ई-फार्मेसी पर आएगा नया विधेयक!

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ई-फार्मेसी और चिकित्सा पर नया विधेयक आने वाला है! मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 की समीक्षा और उसमें संशोधन के लिए विचार-विमर्श 2016 से जोर-शोर से शुरू किया गया था। मंत्रालय ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार की सिफारिशों और व्यापक कानून की आवश्यकता को देखते हुए नई औषधि, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा उपकरण विधेयक तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था।सरकार ने पहली बार ई-फार्मेसियों और चिकित्सा उपकरणों को नियंत्रित करने वाले एक नए विधेयक का प्रस्ताव किया है। इसके अलावा नए विधेयक के इस प्रस्ताव में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों दोनों के क्लीनिकल ट्रायल के दौरान चोट या मृत्यु के लिए मुआवजे का भुगतान करने में विफल रहने के लिए कारावास और दंड का प्रावधान किया गया है।

इस प्रस्ताव में नई दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के क्लीनिकल ट्रायल के संचालन के लिए नियमों को, नई दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधन विधेयक, 2022 के मसौदे के तहत लाया गया है, जो 1945 के मौजूदा ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स अधिनियम को बदलने का प्रयास करता है। इस मसौदा विधेयक को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इसे लेकर जनता और हितधारकों से सुझाव, टिप्पणियां और आपत्तियां 45 दिनों के भीतर मांगी हैं।

मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 की समीक्षा और उसमें संशोधन के लिए विचार-विमर्श 2016 से जोर-शोर से शुरू किया गया था। मंत्रालय ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार की सिफारिशों और व्यापक कानून की आवश्यकता को देखते हुए नई औषधि, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा उपकरण विधेयक तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था।

समिति की सिफारिशों के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय ने नई दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधन विधेयक, 2022 के मसौदे का प्रस्ताव किया है ताकि बदलती जरूरतों, समय और प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बिठाया जा सके।

इस मसौदा विधेयक में एक अलग औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) और चिकित्सा उपकरण तकनीकी सलाहकार बोर्ड (एमडीटीएबी) के गठन का भी प्रस्ताव किया गया है, जिसमें तकनीकी मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देने के लिए विभिन्न संघों के विशेषज्ञ शामिल हैं।

18 जुलाई से शुरू हो रहा संसद का मानसून सत्र भी कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत ही होगा। इस सत्र में भी सांसद सामाजिक दूरी और सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए सत्र की कार्यवाही में हिस्सा लेंगे। यह बात राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने नए सदस्यों को शपथ दिलाने के बाद कही। 

देशभर में कोरोना के मामले फिर से बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए संसद के मानसून सत्र में भी कोविड-19 प्रतिबंध लागू रहेंगे। पिछले कुछ सत्र भी इन पाबंदियों के तहत ही हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि यह फैसला लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति के बीच व्यापक चर्चा के बाद लिया गया है। यह भी ध्यान में लाया गया कि संसद के 80 फीसदी सदस्य और सचिवालय के स्टाफ कोरोना की बूस्टर खुराक समेत टीका लगवाने में सक्षम हैं। साथ ही सांसदों से यह भी उम्मीद होगी कि वे हर समय मास्क लगाए रहेंगे और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करेंगे। इसके अलावा, नई दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के ‘क्लिनिकल ट्रायल’ संबंधी नियमों को पहली बार ‘नयी औषधियां, चिकित्सा उपकरण एवं प्रसाधन सामग्री विधेयक, 2022’ के मसौदे के तहत लाया गया है। यह विधेयक 1940 के मौजूदा ‘औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम’ की जगह लेगा।

इस समय नई औषधियों और चिकित्सा उपकरणों के लिए नैदानिक परीक्षणों का संचालन और इन परीक्षणों में भाग लेने के कारण चोट लगने या मौत होने पर मुआवजे का प्रावधान, परीक्षण में भाग लेने वालों का चिकित्सा प्रबंधन और नैतिकता समिति का विनियमन आदि विषय ‘नई औषधियां और नैदानिक परीक्षण नियम, 2019’ के दायरे में आते हैं।

इसके अलावा, चिकित्सा उपकरणों को औषधि की तरह ही माना जाता है और उनकी कोई अलग परिभाषा नहीं है।

मसौदा विधेयक में आयुष दवाओं के लिए एक अलग अध्याय है जिसमें सोवा रिग्पा और होम्योपैथी को नियमित करने का पहली बार प्रस्ताव रखा गया है। मौजूदा अधिनियम आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध दवाओं और प्रसाधनों का नियमन करता है।उसने कहा, ‘‘समिति की सिफारिशों के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बदलती जरूरतों, समय और प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल रखने के लिए ‘नई औषधियां, चिकित्सा उपकरण और प्रसाधन सामग्री विधेयक, 2022’ के मसौदे का प्रस्ताव रखा है।’’

मसौदा विधेयक जैव समानता अध्ययन, जैव उपलब्धता अध्ययन, नैदानिक परीक्षण, नैदानिक जांच, नियंत्रण प्राधिकरण, निर्माता, चिकित्सा उपकरण, नई औषधियां, ओवर द काउंटर (ओटीसी यानी बिना चिकित्सकीय परामर्श के दी जा सकने वाली) दवाएं, मिलावटी प्रसाधन सामग्री आदि संबंधी विभिन्न नए प्रावधानों और परिभाषाओं को पेश करता है, ताकि कामकाज और कार्यान्वयन सुचारू हो सके।

इसमें एक अलग औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) और चिकित्सा उपकरण तकनीकी सलाहकार बोर्ड (एमडीटीएबी) के गठन का प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें तकनीकी मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देने के लिए विभिन्न संघों के विशेषज्ञ शामिल होंगे।

प्रस्तावित विधेयक में हितधारकों को बेहतर तरीके से समझाने और विषय संबंधी कानून लागू करने की दृष्टि से एक अलग अध्याय में चिकित्सा उपकरणों, जांच चिकित्सा उपकरणों, जांच चिकित्सा उपकरणों की क्लिनिकल ट्रायल आदि के नियमन के प्रावधान किए गए हैं।