महाराष्ट्र में सियासी खींचतान अभी तक थमता नजर नहीं आ रहा है। सिंदे गुट के कुछ विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले सहित कई अन्य मामले अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुके हैं,जिनको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी बड़ी बेंच पर भेज जा सकता है। आने वाले दिनों में ठाकरे और शिंदे की कानूनी लड़ाई और राजनीतिक वर्चस्व बचाने पुरी तरह कोर्ट पर निर्भर है। बुधवार को सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने मामले को पांच सदस्य पीठ के पास भेजने के संकेत दिए। इन सदस्य पीठ ने कहा कि पक्षधरो ने दलबदल, विलय व अयोग्यता से संबंधित संवैधानिक सवाल उठाए हैं, हो सकता है इस पर बड़ी पीठ पर विचार करने की जरूरत पड़ सकती है। साथ ही 3 सदस्य पीठ ने कहा कि दोनों पक्षी अपने सवाल तय करके 27 जुलाई तक बड़ी पीठ को विचार के लिए भेजे। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर वह दुबारा 1अगस्त को सुनवाई करेगा।
यह आदेश प्रधान न्यायाधीश एन वी रामन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने उद्धव और शिंदे गुट द्वारा दायर याचिका पर दिए हैं। दोनों गुट की ओर से दाखिल कुल पांच याचिका लंबित है।
पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि वह सभी याचिकाओं को एक करके प्रस्तुत करे और साथ ही पीठ ने शिंदे गुट को सभी याचिकाओं को एक समग्र जवाब दाखिल करने की छूट दी। पीठ पीठ ने अपने इस फैसले पर बताया कि वह जो भी सवाल दोनों पक्षों के वकील से पूछ रहे हैं वह केवल जिज्ञासावस ही पूछ रहे हैं इस पर किसी विपक्ष का कोई झुकाव यह दबाव नहीं है, इसे इसी बात को पीठ ने मीडिया से भी कहा।
क्या है दोनों पक्षों की मांग व दलील आइए जाने।
उद्धव गुट कि मांग है कि विधानसभा के सभी पुराने रिकॉर्ड बनाया जाए। उद्धव ठाकरे की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने महाराष्ट्र विधानसभा के नवनियुक्त स्पीकर की कार्रवाई पर सवाल उठाए उन्होंने कहा कि नए स्पीकर द्वारा पार्टी से मान्यता प्राप्त विह्प के अलावा दूसरे विह्प को मान्यता देना मनमाना हैं। साथी साथी बल ने आरोप लगाया कि यह मामला सीधे-सीधे दसवीं अनुसूची का उल्लंघन है। उन्होने कहा कि जब मामला कोर्ट में लंबित था तो राज्यपाल को मुख्यमंत्री को शपथ दिलाने का कोई औचित्य नहीं था। ताकि उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि कौन विधानसभा की सभी कार्यवाही का रिकॉर्ड तलब करें क्योंकि इस कार्यवाही में उन विधायकों ने भी मतदान किया था जो अयोग्य थे क्या अयोग्य विधायक मतदान कर सकते है।
क्या बोले सिंदे गुट के पक्षधर।
इसके साथ ही शिंदे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने दलील देते हुए कहा कि किसी भी नेता ने पार्टी नहीं छोड़ी थी सिर्फ नया नेता नियुक्त किया था नया नेता नियुक्त किया जाना अयोग्यता का कोई आधार नहीं है। लोकतंत्र में लोकतंत्र में आप किसी भी नेता से यह बात कह सकते हैं कि हमें आप पर विश्वास नहीं है या आप अपना विश्वास मत खो चुके हैं। इसके लिए एक प्रक्रिया बनाई गई है जो कि महाराष्ट्र के दौरान पूरी तरह अपनाई गई थी। सभी सदस्यों ने अपना पत्र लिखकर अविश्वास जताया था। जिससे सरकार ने पक्षपाती रवैया करते हुए उन्हें अयोग्य ठहरा दिया था। इसके विपरीत जब इन सभी नेताओं ने शिंदे को अपना नेता चुना था तो वह विधायक थे इसमें अयोग्यता का कोई मामला ही नहीं है।
इस बीच शिवसेना की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है शिवसेना के विधायकों के बाद अब शिवसेना के सांसदों ने भी शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं। इस बीच शिवसेना के 12 सांसद दिल्ली में बीजेपी के आलाकमान से मिलने पहुंचे उनके साथ महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे। महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे गुट के सांसद राहुल शिवाले को शिवसेना के 12 सांसदों ने संसद में पार्टी नेता चुना और इस बारे में बकायदा स्पीकर को चिट्ठी भी दी। खुद एकनाथ शिंदे इस दौरान दिल्ली में थे और इसके बाद उन्होंने राहुल शिवाले से मुलाकात की। इस दौरान राहुल शिवाले ने साफ कहा कि वो शिवसेना में है और पार्टी के 12 सांसदों की सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है। वहीं उन्होंने एकनाथ शिंदे के फैसले को समर्थन भी दिया है। इस दौरान ने ये भी कहा की खुद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी चाहते थे कि बीजेपी से गठबंधन हो।
शिवसेना के पास हैं कितने सांसद?
शिवसेना के सांसद में 19 सांसद है जिसमे से 12 एकनाथ शिंदे के साथ आए और राहुल शिवाले को नेता चुना है।राहुल शिवाले के मुताबिक उन्हें इसलिए सांसद में पार्टी का नेता 12 सांसदों ने चुना है क्योंकि वो विनायक राउत के काम से खुश नहीं थे। इसलिए ये फैसला लिया गया था।