तृणमूल कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ठोस कदम उठाया। उन्होंने पार्थ चटर्जी के खिलाफ एक्शन लिया। ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को टीएमसी पार्टी से जुड़े हुए सभी पदों से हटा दिया है तथा यह भी बताया कि वह पार्टी से सस्पेंड रहेंगे जब तक शिक्षा भर्ती घोटाले की जांच चल रही है। मंत्री पद से उन्हें बहुत पहले ही हटाया जा चुका है। शिक्षक भर्ती घोटाले में पार्थ चटर्जी और उनकी साथी अर्पिता मुखर्जी का नाम सामने आया हैं जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। ममता बनर्जी ने बड़ा एक्शन लेते हुए पार्थ चटर्जी को मंत्री पद से हटा दिया तथा शाम को अब उनको टीएमसी पार्टी के सभी पदों से हटाया जा चुका है ऐसा इसलिए क्योंकि पश्चिम बंगाल से जुड़े शिक्षक भर्ती घोटाले में पार्थ चटर्जी का नाम सामने आया था साथ ही उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी का भी नाम सामने आया है टीएमसी पार्टी में पार्थ चटर्जी उद्योग मंत्री थे तथा जब शिक्षा मंत्री थे तो उस दौरान हुए शिक्षा भर्ती घोटाले के लिए उनको गिरफ्तार किया जा चुका है।
कुछ वक्त पहले टीएमसी के नेता अभिषेक बैनर्जी ने कहा कि पार्थ चटर्जी को टीएमसी से सस्पेंड कर दिया गया है तथा उन्हें महासचिव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के साथ-साथ बाकी तीन अन्य पदों से भी हटा दिया गया है। उनको जांच पूरी होने तक के लिए सस्पेंड किया गया है तथा ने यह भी बताया कि यदि वह शिक्षा भर्ती घोटाले में दोषी नहीं पाए जाते हैं तो उनको पार्टी में वापस ले लिया जाएगा।
बंगाल के चीफ सेक्रेटरी की तरफ से आदेश जारी होने के बाद पार्थ चटर्जी को उद्योग मंत्री के पद से हटाया गया तथा साथ ही बाकी पदों से भी उन्हें हटा दिया गया जिसमें सूचना एवं प्रसारण विभाग संसदीय मामलों से जुड़े विभाग आदि में भी अब उनका कोई भी पद बाकी नहीं है।
क्या है शिक्षा भर्ती घोटाला
शिक्षक भर्ती घोटाला 2014 का है। पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन एसएससी ने पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती निकाली थी। यह भर्ती 2016 में शुरू हुई थी जिस वक्त पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे। इस मामले में गड़बड़ी की शिकायतें कोलकाता हाईकोर्ट में दाखिल हुई थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि जिन उम्मीदवारों के नंबर कम थे उन्हें मेरिट लिस्ट में सबसे ऊपर का स्थान दिया गया। कुछ शिकायतें ऐसी भी मिली जिसमें कहा गया था कि कुछ उम्मीदवारों का मेरिट लिस्ट में नाम ना होने पर भी उन्हें नौकरी दे दी गई है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि कुछ ऐसे भी उम्मीदवारों को नौकरी दी गई है जिन्होंने टीईटी परीक्षा पास भी नहीं की थी जबकि राज्य में शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी की परीक्षा का पास होना अनिवार्य है। इसी तरह 2016 में राज्य में एसएससी द्वारा ग्रुप डी की भर्ती के मामले में शिकायतें मिली थी। हाईकोर्ट को मिल रही सभी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को इसकी जांच के आदेश दे दिए थे। जिसके बाद ईडी ने शिक्षक भर्ती और कर्मचारियों की भर्ती के मामले में मनी ट्रेल की जांच शुरू की थी। सीबीआई ने इस मामले में 18 मई को पार्थ चटर्जी से पूछताछ भी की थी।
इस मामले में अभी तक पार्थ चटर्जी को ईडी ने हाल ही में गिरफ्तार किया था। जिसके बाद उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी का नाम सामने आया जिसके बाद ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के कई ठिकानों में छापा मारा। जिसमें ईडी ने अब तक ₹50 करोड़ और कई किलो सोना बरामद किया था।
शिक्षक भर्ती घोटाले में पिछले 1 हफ्ते में क्या क्या हुआ?
दिनांक 22 जुलाई को शिक्षक भर्ती घोटाले में मनी ट्रायल की जांच कर रही ईडी ने पार्थ चटर्जी की आवास समेत 14 ठिकानों पर छापे मारे थे। इसके दौरान ईडी को पार्थ की करीबी अर्पिता मुखर्जी के बारे में भी जानकारी मिली।
दिनांक 30 जुलाई को एडी ने अर्पिता के कोलकाता के टोलीगंज में डायमंड सिटी कॉन्प्लेक्स स्थित फ्लैट में छापा मारा। जिसके बाद ईडी को इस घोटाले से जुड़ा फंड मिला और साथ ही करीब ₹21 करोड़ बरामद किए।
24 जुलाई को ईडी ने अर्पिता और पार्थ को गिरफ्तार कर लिया था दोनों अभी फिलाल ईडी की कस्टडी में है और पूछताछ चल रही है ईडी की पूछताछ में अर्पिता ने अपनी कुछ संपत्तियों के बारे में जानकारी दी थी इसके बाद ईडी ने बुधवार को फिर से छापेमारी की।
ईडी ने यह भी बताया कि अर्पिता मुखर्जी पार्थ चटर्जी के मुकाबले काफी ज्यादा पूछताछ मैं सपोर्ट कर रही हैं।
27 जुलाई को ईडी ने अर्पिता के एक और फ्लैट में छापा मारा इस दौरान इंडिगो करीब ₹28 करोड़ कैश और 4.3 करोड रुपए का गोल्ड प्राप्त हुआ।