अब बिहार में किसका रहेगा दबदबा जानिए?

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आज हम आपको बताएंगे कि बिहार में अब किसका दबदबा रहेगा! बिहार में डबल इंजन की सरकार चल पड़ी है, राज्य में फिर से नीतीशे सरकार है, पर इस बार डबल इंजन की सरकार में समान पावर के इंजन लगे हैं। एनडीए की यह सरकार न तो 2005 या कि 2010 या फिर साल 2017 वाली एनडीए सरकार कतई नहीं होने जा रही है। इस बार सीएम नीतीश कुमार के सारे दाव पेंच को दुरुस्त करने के इंतजाम बीजेपी ने एनडीए सरकार की नींव डालते ही कर दिया है। जानिए क्या है बीजेपी की रणनीति। इस बार हमेशा की तरह बीजेपी के रणनीतिकारों ने सॉफ्ट नेताओं को डेप्युटी सीएम की जिम्मेदारी नहीं दी। 2005 में राज्य के डेप्युटी सीएम बने सुशील मोदी। नीतीश कुमार की पसंदीदा नेताओं में से एक रहे। डबल इंजन की सरकार अपनी गति से चल रही थी। लेकिन बाद में बीजेपी के भीतर से ही सुशील मोदी का विरोध इसलिए शुरू हो गया कि उन्हें नीतीश कुमार की हितों का रक्षक नेता माना जाने लगा। वैसे भी नीतीश कुमार या सुशील मोदी अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के पसंदीदा नेताओं में शुमार किए जाते रहे। लेकिन देश में बीजेपी नेतृत्व के फलसफे पर भाजपा की राजनीति के सुर बदलने आगे। अटल आडवाणी को सॉफ्ट नेताओं के विरुद्ध नरेंद्र मोदी के हाथ भाजपा और देश का नेतृत्व आया। इस धरातल पर नरेंद्र मोदी के प्राथमिकता वाले नेताओं में न नीतीश कुमार थे और न ही सुशील मोदी।

लेकिन 2017 में एनडीए की सरकार बनी तो रेणु देवी और तार किशोर प्रसाद को डेप्युटी सीएम बनाया गया। ये भी नीतीश कुमार के आगे प्रभावहीन ही रहे। इस बार भाजपा ने बड़ी सोच समझकर अनुभवी और तेज तर्रार नेताओं को सीएम नीतीश कुमार के अगल-बगल खड़ा किया है। याद होगा विधान सभा अध्यक्ष रहते विजय सिन्हा ने सीएम नीतीश कुमार से टकराहट भरी भाषा के साथ सवाल जवाब किया था। मसला लखीसराय का था। एक गिरफ्तारी को लेकर तब वे दोनों आमने-सामने हो गए थे। ये वही विजय सिन्हा हैं जिन्होंने नीतीश को मेंटल, बंधुआ मजदूर तक कहा था।

सम्राट चौधरी हार्ड कोर नेता माने जाते हैं। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनते ही सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार को मेमोरी लॉस सीएम बताया। नीतीश को हमेशा कहते रहे हैं कि वो बिहार संभालने लायक नहीं हैं। वे डरपोक नेता हैं। यहां तक कि 2023 में सिर पर भगवा रंग का मुरेठा बांधते यह कसम भी खाई कि नीतीश कुमार के पद से हटने के बाद ही वह मुरैठ खोलेंगे। उधर, भाजपा ने नीतीश कुमार का इंतज़ाम सदन के बाहर भी कर दिया है। नरेंद्र मोदी के हनुमान चिराग पासवान ने खुलेआम कहा कि नीतीश कुमार से मेरी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है। पर नरेंद्र मोदी नीत नीतियों को वह फलीभूत होने नहीं देंगे तो उन्हें चिराग पासवान का विरोध झेलना होगा।

बता दे कि बिहार में महागठबंधन की सरकार का अंत हो गया है। नीतीश कुमार के शब्दों में उन्होंने पिछली सरकार को खत्म कर दिया है। उन्होंने ये भी कहा कि अब यहीं रहेंगे। सियासी जानकार मानते हैं कि बीजेपी इन दिनों अपना हर कदम फूंक-फूंक कर उठा रही है। जानकारों की मानें, तो पार्टी ने सबसे पहले दो नेताओं को नीतीश के आगे-पीछे डिप्टी सीएम के रूप में लगा दिया है। पहले नेता विजय कुमार सिन्हा हैं। ये भूमिहार समाज से आते हैं। दूसरे नेता सम्राट चौधरी, जो लव-कुश समीकरण को साधते हैं। अपनी आक्रामक बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं। जाहिर है, बीजेपी ने ओबीसी और ऊंची जाति के संयोजन के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है। बीजेपी को पता है कि लोकसभा चुनाव मुश्किल से कुछ महीने दूर हैं।

नीतीश के नेतृत्व वाले एनडीए ने 2020 का विधानसभा चुनाव भी एक साथ जीता था। जिसके बाद भाजपा ने ओबीसी वैश्य नेता तारकिशोर प्रसाद और ईबीसी नोनिया नेता रेनू देवी को डिप्टी सीएम नियुक्त किया था। वे अगस्त 2022 तक अपने पद पर बने रहे। उसके बाद 9 अगस्त, 2022 को नीतीश कुमार आरजेडी के पाले में चले गए। तब तक दोनों नेता डिप्टी सीएम बने रहे। बीजेपी का पिछला ओबीसी-ईबीसी प्रयोग असफल रहा था। पार्टी ने नीतीश पर लगातार हमला करने वाले सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बना दिया है। चौधरी अब काम में व्यस्त रहेंगे। पार्टी को उम्मीद है कि अपनी नई भूमिका में ये लोग नीतीश के प्रतिनिधि के रूप में काम करेंगे। अपनी आक्रामकता भी कम करेंगे। जरूरत पड़ने पर पार्टी का इशारा होते ही, जेडीयू प्रमुख यानी नीतीश कुमार को काबू में भी रखेंगे।

बीजेपी से जुड़े सूत्र कहते हैं कि चौधरी को आगे बढ़ाने का भाजपा का एक कारण उन्हें राज्य की राजनीति में आगे किए रहना है। सम्राट चौधरी को बीजेपी बहुत कुछ सोच समझकर आगे बढ़ा रही है। सम्राट को इस बार महत्वपूर्ण भूमिका देना जरूरी था। इससे कार्यकर्ताओं में एक अच्छा संदेश जाएगा। दूसरी बात की पार्टी नीतीश को अपने साथ लेकर लोकसभा चुनाव को साधने की कवायद में जुटी है। इसका ताजा प्रमाण है, जेपी नड्डा का बयान जो उन्होंने पटना में दिया। नड्डा ने कहा कि डबल इंजन की सरकार से बिहार के विकास को गति मिलेगी। अब बिहार विकास की ओर अग्रसर होगा। नड्डा ने कहा कि बिहार में जनता ने एनडीए को जनादेश दिया था और अब डबल इंजन की सरकार राज्य का विकास करेगी। उन्होंने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि नीतीश कुमार फिर से एनडीए में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि जब भी बिहार में एनडीए की सरकार बनी है स्थिरता आई है और डबल इंजन का बेहतर प्रभाव रहेगा। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि एनडीए लोकसभा चुनाव में स्वीप करेगी तथा विधानसभा चुनाव में भी एनडीए की सरकार बनेगी।