दिल्ली सरकार से लेकर केंद्र सरकार और एनडीएमसी तक सभी ने ई-आफिस प्रणाली लागू की है वही इनके नक्शे कदम पर चलते हुए दिल्ली नगर निगम को भी अब पेपर लेस करने की चर्चा चल रही है।
अश्वनी कुमार (विशेष अधिकारी, दिल्ली नगर निगम) कहना है कि हम ई-आफिस प्रणाली को लागू करने पर काम कर रहे हैं। सबसे पहले शिक्षा विभाग से इसकी शुरुआत होगी। आइटी विभाग इस संबंध में जुलाई के अंत तक अपनी तैयारी कर लेगा। इसके बाद दूसरे विभागों में भी इसे लागू किया जाएगा। हम निगम को पेपरलेस बनाना चाहते हैं।अब दिल्ली नगर निगम का होगा डिजिटलीकरण।
ई कार्यालय की ओर बढ़ता कदम। दिल्ली नगर निगम के एकीकरण होने के बाद प्रशासन में तो बड़े बदलाव देखने को तो मिल ही रहे थे पर अब प्रशासनिक कार्यों को करने की कार्य शैली में भी बडा बदलाव देखने को मिलेगा।जो है निगम का ई कार्यालय का होना। निगम के विशेष अधिकारी ने सभी निगम के सभी कार्यालयों को अपने सभी रिकॉर्ड को ई ऑफिस पर उपलब्ध कराने को कहा है। हालाकि अभी केवल यह घोषणा हुई है कि निगम को पूरी तरह ई कार्यलय में बदला जाएगा। पर ये काम जितना आसान दिखाई दे रहा है उतना आसान नही है। इसके लिए निगम कर्मियों को काफी समय लग सकता है।इसके लिए नगर निगम ने कमर कसली है।हालाकि अभी एकीकृत निगम को अस्तित्व में आए ज्यादा समय नहीं हुआ है। इसके साथ ही निगम आयुक्त ने अपने आदेशों में ये साफ हो कर दिया है की अब निगम को एक प्रतिष्ठित निगम बनना है। इसके लिए उन्होंने काम भी शुरु कर दिया।जहां अभी तीन पूर्व निगम को अभी पूरी तरह अपने पूर्व कार्यालयों से मुख्याल में भी नही पहुंचे उससे पहले ही उन्हें अपने रिकार्ड को ई पोर्टल पर उपलब्ध कराने के निर्देश मिल गए है।दिल्ली नगर निगम के सभी विभाग करेंगे अपने रिकार्ड को डिजिटल करेंगे।
क्या होगा फायदे?
इसके लागू होने से अधिकारियों का कामकाज भी सरल हो जाता है।पारदर्शी व्यवस्था का निर्माण भी होता है। फाइलों के गुम होने का झंझट भी खत्म हो जाएगा।ई-आफिस प्रणाली लागू हो जाने से निगम को आर्थिक फायदा भी होगा। इससे कागजों की खरीद का पैसा बचेगा।जबकि क्षेत्रीय कार्यालयों से मुख्यालय और अन्य निगम के दफ्तरों पर फाइलों को लाने-ले जाने पर खर्चा भी नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में निगम सदन की बैठक को पेपरलेस करने के भी पहले प्रयास हुए थे। इसमें निगम की वेबसाइट पर अधिकारियों को बैठकों का एजेंडा उपलब्ध कराया जा रहा था। निगम के 27 विभाग और 12 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिसमे ये कार्य प्रणाली लागू होनी है।
क्या है ई ऑफिस?
ई-प्रशासन इलेक्ट्रॉनिक प्रशासन का संक्षिप्त रूप है। इसे इलेक्ट्रॉनिक आॅनलाइन सरकार तथा डिजिटल सरकार भी कहा जाता है। ई-प्रशासन का अर्थ सरकारी कामकाज में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना है, ताकि शासन सरल, नैतिक, उत्तरदायी और जवाबदेह बन सके। इसके माध्यम से सरकार और आम जनता के बीच इंटरनेट या कंप्यूटर नेटवर्क के जरिए सुरक्षित, विश्वसनीय और नियंत्रित संपर्क कायम करने का प्रयास किया जाता है।
ई-प्रशासन की शुरुआत
भारत में ई-प्रशासन की वास्तविक शुरुआत राष्ट्रीय सूचना केंद्र अर्थात एनआइसी की स्थापना (1976) से माना जा सकता है। उल्लेखनीय है कि एनआइसी की स्थापना संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और भारतीय इलेक्ट्रॉनिक आयोग के सहयोग से हुआ था। एनआइसी ने ही सर्वप्रथम देश के जिलों को इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से आपस में जोड़ने का काम किया। इसके बाद से रेलवे, चिकित्सा, शिक्षा एवं भूमि संलेखन आदि को जोड़ने का काम किया गया और सफल भी रहा।
इस सफलता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 1990 के दशक में ई-सरकार कार्यक्रम की शुरुआत की। इसी के तहत 15 अगस्त 2000 को केंद्र एवं राज्य सरकार के कार्यों की जानकारी प्राप्त करने के लिए ई-सरकार केंद्र की स्थापना की गई थी। इसके बाद 2006 में राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना आरंभ की गई। तब से लेकर अब तक इसके लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। कॉमन सर्विस सेंटर भी उसी में से एक है।
क्या है ई-प्रशासन का उद्देश्य?
ई-प्रशासन का उद्देश्य बिल्कुल साफ है। इसके जरिए आम नागरिकों को बेहतर शासन एवं सेवा उपलब्ध कराना, शासन के कार्य प्रणाली एवं उसके पारदर्शिता में सुधार, जवाबदेही का विकसत, नागरिकों का सशक्तीकरण, सरकार द्वारा दी जा रही सेवाओं की लागत एवं समय कम को करना, सरकारी संगठनों, विभागों एवं कार्यालय के बीच संचार के माध्यम से समन्वय स्थापित करना शासन का मकसद है। इसके जरिए सरकार और जनता के बीच बढ़ती खाई पाटी जा सकती है।