प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन यूरोपीय देशों के दौरे पर हैं और वह जर्मनी पहुँच गए हैं.इस बीच जर्मनी के चांसलर ओलाफ़ शॉल्त्स ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि रूस की कार्रवाई को लेकर भारत और जर्मनी के बीच “बड़ा समझौता” है. रविवार रात पीएम मोदी बर्लिन के लिए रवाना हुए थे. सोमवार को दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता होनी है. जर्मनी के चांसलर बनने के बाद ओलाफ़ शॉल्त्स की पीएम मोदी से ये पहली मुलाक़ात है.मीडिया रिपोर्ट के मुताबिकशॉल्त्स ने कहा, “उन्हें भरोसा है कि भारत और जर्मनी के बीच रूस की उन कार्रवाइयों को लेकर व्यापक समझौता है जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.”
उन्होंने ये भी कहा, ”विश्वास है कि दोनों देश इस बात पर एकमत हैं कि ‘आम नागरिकों के ख़िलाफ़ जनसंहार युद्ध अपराध है और इसके ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए.’उन्होंने बताया कि ‘जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ जंग’ और स्थायी विकास के लिए प्रयासों पर चर्चा भी दोनों नेताओं की वार्ता के मुख्य एजेंडा में शामिल है. वहीं, ईयू और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर पहुँचने को भी उन्होंने एक ‘अहम क़दम’ बताया.
दूसरी ओर यूरोपियन कमिशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन देर लियेन ने हाल ही में संपन्न हुए अपन भारत दौरे पर बातचीत के दौरान कहा है कि रूस के युद्ध पर वैश्विक प्रतिक्रिया ही हिंद प्रशांत क्षेत्र और दुनिया में कहीं भी अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के ऐसे उल्लंघन के ख़िलाफ़ कार्रवाई की दिशा तय करेगा.
रूस को लेकर जर्मनी और भारत की एक जैसी स्थिति क्यों ?
भारत सैन्य साजोसामान की आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर है. जर्मनी भी ऊर्जा के लिए रूस पर आश्रित है. ऐसे में शॉल्त्स से जब पूछा गया कि क्या रूस पर निर्भरता के मामले में भारत और जर्मनी एक जैसी स्थिति में हैं लेकिन यूक्रेन पर आक्रमण के बाद दोनों की प्रतिक्रिया में अंतर है तो उन्होंने कहा, “यूक्रेन में रूस के हमले से घर, जीवन सब बर्बाद हो गए हैं. मैंने राष्ट्रपति पुतिन से पहले भी कहा और आज भी कहूंगा कि वो अभी इसी वक़्त युद्ध को ख़त्म करें.” उन्होंने कहा, “यूरोपीय संघ ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं जबकि इसके आर्थिक परिणाम इन देशों को भी भुगतने पड़ रहे हैं. हम रूस से ऊर्जा आपूर्ति घटाने के लिए नीति लागू कर रहे हैं. हम इस गर्मी में रूस से कोयला लेना बंद कर देंगे और इस साल के आख़िर तक तेल आयात भी रोक देंगे साथ ही गैस आयात को भी कम करेंगे.”भारत को पड़ोसी देश चीन से मिल रही चुनौती और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की कार्रवाइयों के लिए जर्मनी की रणनीति को लेकर जर्मल चांसलर ने कहा कि भारत के साथ वार्ता में अहम एजेंडा द्विपक्षीय संबंध होंगे लेकिन इस दौरान हिंद प्रशांत क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी बातचीत होगी.
तीन देशों के दौरे पर क्या है पीएम मोदी का एजेंडा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूरोपीय देशों के तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. सबसे पहले पीएम मोदी बर्लिन में जर्मन चांसलर से द्विपक्षीय संबंधों पर बात करेंगे. इसके बाद मोदी डेनमार्क जाएंगे, जहाँ उनकी मुलाक़ात डेनमार्क के पीएम मैट फ़्रेडरिक्सन से होगी.साथ ही वो दूसरे इंडिया-नॉर्डिक समिट में भी हिस्सा लेंगे. इस समिट में पीएम मोदी के साथ डेनमार्क, आइसलैंड, फ़िनलैंड, स्वीडन और नॉर्वे के प्रधानमंत्री भी होंगे. वापसी में पीएम मोदी कुछ समय के लिए पैरिस में रुकेंगे जहाँ वे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाक़ात करेंगे.हालांकि, यूरोप दौरे पर निकलने से पहले जारी अपने बयान में पीएम मोदी सीधे तौर पर यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष का ज़िक्र नहीं किया है लेकिन उन्होंने कहा कि उनका ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब ये क्षेत्र कई चुनौतियों और विकल्पों का सामना कर रहा है.
ईयू आयोग प्रमुख का दावा :यूक्रेन पर रुख़ तय करेगा हिंद प्रशांत की कार्रवाई
रोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन देर लियेन ने इंटरव्यू में कहा है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को लेकर वैश्विक कार्रवाई ही भविष्य में इस तरह के किसी भी अंतरराष्ट्रीय क़ानून के उल्लंघन पर प्रतिक्रिया की दिशा तय करेगी.यूरोपीय संघ में शामिल कई देश चाहते हैं कि भारत रूस कार्रवाई की निंदा करे लेकिन भारत का कहना है कि यूरोप को यूक्रेन से इतर भी देखना चाहिए और जब एशिया में नियम आधारित व्यवस्था को चुनौती दी जा रही थी तो यूरोप भारत के हितों के प्रति असंवेदनशील था.उर्सुला वॉन देर से पूछा गया कि भारत के रुख़ को लेकर वो क्या सोचती हैं. इस पर उन्होंने कहा, “यूक्रेन में रूस के युद्ध पर वैश्विक समुदाय की जवाबी कार्रवाई ही ये तय करेगी कि भविष्य में हिंद-प्रशांत क्षेत्र सहित कहीं भी इस तरह के अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन से कैसे निपटा जाए.””हमें क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता और नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था के लिए प्रतिबद्धता दिखाना चाहिए. युद्ध के झटके अभी से ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र तक पहुँचने लगे हैं. अनाज, ऊर्जा, फर्टिलाइज़र के दाम बढ़ रहे हैं. रूस की आक्रामकता वैश्विक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरा है.”
यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस की आक्रामकता की निंदा न करने पर पश्चिमी देशों की आलोचना झेल रहे भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रायसीना डायलॉग के दौरान अमेरिका और यूरोप पर पलटवार किया था और उन पर सालों से एशिया में चीन के आक्रामक व्यवहार की अनदेखी करने और तालिबान के साथ समझौता कर ‘अफ़ग़ानिस्तान को संकट में धकेलने’ का आरोप लगाया.जयशंकर ने कहा, “आपने यूक्रेन के बारे में बात की. मुझे याद है, एक साल से भी कम समय पहले, अफ़ग़ानिस्तान में क्या हुआ था, जहां नागरिकों को दुनिया ने एक संकट की ओर धकेल दिया.”यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन देर लियेन के दौरे के एक दिन बाद विदेश मंत्री ने ये बयान दिया था. वॉन देर ने अपने दौरे के दौरान बूचा में हुई हत्याओं को “अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन” बताया और कहा था कि यूक्रेन में युद्ध के परिणाम न केवल यूरोप के भविष्य को निर्धारित करेंगे बल्कि भारत-प्रशांत क्षेत्र और पूरी दुनिया को “गहराई से प्रभावित करेंगे.”