Sunday, September 8, 2024
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पाकिस्तान के ख़राब आर्थिक हालात के बीच केंद्रीय बैंक का क्या है आखिरी दावा ?

पाकिस्तान के ख़राब आर्थिक हालात के बीच स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान और वित्त मंत्रालय ने बताया है कि वित्तीय संकट से निपटने के लिए साल 2023 में उनकी क्या रणनीति होगी.

एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उन्होंने मौजूदा हालात और उनकी वजहों के बारे में भी जानकारी दी है.साथ ही इसमें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की सरकार के दौरान के आर्थिक हालत से भी तुलना की गई है.इमरान सरकार पर नीतिगत खामियों का आरोप लगाते हुए इस बात पर ज़ोर दिया गया कि नई सरकार ने मौजूदा आर्थिक स्थितियों को कैसे संभाला है.31 जुलाई को जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि पाकिस्तान की समस्याएं अस्थायी हैं और आईएमएफ़ से आने वाले फंड से इनका समाधान हो सकता है.

स्टेट बैंक ने बताया है कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार फ़रवरी से गिर रहा था क्योंकि विदेशी मुद्रा देश में आने से ज़्यादा बाहर जा रही थी. देश में आने वाले पैसे का अधिकतर हिस्सा आईएमएफ़, विश्व बैंक, एडीबी और मित्र देशों जैसे चीन, सऊदी अरब और यूएई से मिलने वाले कर्ज़ का था.लेकिन, आईएमएफ़ प्रोग्राम की समीक्षा में हुई देरी से फंडिंग रुक गई जो नीतिगत खामियों के कारण फ़रवरी से अधर में लटकी हुई थी. इस दौरान पहले लिए कर्ज़ों के भुगतान के कारण विनिमय दर कम होती रही.

इसी समय विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बहुत बढ़ गया, ख़ासतौर से मध्य जून से. इसकी वजह ये रही कि अमेरिकी डॉलर की क़ीमत बढ़ती रही और चालू खाते के घाटे में वृद्धि होती रही है.

 

विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार का दावा

स्टेट बैंक ने बताया कि जुलाई में विदेशी मुद्रा भुगतान जून के मुक़ाबले काफ़ी कम रहा. ये तेल और अन्य उत्पाद के आयात में आई कमी के कारण हुआ है. दोनों जून में ये भुगतान 7.9 अरब डॉलर था जो जुलाई में घटकर 6.1 अरब डॉलर हो गया.

ताजा व्यापार आँकड़े दिखाते हैं कि ग़ैर-तेल उत्पादों का आयात कम हो रहा है. ये इस साल की चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत गिर गया. इसके और गिरने की संभावना है.वहीं, जून में ईंधन का आयात बढ़ने के बाद अब डीज़ल और तेल का अगले पांच से आठ हफ़्तों के लिए भंडार है. ये पहले दो से चार हफ़्तों के लिए ही हुआ करता था. इससे पेट्रोलियम का आयात आगे घटेगा.हाल में हुई बारिश और बांधों में पानी इकट्ठा होने से हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी बढ़ सकती है. इससे ईंधन से मिलने वाली बिजली पर बोझ कम हो जाएगा.इन सभी बदलावों के कारण आयात बिल कम हो सका है जिससे अगले एक-दो महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में तेज़ी से आर रही कमी रुकेगी.

रुप में सुधार की उम्मीदें

दिसंबर 2021 के बाद से रुपये के मूल्य में आई आधी कमी का कारण वैश्विक स्तर पर अमेरिकी डॉलर में आए उछाल और फेडरल रिज़र्व की ऐतिहासिक सख़्ती को माना जा सकता है बाक़ी आधी कमी घरेलू कारणों से आई है जिसमें चालू खाते का घाटा बढ़ना ख़ासतौर पर ज़िम्मेदार है. लेकिन, आयात कम होने और विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति सुधरने पर रुपये की क़ीमत में भी सुधार आएगा. रुपए के धीरे-धीरे मज़बूत होने की उम्मीद है.इसके अलावा घरेलू राजनीति और आईएमएफ़ प्रोग्राम में देरी के कारण भी लोगों में चिंताएं थीं और इसके कारण पाकिस्तानी रुपए के मूल्य पर असर पड़ा है. लेकिन, अब इस अनिश्चितता का समाधान हो चुका है.

स्टेट बैंक ने इसे भी एक अफ़वाह बताया है कि आईएमएफ़ प्रोग्राम के लिए विनिमय दर एक ख़ास स्तर पर बनाए रखने को लेकर सहमति बनी है. विनिमय दर बाज़ार के अनुसार, बदलती रहती है लेकिन, किसी असामान्य बदलाव से निपटा जाएगा

आईएमएफ़ प्रोग्राम पूरी तरह निर्भर

स्टेट बैंक ने ये भी बताया है कि आईएमएफ़ प्रोग्राम किस तरह से अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मदद कर सकता है. इसमें कहा गया है कि इस बीच एक अहम बदलाव हुआ है, जिससे ये अस्थायी मसले हल हो जाएंगे.13 जुलाई को आईएमएफ़ प्रोग्राम के लिए स्टाफ़ स्तर की मंज़ूरी मिल गई है. अब बोर्ड की बैठक के बाद 1.2 अरब डॉलर की खेप मिल जाएगी. इसके लिए सभी शर्तें पूरी कर ली गई हैं.

इसी दौरान राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों को भी कड़ा कर दिया गया ताकि मांग के दबाव को और चालू खाते घाटे को कम किया जा सकेवहीं, सरकार ने ये साफ़तौर पर घोषणा कर दी है कि वो अक्टूबर 2023 तक अपना कार्यकाल पूरा करेगी और सरकार आईएमएफ़ के साथ सहमति से तय हुई शर्तों को लागू करने के लिए तैयार है. आईएमएफ़ प्रोग्राम से इन मसलों का हल निकल सकता है-10 अरब डॉलर का चालू खाता घाटा और लगभग 24 अरब डॉलर के विदेशी ऋण पर मूलधन की अदायगी के कारण पैदा हुईं वित्तीय ज़रूरतें.पाकिस्तान के विदेश मुद्रा भंडार को मज़बूत करने के लिए पाकिस्तान के साथ अपनी ज़रूरत से थोड़ा ज़्यादा पैसा होना चाहिए. इसके कारण अगले 12 महीनों के लिए अतिरिक्त चार अरब डॉलर रखे गए हैं. ये फंडिंग कई अलग-अलग स्रोतों से आएगी जिसमें मित्र देश शामिल हैं. इन मित्र देशों ने जून 2019 में आईएमएफ़ प्रोग्राम के शुरू होने पर भी पाकिस्तान की मदद की थी.

पाकिस्तान के वित्ती मंत्री की दलील

पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ़्ताह इस्माइल ने ख़राब आर्थिक स्थितियों के लिए पिछली इमरान सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”जब आईके (इमरान ख़ान) सत्ता में आए थे तो रुपया 122 था. जब वो गए तो 190 था. जब वो आए थे तो पाकिस्तान का बिल 25 हज़ार रुपये था. जब वो गए तो बिल 44 हज़ार रुपये था. उनके आख़िरी साल में आयातित सामानों का बिल 80 रुपए डॉलर था और देश उच्चतम व्यापार घाटे पर पहुँच गया.

”अपने चार सालों के दौरान उन्होंने अपने दोस्तों/एटीएम को करों में छूट दी और अगली सरकार के लिए इंधन में सब्सिडी का जाल बुना. वो पाकिस्तान को दिवालिया होने की ओर ले गए. हमने अपनी राजनीतिक पूंजी की क़ीमत पर टुकड़ों को जोड़ा और देश को डिफॉल्ट होने से बचाया. ”

उन्होंने अपनी सरकार की तारीफ़ करते हुए कहा, ”आयात कम करने की हमारी कोशिशें रंग लाई हैं. एफ़बीआर डेटा के मुताबिक़ जुलाई में आयात 5.0 अरब डॉलर है जो जून में 7.7 अरब डॉलर था. हमने पाकिस्तान को डिफॉल्ट होने से बचा लिया है. हमारी सरकार पीटीआई का छोड़ा हुआ चालू खाते का घाटा कम करने के लिए दृढ़ संकल्प है.”

 

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