Friday, October 18, 2024
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अब मिलेगा रीड की हड्डी के दर्द से आराम, जाने कैसे?

दर्द निवारक इंजेक्शन से समस्या का समाधान नहीं निकलता ये कुछ घंटे तक दर्द में राहत देते हैं। दिल्ली के स्पाइन सर्जन ने बताया कि रेडियोफ्रीक्वेंसी न्यूरोटामी तकनीक रीढ़ की सर्जरी में बहुत कारगर साबित हो रही है, शरीर में रीढ़ की अहम भूमिका है। इसलिए जब यह विकारग्रस्त होती है तो एक साथ कई परेशानियां उत्पन्न होती हैं। इसके साथ ही अन्य अंगों की अपेक्षा रीढ़ का आपरेशन बहुत जटिल माना जाता है। कई बार लोग लंबे समय से रीढ़ के विकार से जूझ रहे होते हैं, लेकिन आपरेशन का साहस नहीं जुटा पाते हैं। मन में संशय रहता है कि आपरेशन से राहत मिलेगी या नहीं। चिकित्सा के क्षेत्र में आपरेशन की कई ऐसी तकनीकें हैं, जो रीढ़ को विकारमुक्त करने में मददगार हैं। यदि नई तकनीक की बात करें तो रेडियोफ्रीक्वेंसी न्यूरोटामी तकनीक रीढ़ की परेशानी के हर आपरेशन में कारगर है।

स्पाइन यानी रीढ़ में दर्द या अन्य विकार होने के कई कारण हैं। जैसे स्पानइनल अर्थराइटिस के कारण पीठ में तेज दर्द होना, कमर के निचले भाग में दर्द, (सर्वाइकल स्पांडलाइटिस लो बैकपेन) दुर्घटना के कारण रीढ़ की हड्डी में क्षति से दर्द होना (स्पाइनल स्टेनोसिस, पोस्ट ट्रामेटिक पेन) और कई मामलों में रीढ़ का आपरेशन होने के बाद भी दर्द की शिकायत रहना आदि। रेडियोफ्रीक्वेंसी न्यूरोटामी तकनीक से आपरेशन में इन सभी समस्याओं में राहत मिलती है।

रेडियोफ्रीक्वेंसी न्यूरोटामी (इलेक्ट्रो मैग्नेटिक वेव्स) प्रकाश की गति से तेज चलती हैं। इस प्रक्रिया में रेडियोफ्रीक्वेंसी एनर्जी (एक प्रकार की हीट एनर्जी) को एक विशेष चिकित्सकीय उपकरण के जरिए उच्चतम तापमान पर उत्पन्न किया जाता है। इस उपकरण की मदद से हीट एनर्जी को सूक्ष्म तंत्रिकाओं (नर्व्स) तक पहुंचाया जाता है। इससे दर्द की संवेदना दिमाग तक पहुंचती है।

इस प्रक्रिया के दौरान त्वचा व आसपास के ऊतकों को लोकल एनेस्थीसिया द्वारा निष्क्रिय कर दिया जाता है। इसके पश्चात चिकित्सक एक्स-रे का प्रयोग कर रेडियोफ्रीक्वेंसी प्रोब (एक सूक्ष्म लंबी सुई या नीडल की तरह का उपकरण) को सूक्ष्म तंत्रिकाओं में प्रेषित करते हैं। इसके माध्यम से नियंत्रित स्थिति में एनर्जी या गरमाहट को विकारग्रस्त तंत्रिका तक पहुंचाते हैं। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि अन्य तंत्रिकाओं को कोई क्षति न पहुंचे। इसके उपरांत लक्षित तंत्रिकाओं को लोकल एनेस्थीसिया की मदद से निष्क्रिय कर दिया जाता है। रेडियोफ्रीक्वेंसी वेव्स को सुई की नोक से मिलाकर तेज गरमाहट से (हीट) उन तंत्रिकाओं को नष्ट किया जाता है, जो दर्द का अहसास कराती हैं।इस प्रकार अधिकतर समस्याओं से हम मुक्ति पा सकते हैं!

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