2008 में चीमा को पाकिस्तान के बहावलपुर में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में वो लश्कर के सीनियर नेता जकी-उर-रहमान लखवी का सलाहकार बना और 26/11 मुंबई हमलों के लिए रूट, योजना और ट्रेनिंग में प्रमुख भूमिका निभाई। चीमा बहावलपुर कैंप में आतंकी ट्रेनिंग ले रहे जिहादियों का ब्रेनवॉश करने के लिए पूर्व आईएसआई प्रमुख जनरल हमीद गुल, ब्रिगेडियर रियाज और कर्नल राफिक को लाने के लिए जिम्मेदार था। उसने कराची और लाहौर में आतंकी ट्रेनिंग कैंपों का भी दौरा किया।2008 में चीमा को पाकिस्तान के बहावलपुर में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर के रूप में नियुक्त किया गया था।अमेरिकी ने चीमा को लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य कमांडर बताया, जिसके आतंकी ओसामा बिन लादेन के अल-कायदा नेटवर्क से संबंध थे। मुंबई हमलों के लिए रूट, योजना और ट्रेनिंग में प्रमुख भूमिका निभाई। अमेरिकी ने चीमा को लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य कमांडर बताया, जिसके आतंकी ओसामा बिन लादेन के अल-कायदा नेटवर्क से संबंध थे। लश्कर-ए-तैयबा को दिसंबर 2001 में अमेरिका द्वारा और मई 2005 में संयुक्त राष्ट्र समिति द्वारा एक विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया था।लश्कर-ए-तैयबा को दिसंबर 2001 में अमेरिका द्वारा और मई 2005 में संयुक्त राष्ट्र समिति द्वारा एक विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया था।