एनडीए की राष्ट्रपति प्रत्याशी और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने आज संसद भवन में राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत एनडीए के बड़े नेता और कई राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद रहे।
द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नामांकन के लिए केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के आवास पर प्रस्तावक और समर्थक के तौर पर नॉमिनेशन पेपर पर हस्ताक्षर किए गए। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्रौपदी मुर्मू के नामांकन पत्र में पहले प्रस्तावक बने हैं। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, यह मेरा परम सौभाग्य है कि भारत की जनजातीय समाज की पहली और देश की द्वितीय महिला राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार आदरणीय श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के नामांकन पत्र में फर्स्ट सेकंडर (प्रथम समर्थक) के रूप में हस्ताक्षर करने का अवसर प्राप्त हुआ।
YSRCP ने किया समर्थन का एलान
हालाकि पहले ysrcp ने अपना रुक साफ नहीं किया था पर एनडीए के उम्मीदवार की घोषणा के आप आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को भी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का एलान करना पड़ा । हालांकि नॉमिनेशन के समय वो खुद मौजूद नहीं रहें। जगन की जगह पर पार्टी के राज्यसभा सांसद विजय साई रेड्डी और लोकसभा में पार्टी के नेता मिधुन रेड्डी नामांकन के समय मौजूद रहें।
क्यों बीजेपी ने मुर्मू को चुना उम्मीदवार।
द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित करना भाजपा के लिए आसान काम नही था इसके लिए बीजेपी ने काफी सोच समझ कर फैसला लिया है। वही बीजेपी अपने इस कदम के साथ आगामी चुनाव की तैयारी में लग गई है। बीजेपी ने अगले ढाई साल में होने वाले चुनावों के लिए अभी से रणनीति तैयार करनी शुरु कर दी है। गौरतलब है कि वर्ष 2024 में लोकसभा के साथ 18 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इन बातो को ध्यान में रखते हुए लिया गया फ़ैसला।
आईए जानते हैं किन किन राज्यों को ध्यान में रखकर राष्ट्रपति पद के लिए दिया गया द्रोपदी मुर्मू का नाम।
वर्ष 2024 तक 18 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसमें से चार राज्य मेघालय, नगालैंड, मिजोरम और आंध्र प्रदेश में आदिवासी बहुसंख्यक हैं। इन राज्यों की कुल आबादी में आदिवासियों की संख्या 50 फीसद से ज्यादा है। 2024 तक नौ अन्य अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है, जिसमें गुजरात, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, सिक्किम, ओडिशा, महाराष्ट्र और झारखंड शामिल है। इन राज्यों की कुल आबादी में आदिवासियों की संख्या लगभग 10 फीसद से 34 फीसद तक है। चार अन्य राज्य जहां 2024 तक विधानसभा चुनाव होने हैं, उसमें भी आदिवासी आबादी 5 फीसद से 9 फीसद तक है। ये चार राज्य हैं हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश। हिमाचल और कर्नाटक में वर्तमान में भाजपा की सरकार है। इन 18 राज्यों में केवल हरियाणा अकेला है, जहां आदिवासी आबादी नहीं है, लेकिन यहां भी पहले से भी भाजपा की सरकार है।
द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी। उन्हें एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करना भाजपा की एक दीर्घकालिक चुनावी रणनीति का हिस्सा है। इसका असर उनके नाम की घोषणा के साथ ही दिखने भी लगा। द्रौपदी मुर्मू, ओडिशा की रहने वाली हैं। लिहाजा उनके नाम की घोषणा होते ही ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी बीजू जनता दल (BJD) ने उन्हें समर्थन देने की घोषणा कर दी। उधर बिहार में जेडीयू समेत राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास ने भी उन्हें समर्थन देने की घोषणा की है। एनडीए के घटक हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने भी द्रौपर्दी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है। केवल भाजपा और बीजद के ही मतों को मिला दिया जाए तो, राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपर्दी मुर्मू के पक्ष में तकरीबन 52 फीसद मत हैं, जो कि जीत के लिए पर्याप्त हैं।
आईए जानते है कौन है द्रोपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू भारतीय जनता पार्टी की नेता हैं। उनका जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था। वे आदिवासी समाज से सम्बंधित हैं। उन्हें 1997 में रायरंगपुर नगरपंचायत का कौंसिलर चुना गया था। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में भी काम किया है।
ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य और परिवहन (स्वतंत्र प्रभार) और 6 अगस्त, 2002 से 16 मई, 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं। उन्हें 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं। वह भारतीय राज्य में राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने वाली ओडिशा की पहली महिला आदिवासी नेता थीं। वे 2015 से 2019 तक झारखण्ड की राज्यपाल रहीं। वह भारत के 15वें राष्ट्रपति के कार्यालय के चुनाव के लिए भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार हैं।