Friday, November 22, 2024
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अब सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर के ऊपर क्या आयी नई गाज?

सफदरगंज अस्पताल के डॉक्टर के ऊपर अब नई गाज गिर चुकी है! राजधानी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पैसों के बदले इलाज करने वाले डॉक्टर मनीष रावत पर नई आफत मडरा रही है। एक 6 साल पुराने मर्डर केस में भी उनपर शिकंजा कसेगा। इसी सप्ताह सीबीआई ने डॉक्टर रावत को गिरफ्तार किया था। छह साल पहले गाजियाबाद में उनकी ऑडी कार ने एक ऑटो को टक्कर मार दी थी। इस हादसे में ऑटो में सवार चार लोगों की मौत हो गई थी। ये घटना गाजियाबाद के इंदिरापुरम में 28 जनवरी 2017 को हुई। हादसे के बाद रावत ने पुलिस को बताया था कि वह कार नहीं चला रहे थे। लेकिन उन पर लापरवाही से गाड़ी चलाने और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत आरोप लगे थे। इस मामले में अदालत में कई मोड़ आए। बाद में 15 फरवरी 2021 को एक स्थानीय अदालत ने डॉक्टर को राहत दे दी। अदालत में इशाक अहमद नाम के शख्स ने दावा किया कि एक्सीडेंट वाली रात वो कार चला रहा था। बाद में ये शख्स सैयद अहमद कादरी निकला। इसके बाद कादरी पर मुकदमा चलाया गया। रोड एक्सीडेंट ऑटो ड्राइवर और तीन चचेरे भाई-बहनों की मौत हो गई। शनिवार को अदालत के फैसले पर पीड़ितों के परिवार ने कहा कि वे रावत को छोड़ने के फैसले से खुश नहीं हैं और निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट जाने की योजना बना रहे हैं। मृतक की मां सुनीता कहती है, ‘मेरा बेटा यजुवेंद्र सिंह सेंगर एक्सीडेंट में मारा गया। सीबीआई ने जब डॉ रावत को गिरफ्तार किया तो हमारी उम्मीद फिर से जाग गई है। हमें उम्मीद है कि एक्सीडेंट वाला केस फिर से खोला जाएगा और न्याय दिया जाएगा। इस मामले में सीबीआई जांच की भी मांग करते हैं।’ उन्होंने बताया कि रोड एक्सीडेंट केस को हाई कोर्ट में दायर करने के लिए वकील से संपर्क किया है।

यजुवेंद्र और विशाल गाजियाबाद में एक प्राइवेट कंपनी में इंटरव्यू देने गए थे। उनके रिश्तेदार, रिंकू सेंगर और ऑटो चालक संजीव कुमार की भी मौत हो गई जब एक तेज रफ्तार ऑडी Q7 (DL11CA3420) ने गलत साइड से 12.15 बजे ऑटो को टक्कर मार दी। इस हादसे के बाद 28 जनवरी 2017 को पुलिस ने IPC की धारा 279, 304A और 427 के तहत मामला दर्ज किया। इंदिरापुरम थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई। पुलिस ने वसुंधरा के ओलिव काउंटी निवासी डॉक्टर रावत के नाम दर्ज कार को जब्त कर लिया।

तीन दिन बाद 31 जनवरी को कादरी ने खुद को इशाक अहमद बताते हुए अदालत में सरेंडर कर दिया। उसने दावा किया कि हादसे वाली रात वो गाड़ी चला रहा था। कादरी को उसी दिन जमानत पर रिहा कर दिया गया था। उसे अप्रैल 2017 में मुंबई में एक मोबाइल चोरी के मामले में फिर से गिरफ्तार किया गया था। पीड़ितों के वकील मुस्तकीम अहमद ने कहा कि अदालत ने कादरी के सरेंडर को स्वीकार करके उसे जमानत दे दी। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब पुलिस उसके एड्रेस को वेरिफाई करने के लिए बरेली गई, जहां उन्हें पता चला कि असली इशाक अहमद एक ट्रक ड्राइवर और कादरी का रिश्तेदार है।

बाद में कादरी ने अदालत को बताया कि बरेली निवासी राजकुमार ने ही उन्हें डॉक्टर रावत के बारे में बताया था, जिन्हें गाजियाबाद में एक कार ड्राइवर की जरूरत थी। 28 जनवरी 2017 की रात मैं कार चला रहा था, जबकि हादसे वक्त डॉ रावत मेरे बगल में बैठे थे। ऑडी का एयरबैग खुलने से हम बच गए। गाजियाबाद पुलिस ने 23 अक्टूबर 2017 को डॉ. रावत, कादरी और राजकुमार के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट में कहा गया है कि कॉल डिटेल्स से पता चलता है कि न तो इशाक और न ही कादरी दुर्घटनास्थल पर थे। मौके पर केवल डॉ रावत की लोकेशन मिली थी। इससे पता चलता है कि जब दुर्घटना हुई तो वह कार चला रहा था।

इस मामले के जांच अधिकारी का ट्रांसफर हो गया और नए अधिकारी जे एन शर्मा ने दूसरी चार्जशीट दायर की, जिसमें 27 दिसंबर 2018 को आईपीसी की धारा 279, 304ए और 427 के तहत केवल कादरी पर आरोप लगाया गया। चार्जशीट में कहा गया है कि कॉल डिटेल्स से पता चलता है कि न तो इशाक और न ही कादरी दुर्घटनास्थल पर थे। मौके पर केवल डॉ रावत की लोकेशन मिली थी। इससे पता चलता है कि जब दुर्घटना हुई तो वह कार चला रहा था।15 फरवरी 2021 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत गाजियाबाद में इस चार्जशीट के आधार पर डॉ. रावत और राजकुमार की अर्जी स्वीकार कर ली और कादरी के खिलाफ केस जारी रखा। इस केस में अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होनी है।

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