गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है! कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने करीब पांच दशक के बाद पार्टी को अलविदा कह दिया। कांग्रेस से नाता तोड़ने से पहले गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने दावा किया कि देश का सबसे पुराना दल अब ‘समग्र रूप से नष्ट हो चुका है’। आजाद ने कहा कि पार्टी का शीर्ष इसका नेतृत्व आतंरिक चुनाव के नाम पर ‘धोखा दे रहा है।’ उन्होंने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर ‘अपरिपक्व और बचकाने व्यवहार’ का भी आरोप लगाया। आजाद ने आरोप लगाया कि अब सोनिया गांधी नाममात्र की नेता रह गई हैं क्योंकि फैसले राहुल गांधी के ‘सिक्योरिटी गार्ड और निजी सहायक’ करते हैं।
चापलूसों से चल रही कांग्रेस?
गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में जिस सिक्योरिटी गार्ड का जिक्र किया है वो शख्स आखिर है कौन? क्यों गुलाम नबी आजाद ने इस शख्स पर सवाल उठाया। गुलाम नबी आजाद ने इसके अलावा राहुल की मंडली के नेताओं पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। आजाद ने आरोप लगाया कि यह सब इसलिए हुआ क्योंकि बीते 8 वर्षो में नेतृत्व ने एक ऐसे व्यक्ति को पार्टी पर थोपने का प्रयास किया जो गंभीर नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि चापलूसों के संरक्षण में कांग्रेस को चलाया जा रहा है। जानते हैं राहुल मंडली में वो कौन-कौन से लोग हैं जिनपर गुलाम नबी आजाद ने आरोप लगाए हैं।
गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में सिक्योरिटी गार्ड का संदर्भ दिया है वह शख्स संभवत केबी बायजू है। रिपोर्ट के अनुसार बायजू पहले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का हिस्सा थे जो राहुल गांधी के महासचिव बनने के बाद उनकी टीम में शामिल हो गए। बायजू के पास कांग्रेस में कोई औपचारिक पद नहीं है लेकिन पार्टी में उनका कद लगातार बढ़ता गया। बायजू राहुल गांधी की सिक्योरिटी के अलावा महत्वपूर्ण कामों की जिम्मेदारी संभालते हैं। इसमें इस साल की शुरुआत में राहुल गांधी की गोवा यात्रा शामिल हैं। अब यह शख्स भारत जोड़ो यात्रा का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कांग्रेस नेताओं की मानें तो क्योंकि बायजू राहुल गांधी की यात्राओं को मैनेज करते हैं, ऐसे में वह काफी पावरफुल हो गए हैं। बायजू ही तय करते हैं कि राहुल गांधी के साथ कौन सा व्यक्ति कितना समय बिताएगा। इतना ही नहीं वह राहुल गांधी के साथ स्टेज भी शेयर करते हैं। बायजू के कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पंजाब में कांग्रेस की कलह के दौरान वह खुद राहुल गांधी के व्यक्तिगत संदेशवाहक बनकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के पास गए थे। हालांकि, बाद में अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस से नाता तोड़कर अपनी अलग पार्टी बना ली।
आजाद ने अपने इस्तीफे वाली चिट्ठी में राहुल गांधी की मंडली का भी जिक्र किया है। इसमें परोक्ष रूप से केसी वेणुगोपाल पर निशाना है। केसी वेणुगोपाल राहुल गांधी के बहुत खास हैं। साल 2017 में वेणुगोपाल का कद बढ़ाकर महासचिव बना दिया गया। इसी साल राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष भी बने थे। वेणुगोपाल को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता था जिस तक पहुंचना बहुत मुश्किल था। इस वजह से वह आजाद समेत कई वरिष्ठ नेता नाराज रहते थे। राहुल गांधी की टीम के लिए मंडली शब्द का प्रयोग किए जाने को वेणुगोपाल ने अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से गुलाम नबी आजाद, संजय गांधी और राजीव गांधी के करीब थे। उसी तरह से राहुल की टीम में शामिल लोगों के अपने नेता का विश्वास हासिल है। राहुल गांधी की टीम में रणदीप सिंह सुरजेवाला और अजय माकन भी शामिल हैं।
आजाद ने राहुल गांधी के जिन पीए के उल्लेख किया है उसमें आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व कार्यकारी अलंकार सवाई शामिल हैं। सवाई रिसर्च टीम के चीफ हैं। उन्होंने कुछ समय के लिए राहुल गांधी के ट्विटर अकाउंट को भी हैंडल किया था। इस दौरान राहुल गांधी ने कई लोगों को अनफॉलो भी किया था। इसके अलावा ऑक्सफोर्ड से पढ़े कौशल विद्यार्थी भी शामिल हैं। कौशल राहुल गांधी के आधिकारिक सचिव हैं। वह उनकी डेली के कामकाज को देखते हैं। इसके अलावा राहुल गांधी की टीम में सचिन राव भी हैं जो ट्रेनिंग और पब्लिकेशन मैसेज हैंडल करते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का यह मानना है कि राहुल गांधी बिना राजनीतिक बैकग्राउंड वाले लोगों पर अधिक निर्भर हैं। इसके परिणामस्वरूप पार्टी और देश के साथ संबंध कमजोर होते जा रहे हैं।