ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर वसुंधरा और शिवराज को बीजेपी में क्या जिम्मेदारी मिलेगी! बीजेपी ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव और राजस्थान में भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी देकर सबको चौंका दिया है। पार्टी के इस फैसले से पार्टी के वरिष्ठ नेता सबसे ज्यादा चौंके हैं। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंधरा राजे के राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस बीच न्यूज चैनल आजतक के एक कार्यक्रम में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से जब शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हम सभी को नया काम सौंपेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘ ये सभी हमारे वरिष्ठ नेता हैं, बीजेपी एक साधारण कार्यकर्ता का भी उपयोग करने से पीछे नहीं रहती, ये तो हमारे वरिष्ठ नेता हैं, इन्हें भी काम सौंपेंगे। इन्हें इनके कद के हिसाब से काम सौंपेंगे, और अच्छे काम में लगाएंगे।’ जब उनसे पूछा गया कि वह शिवराज, वसुंधरा या रमन सिंह से बात करते हैं तो क्या उनकी तरफ से बागी तेवर देखने को मिलते हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ह्यूमन एंगल को समझकर ह्यूमन डीलिंग करना बीजेपी के कार्यकर्ताओं को आता है। जब मैं ये काम करता हूं तो सबसे पहले हम ऐसा वातावरण बनाते हैं कि उन्हें ऐसा महसूस न हो। उन्होंने कहा कि दिक्कत तब आती है, जब आपके इरादे कुछ और हों, एजेंडा कुछ और हो, आप बोल कुछ और रहे हों। भीतर और बाहर अटकलों का बाजार गर्म रहा है। चुनाव प्रचार में वसुंधरा की सक्रियता, बड़ी सभाओं से दूरी और पीएम मोदी के साथ मंच पर कम तवज्जो को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। चुनावी नतीजों के बाद फिर से मुख्यमंत्री न बनाए जाने के पार्टी की रणनीति पर भी कयासाें का बाजार गर्म है।लेकिन हमारे साथ ऐसा कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि पार्टी आज सफल नहीं हुई है, ये कई सालों की तपस्या के कारण ऐसा हुआ है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस में किसी के पास मॉरल राइट नहीं है, क्योंकि वहां लोग कुर्सी से चिपके हुए हैं, लेकिन हमारे यहां ऐसी शृंखला मिल जाएगी। पीएम मोदी जब संगठन में थे, तो उन्हें जब नॉर्थ का काम मिला नॉर्थ गए, जब साउथ का काम मिला तो वहां जाकर काम किया, जब सीएम पद की जिम्मेदारी दी गई, तो उसे भी निभाया। उन्होंने कहा कि बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने इस्तीफा देकर पार्टी का काम संभाला। जेपी नड्डा ने कहा कि हमारे यहां लोग नेशन फर्स्ट, पार्टी सेकेंड और मी लास्ट के सिद्धांत पर चलते हैं।
बीजेपी ने सोमवार को मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में विधायक मोहन यादव के नाम की घोषणा से राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया है। चर्चित चेहरों को छोड़ कर मोहन यादव को मध्यप्रदेश का नया सीएम चुन लिया गया। अब चर्चा है कि बीजेपी नेतृत्व ऐसा ही चौंकाने वाला फैसला राजस्थान में कर सकता है। राजस्थान में दो बार मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे को सीएम की कुर्सी से दूर रखा जा सकता है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के नतीजों के पहले से वसुंधरा राजे को लेकर पार्टी के भीतर और बाहर अटकलों का बाजार गर्म रहा है। चुनाव प्रचार में वसुंधरा की सक्रियता, बड़ी सभाओं से दूरी और पीएम मोदी के साथ मंच पर कम तवज्जो को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। चुनावी नतीजों के बाद फिर से मुख्यमंत्री न बनाए जाने के पार्टी की रणनीति पर भी कयासाें का बाजार गर्म है।
3 दिसंबर को बीजेपी को बहुमत मिलने के बाद से कई विधायकों का वसुंधरा राजे के बंगले पर पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। करीब 70 विधायकों के वसुंधरा से मिलने की चर्चा दिल्ली तक जा पहुंची। वसुंधरा राजे पर विधायकों की बाड़ाबंदी करने का भी आरोप लगा।ह्यूमन डीलिंग करना बीजेपी के कार्यकर्ताओं को आता है। जब मैं ये काम करता हूं तो सबसे पहले हम ऐसा वातावरण बनाते हैं कि उन्हें ऐसा महसूस न हो। उन्होंने कहा कि दिक्कत तब आती है, जब आपके इरादे कुछ और हों, एजेंडा कुछ और हो, आप बोल कुछ और रहे हों। लेकिन हमारे साथ ऐसा कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि पार्टी आज सफल नहीं हुई है, ये कई सालों की तपस्या के कारण ऐसा हुआ है। इसके चलते वसुंधरा को आलकमान ने दिल्ली तलब किया। हालांकि वसुंधरा की ओर से ऐसे सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया गया, लेकिन सियासी गलियारों में अब भी चर्चा यही है कि वसुंधरा के नाम पर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व चौंकाने वाला फैसला ले सकता है।