नई दिल्ली। हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस’ (National Safe Motherhood Day)मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य गर्भावस्था, प्रसव और पोस्ट-डिलीवरी और गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं के प्रति जागरूक करना है। इस अभियान की शुरुआत ‘व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया’ द्वारा की गई थी। भारत सरकार ने व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया के प्रस्ताव पर कार्रवाई की और 11 अप्रैल को ‘नेशनल सेफ मदरहुड डे’ के रूप में मान्यता दी।
हर साल इस दिवस को एक खास थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस की थीम का चयन डब्ल्यूआरएआई के सदस्यों द्वारा गर्भवती महिलाओं और नई माताओं के लिए स्वास्थ्य देखभाल और मातृत्व सुविधाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए पूर्ण पैमाने पर अभियान गतिविधियों को करने के लिए किया जाता है।
भारत में हर साल 35,000 से अधिक महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल न होने के कारण जान चली जाती है। इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, भारत सरकार ने 2003 में WRAI के अनुरोध पर 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया।
सरकार ने इस साल के लिए आधिकारिक तौर पर थीम की घोषणा नहीं की है। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस 2022 के लिए डिज़ाइन की गई गतिविधियां महिलाओं की सुरक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने और हर हालत में जीने का अधिकार सुनिश्चित करने पर भी ध्यान केंद्रित करेंगी।
इस दिन को मनाने का एकमात्र उद्देश्य लोगों को एक साथ लाना और उन्हें गर्भावस्था के बाद महिलाओं के लिए आवश्यक पर्याप्त देखभाल और कौशल के बारे में जागरूक करना है। बहुत से लोगों को अभी भी इस बात की समझ नहीं है कि गर्भवती महिलाओं को क्या चाहिए और प्रसवोत्तर देखभाल मां और बच्चे के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, बच्चे के जन्म के दौरान हर साल 830 से अधिक महिलाओं की मौत हो जाती है। अधिकारियों ने माना कि प्रसव से पहले, प्रसव के दौरान और बाद में कुशल देखभाल महिलाओं और नवजात शिशुओं के जीवन को बचा सकती है। साथ ही महिलाओं की मृत्यु दर को कम करने के तरीकों पर जानकारी देने वाले अभियान चलाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का उद्देश्य वैश्विक मृत्यु दर को प्रति 1000 जन्म पर 70 तक लाना है।