हमारी वैदिक विज्ञान में कई तरीके की औषधियों और दवाइयों का विवरण है! क्या आपको पता है कि ब्राह्मी वटी क्या है? अगर आपको नहीं पता तो यह जान लीजिए कि ब्राह्मी वटी का उपयोग प्राचीन काल से ही किया जा रहा है। सदियों से आयुर्वेदाचार्य ब्राह्मी वटी के इस्तेमाल से रोगों को ठीक करने का काम कर रहे हैं।आयुर्वेद में यह बताया गया है कि ब्राह्मी वटी मानव मस्तिष्क के लिए अमृत के समान औषधि है। यह हिमालय की तराइयों में पाए जाने वाले ब्राह्मी पौधे से तैयार किया जाता है।ब्राह्मी वटी तनाव से छुटकारा दिलाने में मदद करती है, सांसों की बीमारी, विष के प्रभाव को ठीक करती है। इसके साथ ही यह रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है। यह मष्तिस्क तथा स्मरण शक्ति को स्वस्थ बनाती है!
ब्राह्मी वटी के सेवन से मस्तिष्क की दुर्बलता एवं मस्तिष्क संबंधी सभी विकार नष्ट होते हैं। ब्राह्मी वटी स्मरण शक्ति एवं बुद्धि को भी बढ़ाती है। मस्तिष्क संबंधी कार्य अधिक करने वाले लोगों जैसे- विद्यार्थी, अध्यापक आदि को ब्राह्मी वटी का सेवन जरूर करना चाहिए।कई लोगों को ह्रदय संबंधी विकार होते रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए ब्राह्मी वटी का सेवन रोज करना चाहिए। इससे वातनाड़ियों तथा हृदय से संबंधित रोग तुरंत ठीक हो जाते हैं।
जो मरीज नींद ना आने की परेशानी से ग्रस्त हैं उनको ब्राह्मी वटी का प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से ब्राह्मी वटी के इस्तेमाल की जानकारी जरूर लें।ब्राह्मी वटी हिस्टीरिया में लाभदायक साबित होती है। हिस्टीरिया से ग्रस्त मरीज ब्राह्मी वटी के उपयोग से लाभ पा सकते हैं।जो रोगी बार-बार बेहोश हो जाते हैं या जिनको मिर्गी आती है उन्हें ब्राह्मी वटी का सेवन करना चाहिए। इसके साथ–साथ सुबह–शाम ब्राह्मी घी 3-6 माशे तक दूध में मिलाकर पीना चाहिए। भोजन के बाद सारस्वतारिष्ट भी पीना चाहिए। इससे बहुत लाभ होता है।
ब्राह्मी मानव स्नायु तंत्र के लिए टॉनिक का काम करती है। यह मस्तिष्क को शांति प्रदान करने के अलावा स्नायु कोषों का पोषण भी करती है, ताकि आपको स्फूर्ति मिले।हाई ब्लडप्रेशर आज आम बीमारी हो गई है। अनेकों लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। इसमें ब्राह्मी वटी का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है।आज डायबिटीज घर-घर की बीमारी बन चुकी है। ऐलोपैथिक तरीकों के अलावा आप ब्राह्मी वटी का प्रयोग कर भी डायबिटीज में लाभ पा सकते हैं।
ब्राम्ही वटी खांसी से आराम दिलाने में भी बहुत फायदेमंद है। अगर आप खांसी से पीड़ित हैं और आयुर्वेदिक तरीके से खांसी को ठीक करना चाहते हैं तो ब्राह्मी वटी का सेवन करें।
ब्राह्मी वटी के अधिक सेवन से ये नुकसान भी हो सकते हैंः-
भूख में कमी
सिर दर्द की परेशानी
घबराहट
चक्कर आना
त्वचा का लाल होना (चकत्ते होना)
अवसाद
बेहोशी
इसलिए ब्राह्मी वटी का सेवन किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के दिशा-निर्देश में ही करना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार, ब्राह्मी वटी स्वाद में कसैली, तीखी व ठंडी तासीर वाली बूटी है। यह बल बढ़ाने वाली, त्रिदोष का नाश करने वाली वटी है। ब्राह्मी वटी आयु बढ़ाने वाली, प्रसूति महिलाओं के स्तनों के दूध को बढ़ाने वाली तथा मस्तिष्क को शांति देने वाली है। यह जन्मजात तुतलाहट की बीमारी में भी ब्राह्मी लाभप्रद है। महर्षि चरक ने ब्राह्मी को मनुष्य रोगों को ठीक करने वाली एक अचूक औषधि बताया है।
ब्राह्मी मानव स्नायु तंत्र के लिए टॉनिक का काम करती है। यह मस्तिष्क को शांति प्रदान करने के अलावा स्नायु कोषों का पोषण भी करती है, ताकि आपको स्फूर्ति मिले।जो रोगी बार-बार बेहोश हो जाते हैं या जिनको मिर्गी आती है उन्हें ब्राह्मी वटी का सेवन करना चाहिए। इसके साथ–साथ सुबह–शाम ब्राह्मी घी 3-6 माशे तक दूध में मिलाकर पीना चाहिए। भोजन के बाद सारस्वतारिष्ट भी पीना चाहिए। इससे बहुत लाभ होता है।कई लोगों को ह्रदय संबंधी विकार होते रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए ब्राह्मी वटी का सेवन रोज करना चाहिए। इससे वातनाड़ियों तथा हृदय से संबंधित रोग तुरंत ठीक हो जाते हैं! 1. ब्राह्मी कोर्टिसोल के स्तर को कम करने के लिए जानी जाती है, जो कि एक स्ट्रेस हार्मोन है। इसका प्रयोग तनाव और चिंता को कम करने के लिए किया जाता है। यह तनाव के प्रभावों को खत्म करने का काम करता है।
- ब्राह्मी में एमिलॉइड यौगिक के पाए जाने की वजह से यह अल्जाइमर्स की बीमारी में काफी फायदेमंद होता है। इसके अलावा यह अल्जाइमर की वजह से दिमाग को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करता है।
- ब्राह्मी में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो कि एक स्वस्थ जीवन के लिए बेहद जरूरी है। यह शरीर के उन तत्वों को जड़ से खत्म करने का काम करता है जो कैंसर सेल्स को बढ़ने में मदद करते हैं।
- ब्राह्मी के नियमित सेवन से पाचन संबंधी दिक्कतें भी दूर होती हैं, तथा पाचन तंत्र काफी मजबूत हो जाता है।
- ब्राह्मी आर्थराइटिस से आराम पाने के लिए बेहतरीन नुस्खा है। इसके साथ- साथ यह गैस्ट्रिक अल्सर और बॉउल सिंड्रोम से भी बचाव करने में हमारी मदद करता है।
- शरीर में ब्लड शुगर लेवल को सही तरीके से रेगुलेट करने में भी ब्राह्मी अहम योगदान देता है। इसके साथ ही साथ यह हाइपोग्लिसीमिया के लक्षणों से भी आराम दिलाने में सहायक है।
- बालों में डैंड्रफ या फिर खुजली की समस्या भी ब्राह्मी के प्रयोग से ठीक हो सकती है। तमाम तरह की सौंदर्य समस्याओं में ब्राह्मी का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालने का काम करते हैं।
आयुर्वेद में हर तरह की बीमारी का संपूर्ण ईलाज मौजूद है। प्राकृतिक औषधियों के प्रयोग से कई तरह के असाध्य रोगों को साधने में आयुर्वेद ने सफलता पाई है। इन्हीं प्राकृतिक औषधियों में से एक औषधि है ब्राह्मी। ब्राह्मी को ‘ब्रेन बूस्टर’ के नाम से भी जाना जाता है। यह गीली मिट्टी में अपने आप उगती है। इसमें छोटे-छोटे पर्पल या फिर सफेद फूल भी लगते हैं, जिनमें ज्यादा से ज्यादा पांच पंखुड़ियां होती हैं। फूलों सहित यह पौधा गुणकारी औषधि के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। ब्राह्मी याद्दाश्त बढ़ाने का बेहतरीन निदान है। यह दिमाग के तीनों पहलुओं शॉर्ट टर्म मेमोरी, लांग टर्म मेमोरी और याद्दाश्त को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।