महाराष्ट्र में चल रही सियासी उठापटक का अब अंत हो चुका है! महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच बुधवार देर रात उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। दोनों राज्यपाल ने शपथ दिलाई।NCP प्रमुख शरद पवार ने कहा कि मैं एकनाथ शिंदे को उनकी नई जिम्मेदारी के लिए बधाई देता हूं। उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में विधायकों को गुवाहाटी ले जाने की ताकत दिखाई। उन्होंने लोगों को शिवसेना छोड़ने के लिए प्रेरित किया। मुझे नहीं पता कि यह पहले हुआ था या नहीं, लेकिन यह बिना तैयारी के नहीं हो सकता।
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई में राज्य की नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक की।महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन पर कांग्रे ने निशाना साधा। पार्टी नेता जयराम रमेश ने कहा कि महाराष्ट्र में जो हुआ वो भारत जैसे लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है। मोदी-शाह के नेतृत्व में भाजपा किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करना चाहती है। वे चाहते हैं कि या तो सत्ता उनके पास रहे या कुर्सी की डोर उनके हाथों में हो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर बधाई दी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेने पर बधाई। वह हर भाजपा कार्यकर्ता के लिए प्रेरणा हैं। उनका अनुभव और विशेषज्ञता सरकार के लिए एक संपत्ति होगी। मुझे विश्वास है कि वह महाराष्ट्र के विकास पथ को और मजबूत करेंगे।’
एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। इसके अलावा देवेंद्र फडणवीस ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।महाराष्ट्र के मनोनीत मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस शपथ ग्रहण समारोह के लिए राजभवन पहुंचे।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने फैसला किया है कि देवेंद्र फडणवीस को सरकार का हिस्सा बनना चाहिए। इसलिए उनसे व्यक्तिगत अनुरोध किया गया है। इसके अलावा केंद्रीय नेतृत्व ने कहा है कि देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के रूप में कार्यभार संभालना चाहिए।
एकनाथ शिंदे का नाम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में घोषित किए जाने के बाद गोवा के एक होटल में ठहरे शिंदे गुट के विधायकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया, उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद उनके चचेरे भाई और मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने एक ट्वीट के जरिए उन पर कटाक्ष किया। मनसे प्रमुख ने कहा, जब कोई सौभाग्य को अपनी उपलब्धि समझ लेता है, तो उसके पतन की यात्रा शुरू हो जाती है। बता दें कि वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे और पार्टी के अधिकतर विधायकों के विद्रोह के बाद उद्धव ठाकरे ने सीएम पद छोड़ दिया था।
राज ठाकरे ने पिछले महीने उद्धव ठाकरे से लाउडस्पीकर के मुद्दे पर अपनी पार्टी (मनसे) के धैर्य की परीक्षा नहीं लेने के लिए कहा था और उन्हें याद दिलाया था कि सत्ता स्थायी नहीं है। उन्होंने कहा था कि कोई भी सत्ता का ताम्रपत्र लेकर नहीं आया है। यहां तक कि आपके पास भी नहीं है, उद्धव ठाकरे।
एकनाथ शिंदे ने कहा, हम अपने निर्वाचन क्षेत्र की शिकायतों और विकास कार्यों के साथ पूर्व सीएम ठाकरे के पास गए और उन्हें सुधार की जरूरत पर सलाह दी क्योंकि हमें यह एहसास होने लगा था कि हमारे लिए अगला चुनाव जीतना मुश्किल होगा। हमने भाजपा के साथ स्वाभाविक गठबंधन की मांग की। हमने जो निर्णय लिया है वह बालासाहेब के हिंदुत्व और हमारे विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे साथ 50 विधायक हैं।
महाराष्ट्र के मनोनीत सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि शिवसेना के 40 विधायकों सहित कुल 50 विधायक हमारे साथ हैं। हमने उनकी मदद से अब तक यह लड़ाई लड़ी है। इन 50 लोगों ने मुझ पर जो विश्वास जताया है, मैं उसे एक खरोंच भी नहीं आने दूंगा, भरोसे को नहीं तोड़ूंगा। महाराष्ट्र के मनोनीत सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा- भाजपा के पास 120 विधायक हैं लेकिन उसके बावजूद देवेंद्र फडणवीस ने सीएम का पद नहीं संभाला। मैं पीएम मोदी, अमित शाह और अन्य भाजपा नेताओं के साथ उनका आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने उदारता दिखाई और बालासाहेब के सैनिक (पार्टी कार्यकर्ता) को राज्य का सीएम बनाया। फडणवीस भले ही सरकार से बाहर रहेंगे लेकिन हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे। देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान फडणवीस ने कहा कि एक तरफ शिवसेना ने दाऊद इब्राहिम का विरोध किया और दूसरी तरफ उन्होंने एक ऐसे शख्स को कैबिनेट में रखा जो दाऊद की मदद करने के आरोप में जेल गया था। वे सावरकर का अपमान करने वाले के साथ गठबंधन में थे। 2019 में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन हुआ था और हमें विधानसभा चुनावों में आवश्यक संख्या मिली थी। हमें सरकार बनाने की उम्मीद थी, लेकिन शिवसेना ने उन लोगों के साथ गठबंधन करना चुना जिनके खिलाफ बालासाहेब ने जीवन भर विरोध किया।