जयपुर। राज्य सभा में शून्यकाल में सांसद नीरज डांगी ने रेलवे द्वारा स्टेशनों पर स्टेशन डेवलपमेंट फीस वसूल कर रेलवे टिकट महंगे करने का मुद्दा उठाया।
डांगी ने रखते हुए कहा कि भारत में पहली बार 1998-99 में मोटर उपयोगकर्ता द्वारा अपने वाहन के लिए ईंधन खरीदते समय एक रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सड़क उपकर का भुगतान करना अनिवार्य हुआ था। इस उपकर से प्राप्त राशि से सरकार ने देशभर में सड़क परियोजनाओं को शुरू किया। कोष का उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास एवं रख रखाव तथा रेलवे क्रॉसिंग पर सुरक्षा के सुधार के लिए था। उसके बाद सीआरएफ अधिनियम, 2000 के तहत इसे एक कानून के रूप में अपनाया गया।
इसकी धन राशि पेट्रोलियम उत्पादों डीजल और पेट्रोल पर लगाए गए उपकर से ही प्राप्त थी इसे और व्यापक बनाते हुए एक अतिरिक्त सीमा शुल्क और अतिरिक्त उत्पाद शुल्क भी लगाया गया था। वित्त अधिनियम 2018 के माध्यम से सड़क उपकर का नाम बदलकर सेन्ट्रल रोड एण्ड इन्फ्रास्टेक्चर सैस कर दिया एवं इसका उपयोग ‘‘राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य और ग्रामीण सड़को एवं अन्य बुनियादी ढांचे के सुधार के साथ-साथ रेलवे परियोजनाओं का विकास और रखरखाव को शामिल किया गया। इन उद्देश्यों के लिए पेट्रोल और डीजल ऑपल पर उपकर,उत्पाद शुल्क और कस्टम ड्यूटी लागू की गई।
डागी ने सदन को बताया रेल मंत्रालय द्वारा नए सिरे से विकसित किए गए रेलवे स्टेशनों पर 31 दिसम्बर से डेवलपमेंट फीस वसूलने का फैसला किया है। जिन स्टेशनों का री-डेवलपमेंट हो चुका है उनके लिए यात्रियों से 10 से 50 रुपए तक का चार्ज लिया जाएगा जिससे टिकट महंगे होंगे। सासंद नीरज डांगी ने सवाल पूछते हुए कहा जब सेन्ट्रल रोड एण्ड इन्फास्टेवयर फंड के जरिये पेट्रोल और डीजल ऑयल पर उपकर उत्पाद शुल्क और कस्टम ड्यूटी द्वारा जो राशि प्राप्त होती है उसमे रेलवे से जुडी परियोजनाओं का विकास और उसका रखरखाव भी शामिल है तो फिर स्टेशन डेवलपमेंट फीस को अलग से वसूलना कहा तक उचित है ? रेल मंत्रालय द्वारा अनावश्यक रूप से चार्ज वसूलने और जनता पर बेफिजूल का भार बढ़ाने को तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग की। केंद्र सरकार पेट्रोल पर उपकर और उत्पाद शुल्क के रूप में जनता से 32.90 रुपये प्रति लीटर वसूल रही है, जिसमें 15 रुपये प्रति लीटर रोड एण्ड इन्फास्टेक्चर गैस शामिल है।