Friday, November 22, 2024
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ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी में टकराव की खबर क्यों है

एक व्यक्ति एक पद’ के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस में एक बार फिर से  पुरानी और नई पीढ़ी के नेताओं में चल रहे कथित विवाद के बीच पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्टी में अध्यक्ष के अलावा बाक़ी तमाम सांगठनिक पद ख़त्म कर दी है .दरअसल  पिछले कुछ दिनों से ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के बीच सत्ता  और उसपर अधिकार अथवा अधिपत्य  के बीच वर्चस्व की लड़ाई  चल रही थी .इन सभी के दौरान  देखते देखते यह खबर मुख्यधारा की हाॅट डिबेट सेक्शन बनने जा रही थी तभी  ममता बनर्जी ने एक मिटिंग का आयोजन किया .  और  अब निर्णय आया है कि 20-सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यसमिति ही पार्टी का कामकाज़ देखेगी. समिति में कौन किस पद पर रहेगा, इसका फ़ैसला ममता बाद में करेंगी. ममता बनर्जी ही इस समिति की प्रमुख हैं.

शनिवार शाम को ममता बनर्जी के कालीघाट स्थित आवास पर शीर्ष नेताओं की बैठक में यह फ़ैसला किया गया इस फ़ैसले के बाद यह स्पष्ट है  कि ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी अब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नहीं रहे. हालांकि, नई समिति में उनको जगह दी गई है लेकिन अभिषेक के क़रीबी समझे जाने वाले सांसद सौगत रॉय और डेरेक ओ ब्रायन को इसमें शामिल नहीं किया गया है. इसी बीच सियासी घमासान में बीते कुछ दिनों से पार्टी में चल रही उठा पटक और अभिषेक बनर्जी के महासचिव पद से इस्तीफ़े की अटकलों के बीच ममता बनर्जी की इस बैठक को काफ़ी अहम माना जा रहा था. इसके साथ राजनीति पंडितों की माने तो समझा जा रहा था कि ममता इस बैठक में शीर्ष नेताओं से आपसी मतभेद भुला कर पार्टी के हित में काम करने का कड़ा संदेश दे सकती हैं. लेकिन इसकी बजाय उन्होंने तमाम पदों को ख़त्म करने के साथ ही कार्यसमिति के गठन का भी एलान कर कर पार्टी में चल रही उठा पटक और विवाद को विराम दे दी है |

बैठक में शामिल टीएमसी  के एक नेता का कहना है कि यह बैठक मुख्य रूप से ‘एक व्यक्ति एक पद’ के मुद्दे पर मुख्यमंत्री और उनके भतीजे के बीच बढ़ते तनाव की वजह से बुलाई गई थी. अभिषेक के क़रीबी युवा नेताओं की ओर से चलाए जा रहे इस अभियान ने पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को सांसत में डाल दिया था. इसकी वजह यह थी कि ऐसे तमाम नेता किसी न किसी सरकारी पद पर हैं.”

तृणमूल कांग्रेस  में ममता का अस्तित्व  कहाँ:

बढते विवाद और पार्टी पर गहराते संकट को देखकर ममता के अस्तित्व  और उनकी पार्टी की पकड का मुद्दा ज्यादा गहरा गया .इसको देखते हुए पार्टी के वरिष्ठ   नेता बताते हैं कि इस फ़ैसले से ममता ने एक बार फिर यह दिखाया है कि अब भी पार्टी पर उनकी पूरी पकड़ है. बैठक में मौजूद तमाम नेताओं ने भी संगठन का ज़िम्मा पूरी तरह ममता को सौंप दिया,उनका कहना था कि पार्टी के मामले में ममता बनर्जी का वचन ही ब्रह्मवाक्य है. बैठक में ममता ने तमाम नेताओं को एकजुट होकर काम करने का भी निर्देश दिया.हालांकि, किसी भी नेता ने सार्वजनिक रूप से बैठक के बारे में कुछ कहने से इनकार कर दिया है. पार्थ चटर्जी और फिरहाद हकीम ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में समिति के सदस्यों के नाम पढ़ कर सुनाए. इस दौरान भी पार्थ ने तमाम पद ख़त्म करने की बात नहीं कही. उनका कहना था, “पार्टी का कामकाज़ देखने के लिए राष्ट्रीय कार्यसमिति का गठन किया गया है. इसके पदाधिकारियों का एलान ममता बाद में करेंगी.”कार्यसमिति के गठन का मतलब है कि अब न तो पार्थ चटर्जी महासचिव रहेंगे और न ही सुब्रत बख्शी अध्यक्ष. अभिषेक बनर्जी भी अब राष्ट्रीय महासचिव की बजाय कार्यसमिति के सदस्य होंगे. पार्टी में अब सवाल पूछा जा रहा है कि क्या ममता कार्यसमिति में अभिषेक को कोई अहम पद देंगी और क्या अभिषेक कोई पद स्वीकार करेंगे?हालांकि,  कोई भी  नेता ने सार्वजनिक रूप से बैठक के बारे में कुछ कहने से  एहतियात  बरत रहे है. पार्थ चटर्जी और फिरहाद हकीम ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में समिति के सदस्यों के नाम पढ़ कर सुनाए. इस दौरान भी पार्थ ने तमाम पद ख़त्म करने की बात को लेकर चुप्पी साधी रही |

इस फैसला पर कैसे पहुंची ममता बनर्जी
ममता बनर्जी ने अचानक यह फ़ैसला क्यों किया? या फिर क्यों पहुंची इसको लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की दलील है कि ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति पर जारी विवाद की वजह से अभिषेक के क़रीबी नेताओं ने राष्ट्रीय महासचिव पद से उनके इस्तीफ़ा देने का संकेत दिया था. इसी वजह से ममता ने एक झटके में तमाम पद ख़त्म कर दिए. पद ही ख़त्म हो गया तो कोई इस्तीफ़ा कैसे देगा? हालांकि, इस मुद्दे पर कोई नेता सार्वजनिक रूप से कुछ कहने को तैयार नहीं हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना था, “ममता ने किसी से सलाह-मशविरा किए बिना ही ख़ुद यह फ़ैसला किया है. इस बैठक में कुल आठ नेता मौजूद थे. इसमें ममता की ओर से हाल में बनाई गई कोर कमिटी के सदस्यों के अलावा सांसद सुदीप बनर्जी को भी बुलाया गया था
तृणमूल कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अभिषेक बनर्जी की ओर से ‘एक व्यक्ति एक पद’  पर इरादतन  असंतोष  की भावना थी जिनके कारण ही पार्टी में विवाद शुरू हुआ था. पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के बाद उन्होंने इस नीति को लागू करने का प्रयास किया था. इस दिशा में कुछ काम भी की गई थी. लेकिन कोलकाता नगर निगम चुनाव से पहले मंत्री और मेयर फिरहाद हकीम के मामले में पहली बार इसकी अनदेखी की गई. इस नीति के उलट फिरहाद को नगर निगम चुनाव का टिकट दिया गया था|
उसके बाद ही पार्टी में असंतोष की सुगबुगाहट होने लगी थी. लेकिन 108 शहरी निकायों के चुनावों के समय पार्टी के उम्मीदवारों की सूची के मुद्दे पर यह विवाद चरम पर पहुँच गया. इसके लिए पार्टी के उम्मीदवारों की दो-दो सूची सामने आई थी. तब कहा गया था कि पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल (फ़ेसबुक और ट्विटर पर) से जो सूची जारी की गई थी उसे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ़ पीके की कंपनी आई-पैक ने तैयार किया था जबकि दूसरी सूची पार्थ चटर्जी और सुब्रत बख्शी ने बनाई थी. इस वजह से मतभेद और भ्रम बढ़ा. कई ज़िलो में नेताओं ने विरोध प्रदर्शन भी किया. आख़िर में ममता बनर्जी को हस्तक्षेप करते हुए सफ़ाई देनी पड़ी कि पार्थ और सुब्रत के हस्ताक्षर से जारी सूची ही अंतिम और आधिकारिक है |

उधर, पीके की कंपनी ने हालांकि इस आरोप का खंडन कर दिया लेकिन तब तक इससे जितना नुक़सान होना था वह हो चुका था.इसको लेकर खुद  आईपैक  के संस्थापक  प्रशांत किशोर भी मीडिया के समाने आकर अपनी बात रख दी है .और इसके साथ साथ प्रशांत किशोर की कंपनी  I-PAC(Indian Political Action Committee)ने अपने ट्वीट   के जरिए यह  दावा  की है  हमारी  कंपनी  किसी भी प्राइवेट  पोर्पोटी  का इस्तेमाल  किसी तरह से नहीं करती है |

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Ravindra Kirti Founder Mojo Patrakar
Ravindra Kirti Founder Mojo Patrakarhttp://mojopatrakar.com/
Ravindra Kirti is a well-rounded Marketing professional with an impressive academic and professional portfolio. He is IIM Calcutta alumnus & holds a PhD in Commerce, having written an insightful thesis on consumer behavior and psychology, which informs his deep understanding of market dynamics and client engagement strategies. His academic journey includes an MBA in Marketing, where he specialized in strategic management, international marketing, and luxury retail management, equipping him with a global perspective and a strategic edge in high-end market segments.In addition to his business expertise, Ravindra is also academically trained in law, holding a Master’s in Law with specializations in law of patents, IT & IPR, police law and administration, white-collar crime, and corporate crime. This legal knowledge complements his role as the Chief at Jurislaw Partners, where he applies a blend of legal acumen and strategic marketing.With such a rich educational background, Ravindra excels across a range of fields, from legal marketing to luxury retail, and event design. His ability to interlace disciplines—commerce, marketing, and law—enables him to drive successful outcomes in every venture he undertakes, whether as Chief at Jurislaw Partners, Editor at Mojo Patrakar and Global Growth Forum, Founder of CircusINC, or Chief Designer at Byaah by CircusINC.On a personal note, Ravindra Kirti is not only a devoted pawrent to his pet, Kattappa, but also an enthusiast of Mixed Martial Arts (MMA) and holds a Taekwondo Dan 1. This active lifestyle complements his multifaceted career, reflecting his discipline, resilience, and commitment—qualities he brings into his professional relationships. His bond with Kattappa adds a warm, grounded side to his profile, showcasing his nurturing and compassionate nature, which shines through in his connections with clients and colleagues.Ravindra’s career exemplifies versatility, intellectual depth, and excellence. Whether through his contributions to media, law, events, or design, he remains a dynamic and influential presence, continually innovating and leaving a lasting impact across industries. His ability to balance these diverse roles is a testament to his strategic vision and dedication to making a difference in every field he enters.
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