नईदिल्ली: देश की शीर्ष अदालत ने पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को 1988 में सड़क पर झगड़े में एक व्यक्ति की गैरइरादतन हत्या के मामले में एक साल की कैद की सजा सुनाई है।अदालत ने उन्हें 34 साल पुराने यानि 1988 के रोड रोज मामले में एक साल कैद की सजा सुनाई है। बता दें कि इस मामले में पीड़ित परिवार ने पुनर्विचार की याचिका दायर की थी। अब नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब पुलिस हिरासत में लेगी
नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को के एक मामले में एक साल की सश्रम जेल की सजा सुनाई. 34 साल पुराने रोडरेज केस में सुप्रीम कोर्ट ने ये सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट ने ये सजा एक पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाई है. दरअसल, इस पुनर्विचार याचिका में देश की सर्वोच्च अदालत से सिद्धू की सजा कम नहीं करने की अपील की गई थी. गौरतलब है कि जाब हरियाणा हाई कोर्ट ने सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के मामले में तीन साल कैद की सजा सुनाई थी !27 दिसंबर 1988 : जब सिद्धू ने सड़क पर जिप्सी पार्क की हुई थी. इस वक्त पीड़ित और दो अन्य शख्स बैंक से पैसा निकालने के लिए जा रहे थे. इस दौरान उन्होंने सड़क पर जिप्सी देखकर सिद्धू को उसे हटाने को कहा. इसके बाद दोनों के बीच बहसबाजी शुरू हो गई. सिद्धू के खिलाफ आरोप था कि इस दौरान सिद्धू ने पीड़ित के साथ मारपीट की और मौके से फरार हो गए. इस बीच घायल हालत में पीड़ित को अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया
पंजाब के पटियाला में 1988 में हुई इस घटना में गुरनाम सिंह नाम के शख्स की मौत हो गई थी. सिद्धू और उनके दोस्त कंवर सिंह संधू को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने गैर इरादतन हत्या का दोषी मानते हुए 3-3 साल की सज़ा दी थी. लेकिन जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने संधू को पूरी तरह बरी कर दिया. जबकि सिद्धू को सिर्फ मारपीट का दोषी माना और सिर्फ 1 हज़ार रुपए जुर्माने की सज़ा दी.इसके खिलाफ गुरनाम सिंह के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. परिवार ने फैसले पर पुनर्विचार की मांग की. 13 सितंबर 2018 को कोर्ट ने याचिका को विचार के लिए स्वीकार किया. लेकिन तब कोर्ट यह साफ कर किया था कि वह सिर्फ सज़ा बढ़ाने की मांग पर विचार करेगा. इसका मतलब यह था कि सिद्धू पर गैर इरादतन हत्या के आरोप में दोबारा सुनवाई नहीं होगी.यह फैसला जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की डिवीजन बेंच ने दिया। शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया था जिसमें उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया गया था। उच्च न्यायालय ने सिद्धू और एक अन्य आरोपी को तीन साल की कैद और प्रत्येक को एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी।