पश्चिम एशिया में बन रहा नया क्वाड!

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നരേന്ദ്ര മോദി, മുഹമ്മദ് ബിൻ സയിദ് അൽ നഹ്യാൻ, ജോ ബൈഡൻ, നഫ്താലി ബെന്നറ്റ്. (Photos by SUJIT JAISWAL / CHRISTIAN HARTMANN / Nicholas Kamm / AMIR COHEN / AFP)

एशिया में भी अब एक नया क्वाड बनाने की कवायद चल रही है! अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन अपने कार्यकाल में पहली बार पश्चिम एशिया का दौरा करने वाले हैं। इस दौरान 12 से 16 जुलाई के बीच जो बाइडेन इजरायल, फिलिस्तीन, वेस्ट बैंक और सऊदी अरब जाएंगे। इसी दौरान बाइडेन पश्चिम एशिया क्वाड कहे जाने वाले I2U2 शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे। इसमें अमेरिका के अलावा भारत, इजरायल और यूएई के शीर्ष राजनेता शामिल होने वाले हैं। इस समूह में ‘आई 2’ इंडिया और इजरायल के लिए, वहीं ‘यू 2’ यूएस और यूएई के लिए है। अमेरिका के अनुसार, आई2यू2 से तात्पर्य ‘इंटरेक्शन इन अंडरस्टैंडिंग द यूनिवर्स’ है। अक्टूबर 2021 में भी I1U2 में शामिल इन चारों देशों के विदेश मंत्रियों की इजरायल में एक बैठक हुई थी, जिसमें भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए थे।अक्टूबर 2021 में जब भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई के विदेश मंत्रियों ने पहली बार बैठक की थी, तब इसे इंटरनेशनल फोरम फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन का नाम दिया गया था। लेकिन समय के साथ बदलते भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद इस गठबंधन की अहमियत काफी ज्यादा बढ़ गई है। यही कारण है कि इस बार की बैठक में इन चारों देशों के शीर्ष राजनेता, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इजरायली पीएम नफ्ताली बेनेट और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान हिस्सा लेने वाले हैं।

I2U2 को क्यों कहा जा रहा पश्चिम एशिया क्वाड?

जब अक्टूबर 2021 में आई2यू2 की पहली बैठक हुई थी, तभी इसे पश्चिम एशिया क्वाड का नाम दे दिया गया था। इसकी वजह बैठक में शामिल मुद्दे थे। उस दौरान भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई ने समुद्री सुरक्षा, बुनियादी ढांचा विकास, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और परिवहन से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा की थी। बैठक के दौरान भारत में यूएई के राजदूत ने इसे पश्चिम एशिया का क्वाड करार दिया था। इनमें से समुद्री सुरक्षा पर चर्चा चीन के खिलाफ माना गया था। चीन दक्षिण चीन सागर के 90 फीसदी इलाके पर अपना दावा करता है। ऐसे में इस क्षेत्र से होकर गुजरने वाले समुद्री परिवहन को खतरा पैदा हो सकता है। अमेरिका इसी का विरोध करता है और दावा करता है कि उसका उद्देश्य नियम आधारित व्यवस्था को बनाए रखना है।

अमेरिका ने इस बैठक में भारत की भूमिका की जमकर तारीफ की। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि भारत में विशाल उपभोक्ता बाजार है। वह उच्च तकनीक एवं अत्यधिक मांग वाले सामानों का भी एक बड़ा उत्पादक है। इसलिए, ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां ये देश एक साथ काम कर सकते हैं, चाहे वह तकनीकी, व्यापार, जलवायु या कोविड-19 से निपटना हो और यहां तक की सुरक्षा के क्षेत्र में भी।

अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बाइडेन प्रशासन के दुनियाभर में अमेरिकी गठबंधनों को फिर से सक्रिय और पुनर्जीवित करने के प्रयासों के तहत भारत, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका का नया समूह अगले महीने अपना पहला ऑनलाइन शिखर सम्मेलन आई2यू2 आयोजित करेगा। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि शुरू से ही हमारे दृष्टिकोण का एक हिस्सा न केवल दुनियाभर में गठबंधन एवं साझेदारी की हमारी प्रणाली को पुनर्जीवित एवं सक्रिय करना है, बल्कि उन साझेदारियों को एक साथ लाना भी है, जो पहले साथ नहीं थे या जिनका पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया।

इससे पहले, व्हाइट हाउस ने बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान अगले महीने आयोजित होने वाले ऑनलाइन शिखर सम्मेलन आई2यू2 में हिस्सा लेंगे। प्राइस ने कहा कि इनमें से हरेक देश तकनीक का केंद्र है। जैव प्रौद्योगिकी में निपुण है। जब इजरायल और यूएई के बीच संबंधों की बात आती है तो इन देशों के बीच व्यापार एवं आर्थिक संबंधों को गहरा करना हमारे हित में है। यह कुछ जिसे हम और गहरा करने की कोशिश करेंगे।

अक्टूबर 2021 में जब भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई के विदेश मंत्रियों ने पहली बार बैठक की थी, तब इसे इंटरनेशनल फोरम फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन का नाम दिया गया था। लेकिन समय के साथ बदलते भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद इस गठबंधन की अहमियत काफी ज्यादा बढ़ गई है। यही कारण है कि इस बार की बैठक में इन चारों देशों के शीर्ष राजनेता, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इजरायली पीएम यायर लेपिड और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान हिस्सा लेने वाले हैं।