महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट समय बीतने के साथ-साथ और भी गहरा होता जा रहा है। शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने दावा कर रहे है कि उनके पास शिवसेना के 46 विधायक का समर्थन है। वही संजय राउत ने उन्हे महाराष्ट्र आकार उद्धव से बात करने की बात कही। इस बीच अब सवाल ये उठता है कि अगर शिंदे के दावे में दम है तो क्या राज्य के मौजूदा सरकार अपनी की सत्ता बचा पाएंगे या नहीं। सरकार के पास बहुमत है या नहीं। औऱ ये तय होगा विधानसभा में होगा। वही अगर नियम के अनुसार चलें तो अगर किसी पार्टी से दो तिहाई विधायक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी बना लें या दूसरी पार्टी को ज्वाइन कर लें और तो इसमें तुरंत फ्लोर टेस्ट होना जारूरी होता है। फ्लोर टेस्ट के माध्यम से ही आप ये जान पाएंगे कि सरकार के पास बहुमत है या नहीं। लोकतंत्र में बुहमत होना बेहद जरूरी है और सरकार चलाने के लिए बुनियादी तत्व है। इस प्रक्रिया के लिए स्पीकर की भूमिका बेहद अहम हो जाती है अगर सरकार के पास आंकड़ा हुआ तो वो फ्लोर टेस्ट में जीतकर अपनी सत्ता बचा लेगी और अगर नहीं हुआ तो जिस पार्टी के पास भी बुहमत होगा वो राज्य में नई सरकार बनाएगी।
राजनीतिक दलों का बेमेंल गठबंधन।
महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान की एक प्रमूख वजह बेमेल गठबंधन बताया जा रहा हा। शिवसेना प्रमुख रहते उद्धव ठाकरे की अहम चूक के तौर पर बेमेल विचारधारा के गठबंधन को देखा जा रहा है। उनके पिता और महाराष्ट्र के किंग मेकर,हिंदू हृदय सम्राट श्री बाला साहेब ठाकरे ने कभी सीधे सत्ता हाथ में नहीं ली, लेकिन हमेशा सरकार कहलाए। पर उद्धव ठाकरे ने बेमेल गठबंधन किया और कांग्रेस और एनसीपी हमेशा ही शिवसैनिकों के राजनीतिक विरोधी की तरह देखे जाते रहे है लेकिन इसके विपरित कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ गए और सरकार बनाई। उद्धव ठाकरे के शिवसैनिकों के साथ जुड़ाव भी कम होने लगा। यहीं कारण है की एकनाथ शिंदे के साथ इतनी बड़ी संख्या में शिवसैनिक के साथ अलग हुए।मुंबई में इस बगावत की प्रतिक्रिया में कोई उग्र प्रदर्शन नहीं हुआ। पर कयास लगा जा रहे है की ये बेमेल गठबंधन अब और टिकने वाला नही है।
क्या बोले एनसीपी प्रमुख शरद पवार।
NCP प्रमुख शरद पवार ने कहा कि महा विकास अघाड़ी की सरकार अल्पमत में है या नहीं, यह विधानसभा में साबित होगा। जब संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा तो यह दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ये महाराष्ट्र में नया नहीं है महाराष्ट्र में हमने कई बार ऐसे हालात देखे हैं। उन्होंने ये भी दावा किया कि वो अपने अनुभव से कह सकते हैं कि हम इस संकट को हरा देंगे और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार सुचारू रूप से चलेगी। महा विकास अघाड़ी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को समर्थन देने का फैसला किया है। और बोले अगर शिवसेना विधायक मुंबई लौट आएंगे तो स्थिति बदल जाएगी।
शिंदे गुट पर नहीं लगेगा दल बदल कानून।
सूत्रों का कहना है कि कुछ और विधायक गुवाहाटी के रैडिसन ब्लू होटल पहुंचे हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के निर्दलीय विधायक किशोर जोर्गेवार और गीता जैन भी गुरुवार को गुवाहाटी पहुंच गए। अब गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल में एकनाथ शिंदे के साथ महाराष्ट्र शिवसेना के विधायक दादाजी भुसे, संजय राठौड़ और एमएलसी रवींद्र फाटक समेत शिवसेना के 37 से ज्यादा विधायक मौजूद हैं। बागी शिवसेना विधायकों ने सर्वसम्मति से एकनाथ शिंदे को अपना नेता भी चुन लिया है। इसके साथ ही शिंदे गुट दल बदल कानून के खतरे से भी बाहर आगया है।
विपक्ष ने असम के सीएम पर किया सवाल।
इस बीच विपक्ष ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को सियासी कटघरे मे खड़ा करते हुए उन्हे असम में हारी बाड़ के संकट से निपटने को कहा और साथ ही उन्हे महाराष्ट्र के विधायको को असम में छुपाने के आरोप लगाए।इस का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि असम में कई अच्छे होटल हैं, वहां कोई भी आकर ठहर सकता है… इसमें कोई दिक्कत नहीं है। मुझे नहीं पता कि महाराष्ट्र के विधायक असम में रह रहे हैं। अन्य राज्यों के विधायक भी असम आकर रह सकते हैं।
क्या है महाराष्ट्र में सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा।
महाराष्ट्र सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत होती है। अभी किसी भी पार्टी के पास ये जादुई आंकड़ा नहीं है। राज्य की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है जो इस समय विपक्ष में है। वहीं, शिवसेना के पास 56, एनसीपी के 53, कांग्रेस के 44 विधायक हैं। उद्धव ठाकरे की सरकार को सपा, बहुजन विकास अघाडी समेत 11 अन्य विधायकों का भी समर्थन हासिल था।पर ये समर्थन भी अब जाता नजर आ रहा है।
वैसे तो शिंदे ने अपना रुख साफ कर दिया है पर फिर भी अगर अभी राजनीती में कुछ भी कह पाना असम्भव है।
अगर एकनाथ शिंदे को शिवसेना मनाने में सफल नहीं हुए तो उद्धव ठाकरे की सरकार मुश्किलों में आ सकती है की महा विकास अगाडी की सरकार गिर जाएगी।
अब मौजूदा समीकरण के सहारे जानते हैं की कौन बना सकता है सरकार?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एकनाथ शिंदे के साथ करीब 40 से ज्यादा विधायक उनके साथ है। वहीं, उद्धव ठाकरे की मौजूदा सरकार को 169 विधायकों का समर्थन हासिल है। यानि की बहुमत से 24 सीटें ज्यादा। अगर ये 40 विधायक नहीं मानते हैं या फिर पार्टी छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल हो जाते हैं तो सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएगी। क्योंकि ऐसी स्थिति में सरकार के पास 129 विधायक ही बचेंगे। जो कि सरकार बनाने से कम है।
क्या भाजपा बनाएगी सरकार?
अब सवाल ये उठता है की अगर सरकार गीर जाती हैं तो।सरकार बनाने का जादुई आंकडा भाजपा के पास भी नहीं है। बीजेपी के पास कुल 106 विधायक ही है। जबकि उसके सहयोगी के पास 7 विधायक है। ऐसे में भाजपा के विधायकों की संख्या 113 होती है। जो कि सरकार बनाने से 32 सीटें दूर है। लेकिन मान लीजिए सभी 40 बागी विधायक भाजपा के साथ आते हैं उसके बाद भी भाजपा का आंकड़ा 153 ही होता है। जो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त है।
विपक्ष ने कहा इन सब के पीछे बीजेपी हैं; हालाकि विपक्ष ने इन सब के पीछे बीजेपी का ही हाथ होने की बात कही है। पर बीजेपी के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इन आरोपों को नकारा है।