उम्रदराज लोगों को जरूर करना चाहिए ये व्यायाम! जानिए फायदे!

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व्यायाम करना एक सेहतमंद शरीर के लिए बहुत जरूरी और आवश्यक चीज होती है! यदि इसे दिनचर्या में लाया जाए तो यह लाभदायक साबित हो सकता है! शरीर को फिट और स्वस्थ बनाए रखने के लिए सभी लोगों को नियमित रूप से योग-व्यायाम करते रहने की सलाह दी जाती है। नियमित व्यायाम की आदत आपकी शारीरिक निष्क्रियता को कम करके शरीर को फिट रखने और बीमारियों के जोखिम को कम करने में सहायक है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी आयु वर्ग के लोगों को नियमित रूप से व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करने की सलाह देते हैं। विशेषकर उम्र बढ़ने के साथ व्यायाम की आदत आपके लिए काफी मददगार हो सकती है क्योंकि बुढ़ापे में शारीरिक निष्क्रियता के कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है।

यह सच है कि बढ़ती उम्र निश्चित रूप से जीवनशैली पर कुछ प्रतिबंध लगाती है, हालांकि यदि आपकी नियमित रूप से व्यायाम की आदत है तो 60-70 की उम्र में भी आप स्वस्थ और कई प्रकार की बीमारियों के खतरे से बचे रह सकते हैं। मौजूदा समय में ज्यादातर बीमारियों के लिए शारीरिक निष्क्रियता को प्रमुख कारक के रूप में जाना जाता है।

गतिहीन जीवनशैली हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा और गठिया जैसे समस्याओं के जोखिम को दोगुना कर देती है। हृदय रोग और मधुमेह की समस्या अब कम उम्र वालों में भी देखी जा रही है। इसके अलावा अध्ययनों से पता चलता है कि व्यायाम न करने की आदत पेट के कैंसर, उच्च रक्तचाप, ऑस्टियोपोरोसिस, लिपिड विकार, अवसाद और चिंता के जोखिम को भी बढ़ाती है। उम्र बढ़ने के साथ इन समस्याओं का जोखिम और भी अधिक हो जाता है।

बुढ़ापे में व्यायाम की आदत हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत रखने, रक्त संचार को ठीक रखने और इससे संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम करने में सहायक है। उम्र बढ़ने के साथ शारीरिक निष्क्रियता के कारण गठिया की दिक्कत काफी आम देखी जाती है। यदि आप नियमित व्यायाम की आदत बनाते हैं तो ऑस्टियोपोरोसिस सहित हड्डियों-जोड़ों की समस्या के खतरे को कई गुना तक कम कर सकते हैं।

सोने में असमर्थता या नींद की कमी, बुजुर्गों में एक आम शिकायत है। नियमित व्यायाम की दिनचर्या बनाए रखने से बेहतर नींद में लेने में मदद मिल सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि नींद की कमी शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है। नींद विकारों को चिंता-तनाव की समस्या से लेकर हृदय-रक्तचाप की समस्याओं के कारक के तौर पर जाना जाता है।