हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी को घेरने के चक्कर में लगी हुई है! भाजपा हिमाचल प्रदेश में लगातार दोबारा सत्ता में लौटकर एक नया इतिहास रचने की तैयारी कर रही है। वहीं, कांग्रेस को प्रदेश में हर बार सत्ता पलटने के इतिहास पर भरोसा है। पार्टी भाजपा को उन सभी मुद्दों पर घेरने की तैयारी कर रही है, जो इस पहाड़ी राज्य के लोगों के दिलों के करीब हैं। कांग्रेस भाजपा को सेब किसानों की आर्थिक बदहाली, अग्निवीर योजना के कारण युवाओं में सेना में जाने के रोजगार के अवसरों में कमी और पर्यटन के लगातार कमजोर पड़ने के मुद्दे उठाएगी। उसे भरोसा है कि बेरोजगारी और आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही जनता उसका साथ देगी।
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी और महंगाई को एक बड़े मुद्दे के रूप में उठाया है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी राहुल गांधी इन्हीं मुद्दों पर केंद्र सरकार और भाजपा को घेर रहे हैं। इसके कारण मुख्यधारा की मीडिया, सोशल मीडिया और आम जनता के बीच ये मुद्दे चर्चा का विषय बन रहे हैं। इससे कहीं न कहीं केंद्र सरकार स्वयं को बैकफुट पर महसूस कर रही है, तो कांग्रेस और बढ़-चढ़कर इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का काम कर रही है। इन मुद्दों पर मिल रही सफलता को देखकर कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव में इन्हीं दोनों मुद्दों पर दांव लगाने की रणनीति बनाई है।
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में सेना में नौकरी को रोजगार के एक बड़े अवसर के रूप में देखा जाता रहा है। माना जाता है कि यहां के हर दूसरे-तीसरे परिवार का व्यक्ति सेना में नौकरी करता है और इस कमाई से ही पहाड़ की अर्थव्यस्था चलती है। हिमाचल प्रदेश का भारतीय सेना में लगभग 4 प्रतिशत का योगदान है। सेना के जवानों को अद्भुत शौर्य के लिए मिलने वाला पदक ‘परमवीर चक्र’ भी हिमाचल प्रदेश के जवान को ही मिला था।
पिछले दिनों सरकार ने सेना की नौकरियों में अग्निवीर योजना लागू कर दी है। इससे सेना की यह नौकरी केवल चार साल की एक अल्पकालिक नौकरी में तब्दील होकर रह गई है। इसे लेकर देश के कई हिस्सों में आक्रोश और निराशा देखी गई। ऐसे में कांग्रेस को अनुमान है कि उसे हिमाचल में भी इस योजना पर युवाओं का साथ मिल सकता है।
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी राजीव शुक्ला ने पीएम के हिमाचल प्रदेश के प्रस्तावित दौरे (जो मौसम की परेशानी के कारण टल गया) के पहले इन्हीं मुद्दों पर सरकार को घेरने का काम किया। उन्होंने आंकड़ों के साथ सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए दावा किया कि हिमाचल प्रदेश के 5.20 लाख युवा बेरोजगार हैं। उनके पास कोई रोजगार नहीं है। अग्निवीर योजना लागू करने के कारण राज्य के युवाओं की नौकरी के अवसरों में भारी कटौती हुई है और लोगों की उम्मीदें मुरझाई हैं। कांग्रेस ऐसे लोगों को ही अपने साथ जोड़ने का काम कर रही है।
बेरोजगारी का मुद्दा जोर पकड़ने के कारण केंद्र सरकार ने सभी प्रदेशों से सभी रिक्तियों को जल्द से जल्द भरने का निर्देश दिया था। भाजपा शासित कुछ प्रदेशों ने इसको लेकर सक्रियता भी दिखाई और रिक्तियों को भरने के आदेश जारी कर दिए। आरोप है कि हिमाचल प्रदेश ने अब तक इस तरह की कोई सक्रियता नहीं दिखाई है जिससे युवाओं में आक्रोश बढ़ रहा है। एक जानकारी के मुताबिक़ राज्य के विभिन्न विभागों में 67,500 सरकारी पद खाली पड़े हैं। यदि इन्हें भी समय से भरा जाता तो युवाओं को नौकरी मिलने का एक बड़ा अवसर मिल सकता था। लेकिन सरकार ने इन पदों को भरने में अब तक कोई रूचि नहीं दिखाई है। कांग्रेस इसे एक चुनावी मुद्दा बनाने की रणनीति पर काम कर रही है।
कांग्रेस का आरोप है कि हिमाचल प्रदेश पर लगभग 70 हजार करोड़ रूपये का कर्ज है, यानि प्रति वोटर पर 1.50 लाख रुपए का कर्ज है, और यही कारण है कि सरकार कोई काम करने को तैयार नहीं है। लेकिन पार्टी ने इसे भाजपा की लापरवाही बताया है क्योंकि कुल कर्ज में लगभग आधा यानी 51 प्रतिशत कर्ज केवल पिछले पांच साल में बढ़ा है।
हिमाचल प्रदेश अपनी सेब की खेती के लिए जाना जाता है। यहां से हर साल लगभग पांच हजार करोड़ रुपए का व्यापार होता है और इससे हिमाचल प्रदेश के हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। प्रदेश की इसी नब्ज को समझते हुए नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपनी चुनावी यात्राओं के दौरान सेब किसानों के लिए विशेष उपाय करने की बात कही थी। उन्होंने कोल्ड ड्रिंक्स निर्माता कंपनियों पर पांच प्रतिशत फलों के जूस का इस्तेमाल करने को अनिवार्य बनाकर किसानों की आर्थिक हालत बदलने की बात कही थी। लेकिन आरोप है कि मोदी को पीएम बने आठ सालों से ज्यादा का समय हो गया, इस दौरान हिमाचल प्रदेश में भी भाजपा की पांच साल सरकार रह चुकी, लेकिन सेब किसानों के लिए अब तक कुछ नहीं किया गया। अब कांग्रेस इसे एक चुनावी मुद्दा बनाने की सोच रही है।
कांग्रेस का आरोप है कि सेब किसानों की आर्थिक हालत सुधारने की बजाय केंद्र सरकार के कुछ निर्णयों से उनकी स्थिति ज्यादा खराब हुई है। लगभग 40 देशों से आने वाले विदेशी सेबों के कारण हिमाचल प्रदेश के सेब किसानों के हितों पर नकारात्मक असर को रोकने के लिए इन पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की बात की गई थी, लेकिन इसे अब तक लागू नहीं किया गया। इस समय यह शुल्क केवल 50 प्रतिशत है। लेकिन आरोप है कि ज्यादातर सेब निर्यातक देश ड्यूटी फ्री अफगानिस्तान के जरिये अपने सेब भारतीय बाज़ारों में धकेल रहे हैं जिसका सीधा नुकसान हिमाचल प्रदेश और कश्मीर के सेब किसानों को हो रहा है।
सेब के प्रति कार्टन पर 18 फीसदी जीएसटी लगाकर किसानों को और ज्यादा नुकसान उठाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बिचौलियों के कारण जो सेब किसानों को 60-70 रूपये किलो बेचना पड़ता है, बाज़ार में वही सेब 200-250 रूपये किलो मिलता है। लेकिन बिचौलिए को रोककर यह लाभ सीधा किसानों तक पहुंचाने की कोई कारगर व्यवस्था अब तक नहीं बनाई जा सकी है। कांग्रेस इन्हीं मुद्दों के सहारे भाजपा को टक्कर देने की योजना बना रही है।